कंपनियां बेचने के लिए सरकार का ये है प्‍लान, बजट में हुआ ऐलान

लोकसभा चुनाव के बाद पहले आम बजट में मोदी सरकार ने कंपनियों के विनिवेश की योजना के बारे में बताया है. इसके साथ ही विनिवेश के लक्ष्‍य को भी बढ़ा दिया गया है.

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विनिवेश के लक्ष्‍य को बढ़ा दिया गया है (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव) विनिवेश के लक्ष्‍य को बढ़ा दिया गया है (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव)

aajtak.in

  • नई दिल्‍ली,
  • 06 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 2:59 PM IST

एअर इंडिया समेत कर्ज में डूबी अन्‍य कंपनियों को बेचने के लिए मोदी सरकार लंबे समय से कोशिश कर रही है लेकिन ढंग का कोई खरीदार नहीं मिल रहा है. ऐसे में अब सरकार ''रणनीतिक विनिवेश'' के प्‍लान पर काम करने की तैयारी में है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए सरकार के इस प्‍लान का जिक्र भी किया. आइए जानते हैं कि सरकार का क्‍या प्‍लान है.

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दरअसल, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के कंपनियों की ''रणनीतिक विनिवेश'' करेगी. इसका मतलब यह है कि सरकारी कंपनी को पूरी तरह से निजी हाथों में दे दिया जाएगा. अभी सरकार की कोशिश ये होती है कि सरकारी कंपनी का विनिवेश कर उसमें एलआईसी या एसबीआई जैसे पीएसयू से शेयर खरीद ली जाए. आसान भाषा में समझें तो सरकार एक खाते से पैसा निकालकर दूसरे खाते से अपनी ही कंपनी की शेयर खरीद लेती है.

क्‍या होती है विनिवेश प्रक्रिया

विनिवेश प्रक्रिया निवेश का उलटा होता है. जहां निवेश किसी कारोबार, किसी संस्था या किसी परियोजना में रकम लगाना होता है तो वहीं विनिवेश का मतलब उस रकम को वापस निकालना होता है. यहां निजीकरण और विनिवेश के अंतर को समझना जरूरी है. निजीकरण में सरकार अपने 51 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी निजी क्षेत्र को बेच देती है जबकि विनिवेश की प्रक्रिया में वह अपना कुछ हिस्सा निकालती है लेकिन उसकी मिल्कियत बनी रहती है लेकिन अब ''रणनीतिक विनिवेश'' में मिल्कियत भी नहीं बचेगी.

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विनिवेश से रेवेन्‍यू का लक्ष्‍य बढ़ाया

बजट में सरकार ने चालू वित्तवर्ष में विनिवेश से 1.05 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रकम हासिल करने का लक्ष्य रखा है.  इससे पहले अंतरिम बजट में पीयूष गोयल ने वित्त वर्ष (2019-20) में विनिवेश से 90,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्‍य रखा था. यह 2018-19 में विनिवेश के लिए तय 80,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य से 10,000 करोड़ रुपये ज्यादा था. यहां बता दें कि 2018-19 में सरकार ने अपने विनिवेश से रेवेन्‍यू के लक्ष्‍य को हासिल कर लिया था.

28 कंपनियों का खरीदार ढूंढ रही सरकार

मोदी सरकार के मंत्री अरविंद गणपत सांवत ने हाल ही में संसद में बताया था कि 28 कंपनियों के विनिवेश की मंजूरी दी जा चुकी है. इसके कुल 19 कंपनियां ऐसी हैं  जिन्‍हें बंद करने की सरकार ने मंजूरी दी है. ये सभी कंपनियां घाटे में चल रही हैं. मोदी सरकार की ओर से जिन कंपनियों को विनिवेश की मंजूरी मिली है उनमें पवन हंस लिमिटेड, स्‍कूटर्स इंडिया लिमिटेड और एअर इंडिया जैसी कंपनियां शामिल हैं.

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