उत्तर प्रदेश का फिरोजाबाद जिला आलू का सबसे बड़ा उत्पादक रहा है. यहां कभी आलू की फसल से किसानों को अच्छा मुनाफा होता है और कभी-कभी ऐसा भी होता है कि किसान को अपनी फसल की लागत तक नहीं मिल पाती. इस वर्ष भी ऐसा ही हो रहा है. सिरसागंज, शिकोहाबाद, नारखी, फिरोजाबाद के देहाती इलाकों में 80 फीसदी किसान आलू की फसल का उत्पादन करते हैं.
सबसे बड़े आलू के उत्पादक वाले इलाके सिरसागंज के किसान राम मोहन, प्रवीण कुमार और ध्रुव सिंह की माने तो इस बार आलू की थोक बिक्री 400 रुपये से 450 रुपये पैकेट (प्रति 50 किलो) है. जबकि किसान की आलू फसल की लागत ही 9 रुपये प्रति किलो आती है. इसके अलावा कोल्ड स्टोरेज में आलू रखने का किराया 110/ रुपये प्रति पैकेट ( 50 किलो) अलग से है. वहीं खुदरा बिक्री की बात करें तो सब्जी मंडियों द्वारा फुटकर में आलू 12 रुपये से 15 रुपये प्रति किलो बेचा जा रहा है. फिर भी आलू जितना बिकना चाहिए था उतना नहीं बिक रहा. ऐसे में आलू उत्पादक किसान मुसीबत में आ गया है.
सब्जी मंडी में आलू के फुटकर विक्रेता रहीस बताते हैं कि इस बार अन्य सभी सब्जियों बैंगन, लौकी, तोरई, टमाटर, टिंडे व काशीफल की फुटकर रेट पिछले वर्ष की तुलना में बहुत कम है. जिस कारण लोग आलू कम खा रहे हैं. आलू का उठान बहुत कम है. इसीलिए सस्ता बिक रहा है.
दरअसल, इस वर्ष मंदी के कारण किसानों ने अधिकांश जगह पर आलू की फसल लगाई थी. उम्मीद ये थी कि पिछले वर्ष की तरह इसबार भी आलू की फसल अच्छा मुनाफा देगी. ये सोचकर ही किसानों ने बहुत बड़ी तादाद में आलू की फसल का उत्पादन कर कोल्ड स्टोरेज में रखा.
नही निकल रहा कोल्ड स्टोरेज से आलू
कोल्ड स्टोरेज स्वामी किसानों को अपने आलू निकालने के लिए कहते हैं. लेकिन किसानों को लागत नहीं मिल पा रही जिस कारण से कोल्ड स्टोरेज से आलू नहीं निकल रहा है. सिरसागंज के 200 बीघा में आलू की खेती करने वाले डाहिनी के रहने वाले किसान अनुज यादव के मुताबिक कोल्ड स्टोरेज का मालिक 110 रुपये प्रति पैकेट (50 किलो) उनसे आलू रखने का किराया लेते हैं. लेकिन आलू की जब लागत ही नहीं मिल रही है तो वह कोल्ड स्टोरी से आलू निकालकर क्या करें.
कोल्ड स्टोरेज से निकालने के बाद यदि 4 दिन में आलू खाया नहीं गया तो आलू सड़ जाता है फिर उसे फेंकना ही पड़ता है. यदि आलू सड़ गया तो उसमें कीड़े भी जल्दी पड़ जाते हैं, जिसके बाद आलू को फेंकना या जमीन में दबा देना भी अपने आप में एक समस्या है. ऐसे में आलू उत्पादन करने वाले किसानों के सामने बड़ी आर्थिक समस्या खड़ी हो गई है. किसान चाहते हैं कि सरकार उनकी कुछ ना कुछ आर्थिक मदद करे.
सुधीर शर्मा