नृत्य परंपरा में पदार्पण का पहला कदम, काव्या नवानी ने भरतनाट्यम की पहली एकल प्रस्तुति से मोहा मन

नृत्य साधना की शब्दावली में यह अरंगेत्रम था. अरंगेत्रम यानी कि किसी नृत्यांगना का मंच पर पहला प्रवेश, पहला पदार्पण और दर्शकों के मध्य पहली एकल प्रस्तुति. अरंगेत्रम, वर्षों की चली आ रही उस नृत्य साधना का दीक्षा समारोह है, जब गुरु अपनी देखरेख में यह घोषित करते हैं कि उनका यह शिष्य या शिष्य अब एकल प्रस्तुति के लिए तैयार है.

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भरत नाट्यम की पहली प्रस्तुति देतीं काव्या नवानी भरत नाट्यम की पहली प्रस्तुति देतीं काव्या नवानी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 10:59 PM IST

मंच पर हल्की-हल्की रोशनी है. धीरे-धीरे वाद्ययंत्रों की संगति से सुर प्रकट हो रहे हैं और इन्हीं के साथ मंच के केंद्रीय भाग में रोशनी का समूह तेजी से बढ़ता है. प्रकाश पुंज के इस समूह के बीच अपने नृत्य भावों के साथ प्रवेश करती हैं काव्या नवानी और 'भरतनाट्यम' नृत्य की एक प्राचीन परंपरा जीवंत होने लगती है.

क्या है अरंगेत्रम?
नृत्य साधना की शब्दावली में यह अरंगेत्रम था. अरंगेत्रम यानी कि किसी नृत्यांगना का मंच पर पहला प्रवेश, पहला पदार्पण और दर्शकों के मध्य पहली एकल प्रस्तुति. अरंगेत्रम, वर्षों की चली आ रही उस नृत्य साधना का दीक्षा समारोह है, जब गुरु अपनी देखरेख में यह घोषित करते हैं कि उनका यह शिष्य या शिष्य अब एकल प्रस्तुति के लिए तैयार है, और चिन्मय मिशन सभागार में गूंजती तालियों की गड़गड़ाहट इस बात की साक्षी थीं कि काव्या ने अपने गुरु के प्रशिक्षण, उनकी साधना और उनके दिग्दर्शन का पूरा मान रखा. 

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काव्या नवानी ने दी पहली एकल प्रस्तुति
भरतनाट्यम में उनकी प्रस्तुति ने राजधानी की सावन की शाम को झुमा दिया. पद्मश्री विदुषी गीता चंद्रन द्वारा स्थापित नाट्यवृक्ष संस्था की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम ने सिर्फ एक कलाकार से लोगों कोल परिचित कराया, बल्कि कठिन परिश्रम और भक्ति के साथ संजोई जानी वाली एक परंपरा से भी अवगत कराया. इसे गुरु और शिष्या के बीच अनुशासन और कलात्मक गहराई में निहित एक शक्तिशाली संवाद के तौर पर देखना चाहिए.

इस मौके पर बतौर विशिष्ट अतिथि राज बब्बर ने अपनी भावनाएं जाहिर करते हुए कहा कि, 'यह शाम न केवल शिष्या के लिए, बल्कि उस गुरु के लिए भी यादगार रहेगी, जिसने इतने धैर्य के साथ कलाकार को तराशा, परिष्कृत किया और इस अद्भुत क्षण तक पहुंचाया. भरतनाट्यम केवल एक नृत्य रूप नहीं है. यह एक आंतरिक यात्रा है. एक आध्यात्मिक साधना है. यह एक पवित्र कला है, जो सिखाने वाले और ग्रहण करने वाले दोनों को शांति प्रदान करती है.

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चिन्मय मिशन सभागार में हुआ आयोजन
भरतनाट्यम नृत्यांगना काव्या नवानी ने बीते रविवार को 'अरंगेत्रम' — यानी अपनी पहली एकल मंच प्रस्तुति दी. राजधानी दिल्ली के लोधी एस्टेट स्थित चिन्मय मिशन सभागार में हुई उनकी इस प्रस्तुति ने मंच पर प्राचीन भरतनाट्यम नृत्य को जीवंत कर दिया. कार्यक्रम का आयोजन काव्या की गुरु, प्रसिद्ध नृत्यांगना गीता चंद्रन की ओर से किया गया था, बता दें कि यह कार्यक्रम नृत्य संस्था 'नाट्य वृक्ष' द्वारा किया गया, जिसकी स्थापना गीता चंद्रन ने ही की है.  गीता चंद्रन पद्मश्री और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कारों से सम्मानित विख्यात भरतनाट्यम कलाकार हैं.

इस मौके पर अभिनेता व पूर्व सांसद राज बब्बर ने भी कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की. काव्या नवानी पांच वर्ष की उम्र से गीता चंद्रन के मार्गदर्शन में भरतनाट्यम का प्रशिक्षण ले रही हैं. उन्होंने इससे पूर्व दिल्ली हाट, नीति बाग लॉन और गार्डन ऑफ फाइव सेंसिस में आयोजित कार्यक्रमों में प्रस्तुति दी है. उन्हें इंदौर और दिल्ली में आयोजित नृत्य महोत्सवों में 'नृत्यकला पुरस्कार' से भी सम्मानित किया जा चुका है.

सीखने का अहम हिस्सा है अरंगेत्रम
अरंगेत्रम वह चरण होता है जब एक विद्यार्थी वर्षों के अभ्यास और प्रशिक्षण के बाद मंच पर स्वतंत्र रूप से प्रस्तुति देने के लिए तैयार माना जाता है. गीता चंद्रन का कहना है कि ऐसी प्रस्तुतियां पारंपरिक सीखने की प्रक्रिया का अहम हिस्सा हैं और शास्त्रीय नृत्य की परंपरा को जीवंत बनाए रखने में सहायक होती हैं.

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