ऑटो सेक्टर की मंदी से सहमी सरकार! इलेक्ट्र‍िक वाहनों पर स्पीड करेगी धीमी

अगले कुछ महीनों में सरकार ई-व्हीकल पर जोर देने के अपने अभियान को धीमा कर सकती है. ऑटो इंडस्ट्री का कहना है कि अभी इस सेक्टर की हालत बेहद खराब है, नौकरियां जा रही हैं, ऐसे में सरकार को थोड़ा सहानुभूतिपूर्वक रवैया अपनाना चाहिए.

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इलेक्ट्रि‍क वाहनों को बढ़ावा देने में हो सकता है लेट इलेक्ट्रि‍क वाहनों को बढ़ावा देने में हो सकता है लेट

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 7:58 PM IST

ऑटो सेक्टर में गहराती मंदी और ऑटो इंडस्ट्री के विरोध की वजह से सरकार अब ई-व्हीकल को अपनाने में तेजी लाने से हिचकने लगी है. अगले कुछ महीनों में सरकार ई-व्हीकल पर जोर देने के अपने अभियान को धीमा कर सकती है. ऑटो इंडस्ट्री का कहना है कि अभी इस सेक्टर की हालत बेहद खराब है, नौकरियां जा रही हैं, ऐसे में सरकार को थोड़ा सहानुभूतिपूर्वक रवैया अपनाना चाहिए.  

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टाइम्स ऑफ इंडिया ने सरकारी सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि साल 2023 के बाद इंटर्नल कम्बशन इंजन (ICE) वाले थ्री व्हीलर और 1500सीसी इंजन क्षमता वाले टू व्हीलर्स की बिक्री पर रोक लगाने के प्रस्ताव पर भी अब शायद आक्रामक तरीके से आगे न बढ़ा जाए.

पूरे सेक्टर को डिस्टर्ब करने की जरूरत नहीं

अब सरकार का एक वर्ग मानता है कि पूरे सेक्टर को 'बाधित करने' की जगह इलेक्ट्र‍िक वाहनों को धीरे-धीरे अपनाया जा सकता है. गौरतलब है कि ऑटो सेक्टर जीडीपी और रोजगार में सबसे ज्यादा योगदान करने वाले सेक्टर में से है. इलेक्ट्र‍िक वाहनों को बढ़ावा देने के पैकेज पर काम कर रहे सरकारी विभागों से कहा गया है कि वे अभी आईसीई वाहनों की बिक्री को हतोत्साहित करने वाले कदमों पर विराम लगाएं. इसमें पेट्रोल और डीजल वाहनों पर रजिस्ट्रेशन चार्ज बढ़ाने जैसे कदम थे.

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वित्त मंत्री से मिले थे ऑटो सेक्टर के लोग

हाल में ऑटो सेक्टर के प्रतिनिधि‍यों की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक हुई थी, जिसमें ऑटो कंपनियों ने रजिस्ट्रेशन फीस बढ़त का मसला उठाया था. कंपनियों ने यह मसला भी उठाया था कि सरकार इलेक्ट्र‍िक वाहनों पर जिस तरह से जोर दे रही है उससे समस्या और बढ़ सकती है. गौरतलब है कि जुलाई में ऑटो सेल्स की थोक बिक्री में करीब 30 फीसदी की गिरावट आई है. यह पिछले 18 साल की सबसे ज्यादा गिरावट है.

पिछले महीने सड़क परिवहन मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन का प्रारूप जारी किया था जिसमें यह प्रस्ताव है कि नए आईसीई कारों पर रजिस्ट्रेशन फीस 600 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये किया जाए.

गौरतलब है कि कारों की बिक्री में लगातार जारी गिरावट से ऑटो सेक्टर की हालत पतली होती जा रही है और छंटनी का दौर शुरू हो गया है. पिछले तीन महीने में ऑटो इंडस्ट्री से करीब दो लाख लोगों को नौकरियों से निकाला गया है.

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