ट्रंप की धमकी फुस्स, चीन ने इस 'चाल' से कर दिया खेल, देखता रह गया अमेरिका!

ईरान के क्रूड ऑयल पर भले ही अमेरिका ने प्रतिबंध लगाए हुए हैं, लेकिन इन्हें दरकिनार करते हुए चीन लगातार इसकी खरीद किफायती दरों पर कर रहा है. ड्रैगन एक खास व्यवस्था के तहत ये पूरा खेल करता है और अमेरिका की नजरों से बच जाता है.

Advertisement
अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद चीन धड़ल्ले से खरीद रहा ईरानी तेल (Photo: ITG) अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद चीन धड़ल्ले से खरीद रहा ईरानी तेल (Photo: ITG)

आजतक बिजनेस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 09 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 7:45 AM IST

अमेरिका ने ईरान के कच्चे तेल को लेकर तमाम तरह के प्रतिबंध लगाए हुए हैं और ये कई सालों से लागू हैं. इसका उद्देश्य दरअसल, ईरानी तेल के लिए भुगतान को व्यावहारिक रूप से असंभव बनाना है. लेकिन अमेरिका के बैन वाले हथकंडों के बावजूद चीन ईरान के क्रूड ऑयल का सबसे बड़ा खरीदार बना हुआ है. ड्रैगन ने प्रतिबंधों के बाद भी एक ऐसा फॉर्मूला निकाला है, जिससे वो बिना रोक-टोक के अरबों डॉलर मूल्य की कच्चे तेल की खरीद जारी रखे हुए है. 

Advertisement

US बैन के बाद भी खरीद जारी 
रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2015 में ईरान ने JCPOA नामक परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे और इसके बाद अमेरिका ने कुछ समय के लिए ईरान पर लागू प्रतिबंधों को हटाया था, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में इस समझौते से अमेरिका बाहर निकल गया और ईरान के तेल निर्यात पर फिर से कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए, जो अब तक लागू हैं. इस बीच चीन लगातार ईरान से कच्चे तेल का आयात कर रहा है और इस आपूर्ति के लिए एक खास चाल का सहारा ले रहा है, जिसके चलते अमेरिका भी सिर्फ देखता रह जाता है.  

दरअसल, चीन अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते इस तेल का आयात इनडायरेक्ट रूट्स के जरिए करता है. अगर आंकड़ों पर गौर करें, तो ड्रैगन तकरीबन 10 लाख बैरल/दिन ईरानी तेल इंपोर्ट करता है और रिपोर्ट्स की मानें तो चीन इस तेल को मलेशिया, ओमान जैसे देशों से आए तेल के साथ जोड़कर दिखाता है, ताकि अमेरिकी बैन से बचा जा सके. 

Advertisement

चीन अपनी इस चाल से कर रहा कमाल 
वॉल स्ट्रीट जर्नल के एक आर्टिकल में भी चीन के इस खेल के बारे में विस्तार से बताया गया है. इसमें मामले से जुड़े अधिकारियों का हवाला देते हुए कहा गया है कि बीजिंग एक खास व्यवस्था अपनाता है, जिसके तहत वो ईरानी कच्चे तेल की अदला-बदली चीन द्वारा निर्मित इंफ्रास्ट्रक्चर से कर देता है, जिससे वैश्विक बैंकिंग प्रणाली पर प्रतिबंधों का असर नहीं पड़ता.

इसमें बताया गया है कि इस तरीके ने अमेरिका के दो प्रमुख प्रतिस्पर्धियों के बीच आर्थिक संबंधों को और गहरा किया है. आधिकारिक अनुमानों को देखें, तो सिर्फ 2024 में इस खेल के जरिए प्राप्त तेल राजस्व का उपयोग ईरान में चीनी परियोजनाओं के वित्तपोषण में 8.4 अरब डॉलर तक हो सकता है. यह ईरान से अनुमानित 43 अरब डॉलर के तेल निर्यात का एक हिस्सा है, जिसका लगभग 90% चीन को ही जाता है.

ऐसे काम करता है ड्रैगन का तरीका
रिपोर्ट में चीन द्वारा अपनाए जाने वाले पूरे तरीके के बारे में विस्तार से बताया गया है. इस व्यवस्था के काम करने के प्रोसेस को देखें, इस सिस्टम में दो चीनी संस्थाएं शामिल हैं. इनमें पहली सिनोश्योर है, जो एक सरकारी स्वामित्व वाली एक्सपोर्ट एंड क्रेडिट इंश्योरेंस कंपनी है. वहीं दूसरी चुक्सिन है, जो फाइनेंशियल मिडिएटर का काम करती है, लेकिन ये किसी भी आधिकारिक लिस्ट में शामिल नहीं है. 

Advertisement

दरअसल, ईरान का कच्चा तेल एक चीनी खरीदार को बेचा जाता है, जो आमतौर पर सरकारी स्वामित्व वाले झुहाई झेनरोंग से संबद्ध व्यापारी होता है. सीधे ईरान को पेमेंट करने के बजाय खरीदार चुक्सिन कंपनी में हर महीने करोड़ों डॉलर का भुगतान इसी तेल के लिए करता है. यह धनराशि ईरान में इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर से जुड़े बड़े चीनी बिल्डरों को दी जाती है. इसके बाद सिनोश्योर इन परियोजनाओं का इंश्योरेंस करता है, जिससे जोखिमों के बावजूद यह व्यवस्था सुचारू चलती रहती है. 

चीन और ईरान दोनों को फायदा
ईरानी कच्चा तेल चीन में कभी खुले तौर पर नहीं पहुंचता है. इसे बेचने वाले की पहचान छिपाने के लिए क्रूड ऑयल शिपमेंट आमतौर पर समुद्र में जहाज-से-जहाज ट्रांसफर के जरिए चीनी पोर्ट्स तक पहुंचने से पहले अन्य देशों के तेल के साथ मिला दिया जाता है. इसका बड़ा फायदा ये होता है कि चीन के सीमा शुल्क एजेंट ईरानी आयातों की औपचारिक घोषणा करने से बच जाते हैं. चीन की इस खरीद से प्रतिबंधों के चलते कमजोर हुई तेहरान की अर्थव्यवस्था को सपोर्ट मिलता है, तो वहीं चीन रियायती दर पर कच्चा तेल हासिल कर लेता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीनी कंपनियों ने इस डील के तहत ईरान में हवाई अड्डों से लेकर रिफाइनरियों तक, प्रमुख प्रोजेक्ट्स का निर्माण या सुधार किया है.

Advertisement

हालांकि, वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में इस मामले के बारे में विस्तार से बताने वाले अधिकारी चीन और ईरान के इस खेल को राजनीतिक रूप से अमेरिकी प्रतिबंध नीति के लिए एक खतरा करार देते हैं. वाशिंगटन ने अब तक ईरान से जुड़ीं छोटी चीनी कंपनियों और व्यक्तियों को निशाना बनाया है, लेकिन बीजिंग के साथ तनाव बढ़ने के मद्देनजर सिनोश्योर जैसी बड़ी सरकारी कंपनियों को ब्लैक लिस्ट में डालने से परहेज किया है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement