जम्मू-कश्मीर: कोरोना में गई नौकरी तो लोगों ने शुरू की ऑर्गेनिक फार्मिंग, हो रहा मुनाफा

Organic Farming in Jammu and Kashmir:  किसान अपनी पारंपरिक खेती छोड़ ऑर्गेनिक खेती की तरफ अपना रूख कर रहे हैं. जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में किसान ऑर्गेनिक खेती (Organic Farming) से मुनाफा कमा रहे हैं.

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Organic farming in Kashmir Organic farming in Kashmir

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 1:08 PM IST

Organic Farming in Jammu & Kashmir: जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में किसान ऑर्गेनिक खेती (Organic Farming) से मुनाफा कमा रहे हैं. राजौरी जिले के दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले लोगों ने कोरोना महामारी के कठिन समय का सामना करने के बाद ऑर्गेनिक खेती (Organic Farming) कर अपनी आय में वृद्धि की है. राजौरी जिले के केरी डूंगी प्रखंड के किसान खीरा, मिर्च, भिंडी, करेला आदि जैविक सब्जियां उगाकर बेच रहे हैं. वे यूरिया या अन्य रासायनिक उर्वरकों (chemical fertilizers) का उपयोग नहीं करते हैं.

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इसके अलावा गरीब किसान जिनके पास खेती करने के लिए कम जमीन है, वह सभी प्रकार की एकीकृत खेती जैसे सब्जियां, मक्का, फल आदि उगाते हैं. अब सीमावर्ती क्षेत्रों के गरीब किसान आत्मनिर्भर हो रहे हैं. केरी सीमावर्ती क्षेत्रों के किसान ऑर्गेनिक सब्जियों का व्यवसाय कर रहे हैं. वह घर-घर जाकर ऑर्गेनिक सब्जियां बेच रहे हैं.

समाचार एजेंसी के अनुसार, ऑर्गेनिक खेती कर रहे किसान कार्तिक का कहना है कि यदि आप किसी भूमि में मक्का उगाते हैं, तो आपको छह से सात क्विंटल मक्का मिल जाएगी. इससे आप 10,000- 20,000 रुपये कमा सकते हैं, लेकिन यदि आप उसी भूमि पर सब्जियां उगा रहे हैं, तो मक्का से चार गुना कमा सकते हैं. 

आर्गेनिक खेती करने वाले किसान इससे खुश हैं. राजौरी जिले में ऑर्गेनिक खेती के बारे में कृषि विभाग ने भी किसानों को जागरुकता प्रदान की है. जिससे उनकी आय में दिन रात वृद्धि हुई है. 

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वहीं, दूसरी तरफ बात करें तो राज्य के बाकी हिस्सों में भी किसान पारंपरिक खेती के अलावा नई फसलों की खेती कर रहे हैं. कश्मीर की महिला शाहीन शादाब ने दक्षिण कश्मीर के पुलवामा गांव में एक लैवेंडर की खेती कर रहे हैं. ये महिला सेब के खेतों में लैवेंडर की खेती कर रही है. महिला ने 50 एकड़ सेब के बाग में पेड़ों के बीच में खाली जगह में लैवेंडर के पौधे लगाए हैं. महिला 2014 से ये खेती कर रही हैं. इनसे प्रेरणा लेकर बाकी किसान भी इस तरीके को अपना रहे हैं. 

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