दिल्ली के लिए बजट में केजरीवाल को थी ये 5 उम्मीदें, झोली रही खाली

केजरीवाल ने केंद्र सरकार से केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में सुचारू शासन के लिए विशेष प्रावधानों की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि दिल्ली में अहम ढांचागत विकास के लिए उन्हें वित्तीय सहायता की उम्मीद थी, लेकिन इस बजट से निराशा हाथ लगी है.

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अरविंद केजरीवाल अरविंद केजरीवाल

भारत सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 01 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 12:03 AM IST

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को वित्तीय वर्ष 2018-19 का आम बजट पेश कर दिया है. इस बजट को विपक्षी नेताओं ने निराशाजनक करार दिया है, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री  अरविंद केजरीवाल तो इस बजट से पूरी तरह निराश हैं.

केजरीवाल ने केंद्र सरकार से केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में सुचारू शासन के लिए विशेष प्रावधानों की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि दिल्ली में अहम ढांचागत विकास के लिए उन्हें वित्तीय सहायता की उम्मीद थी, लेकिन इस बजट से निराशा हाथ लगी है. बजट भाषण के बाद केजरीवाल ने कहा है कि उनके साथ सौतेला व्यवहार किया गया है. जानिए, क्या थी केजरीवाल की मांग और क्या मिला दिल्ली को.

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मांग 1- केंद्रीय करों और शुल्कों में दिल्ली की हिस्सेदारी बढ़ाई जाए.

क्या हुआ- दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इनमें अपनी हिस्सेदारी नहीं बढ़ाने पर नाखुशी जताई है. सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार दिल्ली के लोगों को 'दोयम दर्जे का नागरिक' समझती है.

मांग 2- दिल्ली पुलिस के लिए अलग से योजना बनाई जाए.

क्या हुआ- सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली पुलिस के लिए किसी योजना की घोषणा नहीं की गई है.

मांग 3- दिल्ली को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिए 2000 इलेक्ट्रिक बसों के लिए विशेष पैकेज दिया जाए.

क्या हुआ- दिल्ली सरकार की इस मांग पर भी ध्यान नहीं दिया गया.

मांग 4- दिल्ली की अनाधिकृत कॉलोनियों के नियमतीकरण के लिए विशेष योजना बनाई जाए.

क्या हुआ-  दिल्ली सरकार का कहना है कि अनाधिकृत कॉलोनियों के नियमितीकरण पर किसी योजना की घोषणा नहीं की गई है.

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मांग 5- राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जमीन अधिग्रहण करने का मामला केंद्र सरकार के अधीन आता है. नए अस्पतालों, स्कूलों और बस डिपो के लिए जमीन दी जाए.

क्या हुआ- मनीष सिसोदिया ने कहा कि क्लीनिक, स्कूल, अस्पताल और बस डिपो बनाने के लिए दिल्ली सरकार को और जमीन देने के बारे में भी कोई घोषणा नहीं की गई.

आम बजट के पेश होने के बाद केजरीवाल ने ट्वीट किया, 'मैं देश की राजधानी में ढांचागत विकास के लिए वित्तीय सहायता की उम्मीद कर रहा था. मुझे निराशा है कि केंद्र का दिल्ली के साथ सौतेला व्यवहार जारी है.' सिसोदिया ने भी प्रहार करते हुए कहा कि केंद्र सरकार दिल्ली का ख्याल नहीं करती. सिसोदिया के पास दिल्ली सरकार का वित्त विभाग भी है.

यह मिला है दिल्ली सरकार को आम बजट से

केंद्र ने दिल्ली को 2018-19 के लिए 790 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. इस बजट में दिल्ली सरकार को 449.99 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता का प्रस्ताव किया गया है. पिछले बजट में दिल्ली सरकार के लिए आवंटन 757.99 करोड़ रुपये रहा था. वहीं, दिल्ली सरकार के लिए केंद्रीय सहायता 412.98 करोड़ रुपये रही थी.

1984 के दंगा पीड़ितों के लिए भी इंतजाम

आम बजट में दिल्ली सरकार को 1984 के दंगा पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए 10 करोड़ रुपये दिए गए हैं. पिछले बजट में यह राशि 15 करोड़ रुपये थी. इसके अलावा दिल्ली आपदा प्रतिक्रिया कोष के लिए आवंटन को पांच करोड़ रुपये पर ही कायम रखा गया है.

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 दिल्ली सरकार का कहना है कि केंद्रीय करों और शुल्कों में उसकी सरकार का हिस्सा 2001-02 से 325 करोड़ रुपये पर ही कायम है.

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