देश के राजधानी की हवा को सांस लेने लायक बनाने के लिए दिल्ली सरकार ने आज से सख्त एंटी-पॉल्यूशन उपाय लागू कर दिए हैं. अब BS-VI इंजन वाले वाहनों को ही दिल्ली में प्रवेश मिलेगा, जबकि बिना वैध पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (PUC) सर्टिफिकेट के किसी भी वाहन को पेट्रोल पंप पर फ्यूल नहीं दिया जाएगा. यह फैसला GRAP के स्टेज-IV के तहत लागू किया गया है, जो प्रदूषण के सबसे गंभीर हालात में ही एक्टिव किया जाता है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस फैसले का सीधा असर दिल्ली से सटे गुरुग्राम, गाजियाबाद, फरीदाबाद और नोएडा से रोजाना आने वाले करीब 12 लाख वाहनों पर पड़ेगा. ऐसे में दिल्ली-एनसीआर के वाहन मालिकों के बीच तमाम तरह का कन्फ्यूजन देखने को मिल रहा है. उन्हें डर है कि, दिल्ली में एंट्री करते ही उनकी कार को पकड़ लिया जाएगा. इसके अलावा लोगों में अपने वाहन के भारत स्टैंडर्ड (BS) यानी इमिशन मानक को लेकर भी कन्फ्यूजन है, कि उनकी कार सरकार के इस बैन लिस्ट के दायरे में आएगी या नहीं.
दिल्ली सरकार का यह आदेश पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 5 के तहत जारी किया गया है, जो GRAP स्टेज-IV (Severe+) लागू रहने तक प्रभावी रहेगा. इस नियम के अनुसार, दिल्ली के बाहर रजिस्टर्ड BS-VI से कम उत्सर्जन मानक वाले वाहनों की राजधानी में एंट्री पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगी. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली-एनसीआर में BS-IV एमिशन मानकों से नीचे आने वाले पुराने वाहनों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की इजाजत दे दी है.
अब दिल्ली में केवल उन्हीं वाहनों को फ्यूल (पेट्रोल, डीजल या सीएनजी) मिलेगी, जिनके मालिक उक्त वाहन का पीयूसी सर्टिफिकेट पेट्रोल पंप पर दिखाएंगे. यदि कोई भी वाहन फ्यूल पंप पर बिना वैलिड PUC सर्टिफिकेट पकड़ा जाता है तो उस पर तत्काल एक्शन लिया जाएगा और जुर्माना लगेगा. PUC की जांच फिजिकल सर्टिफिकेट, ANPR (ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन) कैमरे, VAHAN डाटाबेस, वॉयस अलर्ट सिस्टम से की जाएगी.
दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण के बीच BS3 और BS4 वाहनों पर पाबंदियां सख्त हो गई हैं. ऐसे में वाहन मालिकों के लिए यह जानना बेहद जरूरी हो गया है कि उनकी गाड़ी BS3 है या BS4. गलत जानकारी न सिर्फ जुर्माने का कारण बन सकती है, बल्कि वाहन जब्त होने जैसी कार्रवाई भी हो सकती है.
आपका वाहन BS3 है या BS4, इसे पहचानने का सबसे आसान तरीका RC यानी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट देखना है. RC कार्ड या डिजिलॉकर में उपलब्ध डिजिटल आरसी में “Emission Norms” या “Fuel Norms” का कॉलम होता है. इसमें साफ लिखा होता है कि वाहन BS3 है या BS4. अगर RC 2010 से पहले जारी हुई है तो अधिकतर मामलों में वाहन BS3 होता है, जबकि 2010 से 2020 के बीच रजिस्टर्ड वाहन आमतौर पर BS4 कैटेगरी में आते हैं.
भारत में BS3 मानक 2005 से 2010 तक लागू रहे. इसके बाद 2010 से अप्रैल 2020 तक BS4 नियम लागू हुए. अगर आपकी गाड़ी 2010 से पहले बनी है तो उसके BS3 होने की संभावना ज्यादा है. वहीं 2010 से 2020 के बीच बनी गाड़ियां आमतौर पर BS4 होती हैं. हालांकि यह तरीका अनुमान पर आधारित है, इसलिए पुख्ता पुष्टि के लिए RC देखना जरूरी है.
वाहन के इंजन नंबर और चेसिस नंबर से भी BS नॉर्म की जानकारी निकाली जा सकती है. अधिकतर कार निर्माता इन नंबरों के जरिए वाहन की पूरी डिटेल बताते हैं. आप कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट, कस्टमर केयर या अधिकृत डीलर से संपर्क कर इन नंबरों के आधार पर अपनी गाड़ी का BS3 या BS4 स्टेटस कन्फर्म कर सकते हैं. इन नंबरों को व्हीकल आइडेंटिफिकेशन नंबर (VIN) भी कहा जाता है.
PUC सर्टिफिकेट पर कई बार उत्सर्जन मानक का जिक्र होता है. हालांकि यह हर राज्य में अनिवार्य नहीं है, लेकिन कुछ मामलों में यहां BS नॉर्म लिखा मिल सकता है. अगर नहीं लिखा है तो PUC सेंटर ऑपरेटर से पूछकर भी जानकारी ली जा सकती है.
कुछ वाहनों में बोनट के अंदर, दरवाजे के फ्रेम या इंजन बे में एक एमिशन लेबल लगा होता है. इस लेबल पर वाहन का एमिशन स्टैंडर्ड यानी BS3 या BS4 लिखा होता है. पुराने वाहनों में यह स्टिकर फीका या गायब भी हो सकता है, इसलिए इसे एकमात्र आधार न बनाएं.
सरकार का mParivahan ऐप वाहन से जुड़ी सभी आधिकारिक जानकारियां देता है. ऐप में वाहन नंबर डालते ही फ्यूल टाइप, रजिस्ट्रेशन डेट और एमिशन नॉर्म की जानकारी मिल जाती है. यह तरीका सबसे भरोसेमंद माना जाता है क्योंकि डेटा सीधे सरकारी रिकॉर्ड से आता है.
कई लोग BS3 और BS4 को लेकर भ्रम में रहते हैं और अनजाने में नियम तोड़ बैठते हैं. आज के सख्त एंटी-पॉल्यूशन दौर में सही जानकारी ही आपकी सबसे बड़ी सुरक्षा है. एक मिनट में की गई जांच आपको चालान, फ्यूल बैन और कानूनी परेशानी से बचा सकती है. इसलिए यदि आपको अपने वाहन को लेकर कन्फ्यूजन है तो गाड़ी सड़क पर निकालने से पहले इन बातों की तस्दीक कर लें.
अश्विन सत्यदेव