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फायदे की बात

Marigold Flower Farming: गेंदे के फूलों की खेती ने बदल दी महिला किसान की जिंदगी, चंद महीनों में कमाया एक लाख का Profit

सत्यजीत कुमार
  • रांची,
  • 15 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 1:44 PM IST
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Genda Phool Ki Kheti: झारखंड के बोकारो स्थित कसमार प्रखंड के मुरूलसुदी पंचायत का चौरा गांव. यहां गेंदे के फूल न सिर्फ फिजा में खुशबू बिखेर रहे हैं, बल्कि महिला किसानों की जिंदगी भी संवार रहे हैं. लिलू देवी उन महिला किसानों में से एक हैं, जिन्होंने महज कुछ महीनों में गेंदे के फूल की खेती कर अपने परिवार की जिंदगी बदल दी. लिलू देवी ने महज कुछ हजार रुपये से गेंदा के फूल की खेती शुरू की. इसके चार महीने बाद ही उसने एक लाख रुपये से अधिक का मुनाफा कमा लिया. 

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लिलू देवी ने बताया, ''राज्य सरकार की मदद से मैंने गेंदा फूल की खेती का प्रशिक्षण प्राप्त किया. सरकार की मदद से पश्चिम बंगाल से लाकर हाइब्रिड नस्ल के पांच हजार गेंदे के फूल लगाए. इस कार्य में स्नातक उतीर्ण बेटा लगुन किस्कू एवं परिवार के अन्य सदस्यों ने भी हाथ बंटाए. अब अच्छी आमदनी हो रही है.''

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धान एवं टमाटर की खेती से निराशा ने जगाई उम्मीद: कसमार प्रखंड के अन्य किसानों समेत लिलू देवी को पिछले दो वर्षों से पारंपरिक खेती धान एवं टमाटर की फसल से उम्मीद अनुरूप उत्पादन नहीं होने से काफी निराशा हुई. कई किसानों ने नई फसल लगाने का मन बनाया. इसी दौरान सरकार द्वारा महिलाओं को मल्टी ग्रेन खेती करने के लिए प्रेरित किया गया. लिलू ने भी इसमें रुचि दिखाई और परिवार के सभी सदस्यों ने भी हामी भरी. इसके बाद सरकार से ऋण प्राप्त कर गेंदा फूल की खेती शुरू की. इसके साथ खेत में सरसों और अरहर की भी मिक्स खेती की और यह प्रयोग सफल रहा.

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व्यपारी खरीद लेते हैं फूल: गेंदा के फूल की खेती से हो रही आमदनी से किसान काफी खुश हैं. इनके फूलों को बोकारो के अतिरिक्त रामगढ़/बोकारो में भेजा जाता है. व्यापारी फूलों को खरीद लेते हैं. इस फसल की खेती में अच्छा मुनाफा है. महज डेढ़ से दो रुपए के पौधे से बनी माला बाजार में आसानी से 10 से 12 रुपए में बिक जाती है. त्योहारी माहौल में एक माला 20 से 25 रुपए में बिकती है. इस तरह राज्य सरकार के प्रयास से किसान पारंपरिक खेती के साथ फूलों की खेती कर अपने जीवन में सुगंध बिखेर जीवन को संवार रहे हैं.

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बोकारो के उपायुक्त कुलदीप चौधरी ने बताया कि महिलाओं द्वारा जिले के विभिन्न प्रखंडों/पंचायतों में गेंदा व अन्य फूल की खेती की जा रही है. इससे वे आत्मनिर्भर हो रही हैं. यह एक सकारात्मक बदलाव है. फूलों की खेती के लिए जिले के अन्य क्षेत्रों में भी प्रचार-प्रसार कर प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

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