चिदम्बरम ने बताया- वे होते वित्त मंत्री, तो मौजूदा हालात में कैसा होता उनका बजट?

इंडिया टुडे टीवी के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल को दिए एक इंटरव्यू में पी. चिदम्बरम ने बताया कि अगर वे बनाते तो कैसा होता बजट? उन्होंने कहा कि यह बजट ऐसा नहीं है, जैसा ऐतिहासिक संकट के दौर का बजट होना चाहिए. 

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पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने की बजट की आलोचना पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने की बजट की आलोचना

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 03 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 2:52 PM IST
  • पी. चिदम्बरम ने की बजट की आलोचना
  • उन्होंने कहा कि यह कहीं से संकट का बजट नहीं लगता
  • उन्होंने बताया कि वे किस तरह का बजट बनाते

पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदम्बरम ने मोदी सरकार के बजट 2021 की आलोचना करते हुए कहा कि यह बजट ऐसा नहीं है जैसा कि संकट के दौर में होना चाहिए था. इंडिया टुडे टीवी से बातचीत में पी. चिदम्बरम ने बताया कि वे बनाते तो कैसा होता बजट. 

गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण ने 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश किया है. इसमें स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के विकास पर खास जोर दिया गया है. हालांकि कोरोना संकट में परेशान इंडस्ट्री के कई सेक्टर और मध्यम वर्ग को खास राहत नहीं दी गई है. 

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इंडिया टुडे टीवी के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल को दिए एक इंटरव्यू में पी. चिदम्बरम ने बताया कि अगर वे बनाते तो कैसा होता बजट? उन्होंने कहा कि यह बजट ऐसा नहीं है, जैसा ऐतिहासिक संकट के दौर का बजट होना चाहिए. 

उन्होंने कहा कि हर बजट अपने संदर्भ के मुताबिक होता है. अगर तेजी के दौर, गोल्डन पीरियड का बजट हो, तो बजट कुछ और होगा, लेकिन कोई बजट जब दो साल की आर्थिक सुस्ती, एक साल की मंदी के बाद आ रहा हो तो वह अलग तरह का होना चाहिए था. 

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पहला हक गरीबों का 

उन्होंने कहा, 'पिछले एक साल के संकट में सबसे ज्यादा ज्यादा परेशान कौन हुआ? स्टॉक ब्रोकर, कॉरपोरट दिग्गज या मोटी सैलरी वाले प्रोफेशनल? सबसे ज्यादा प्रभावित नीचे के 20 से 30 फीसदी लोग हुए. माइग्रेंट लेबर, एमएसएमई वर्कर जिनकी नौकरियां चली गईं. सबसे पहले बजट के संसाधन पर हक इन लोगों का है.  यह बजट ऐसे लोगों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए था. 

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अमीर समर्थक है यह सरकार 

उन्होंने कहा कि यह अमीर समर्थक सरकार है. उन्होंने कहा, 'कॉरपोरेट या अमीरों के पक्ष में रहने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन इस समय यह देखना चाहिए था कि मदद की सबसे ज्यादा जरूरत किसे है? इस समय गरीब, किसान, प्रवासी श्रमिकों की तरफदारी होनी चाहिए थी.  लोगों की सैलरी कम हो गई है, बहुत से लोग गांवों में चले गए हैं. 3.5 करोड़ लोग मनरेगा में काम तलाश रहे हैं, क्योंकि उनके पास नौकरी नहीं है. लोग मुफ्त भोजन के लिए कतारों में लगे दिखते है.' 

क्या बुनियादी ढांचे के विकास से नौकरियों का सृजन नहीं होगा? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार ने जो भी बुनियादी ढांचे के विकास की बात की है, उससे तत्काल तो नौकरी पैदा होने वाली नहीं है. इसमें काफी समय लगेगा. 

कांग्रेस तैयार कर सकती है वैकल्पिक बजट! 

क्या वह या कांग्रेस पार्टी एक वैकल्पिक बजट तैयार कर सकती है? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि बजट डिवीजन ने पिछले दो महीने की तैयारियों में जो ब्लू शीट तैयार किए हैं, जो रेवेन्यू एस्टीमेट, एक्सपेंडीचर एस्टीमेट है, अगर वह सब मिले तो वह एक वैकल्पिक बजट तैयार कर सकते हैं. 

क्या और होना चाहिए था बजट में 

पी. चिदम्बरम ने कहा, 'मैं निचले तबके के 25 फीसदी लोगों को छह महीने तक डायरेक्ट कैश ट्रांसफर के रूप में मदद देता. मैं एमएसएमई के लिए रेस्क्यू प्लान बनाता ताकि नौकरियों का सृजन हो. जीएसटी रेट में कटौती कर उसे तर्कसंगत बनाता ताकि निजी उपभोग बढ़े जो कि ग्रोथ का इंजन है. मैं सरकारी बैंकों को ज्यादा लोन देने को प्रोत्साहित करता. ' 

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उन्होंने कहा कि इस समय संरक्षणवाद को बढ़ाने की जरूरत नहीं थी. उन्होंने कहा कि यह पुराने जमाने के बॉम्बे क्लब के जमाने की बात है. अब इसकी जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि कई वस्तुओं पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाई गई, कई तरह की एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाई गई. 

सबसे प्रमुख बात यही है कि इस बजट में सबसे ज्यादा जोर उस वर्ग पर ही देना चाहिए था जिसे सबसे ज्यादा मदद की जरूरत है. 

 

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