देश के तमाम हिस्सों में पेट्रोल की कीमत सेंचुरी लगा चुकी है. महंगे पेट्रोल-डीजल से राहत दिलाने के लिए सरकार ने अभी तक टैक्स में कोई कमी नहीं की है. इसके बावजूद अगले महीने से पेट्रोल-डीजल के दाम में थोड़ी राहत मिल सकती है. ओपेक प्लस देशों ने अगले महीने से कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया है. इसके बाद उम्मीद है कि कीमतों में कमी आएगी.
पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमतों से आने वाले कुछ दिनों में लोगों को राहत मिल सकती है. लेकिन इस कमी के लिए सरकार ने कोई कोशिश नहीं की है. RBI समेत आम लोगों के बार-बार गुहार लगाने पर भी टैक्स में कमी का रास्ता केंद्र या राज्यों सरकारों ने नहीं अपनाया. (Photo: Getty Images)
दरअसल, इस संभावित गिरावट के अनुमान की वजह OPEC प्लस देशों का अगस्त से ऑयल सप्लाई बढ़ाने का फैसला है. लेकिन कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने के पीछे ओपेक प्लस देशों की दरियादिली नहीं है. प्रोडक्शन बढ़ाने की वजह है कोरोना संकट से उबरती ग्लोबल इकोनॉमी जिससे ऑयल की डिमांड बढ़ी है.
अभी तक सीमित उत्पादन के चलते इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल का भाव ढाई साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. बीते हफ्ते कच्चे तेल का क्लोजिंग भाव 73.14 डॉलर प्रति बैरल रहा, जबकि जुलाई में ये 78 डॉलर प्रति बैरल तक के स्तर पर पहुंच गया था. 3 महीने तक लगातार बढ़ने के बाद जुलाई में कच्चे तेल में करीब 2 फीसदी की गिरावट आई है.
रविवार की बैठक में फैसला लिया गया है कि OPEC प्लस देश मिलकर अगस्त से हर महीने रोजाना 4 लाख बैरल प्रोडक्शन बढ़ाएंगे. यानी सितंबर में मौजूदा उत्पादन के मुकाबले 8 लाख बैरल रोजाना प्रोडक्शन बढ़ेगा. इस कैलकुलेशन के हिसाब से रोजाना के आधार पर अक्टूबर में 12 लाख बैरल नवंबर में 16 लाख बैरल रोजाना और दिसंबर में 20 लाख बैरल प्रोडक्शन रोजाना के आधार पर ज्यादा होगा. (Photo: Getty Images)
यानी अगस्त से कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट की शुरुआत हो सकती है. हालांकि इस बढ़ी हुई सप्लाई से दाम में गिरावट का असली अंदाजा डिमांड के बाद ही तय होगा. (Photo: Getty Images)
उत्पादन में इस बढ़ोतरी को लेकर ओपेक प्लस देशों में काफी समय से मंथन चल रहा था. लेकिन UAE और सऊदी अरब के बीच सहमति के बाद ही प्रोडक्शन बढ़ाने पर फैसला किया गया है. UAE की मांग के मुताबिक प्रोडक्शन में बढ़ोतरी का मौका सभी देशों को दिया गया है.