येर लैपिड (Yair Lapid) नेफ्ताली बेनेट के बाद इजरायल के 14वें प्रधानमंत्री बन गए हैं. नवंबर में होने वाले आम चुनावों से पहले बेनेट की गठबंधन सरकार में विदेश मंत्री रहे लैपिड को अंतरिम राष्ट्रपति बनाया गया है. बेनेट और लैपिड ने अलग-अलग विचारधारा की आठ पार्टियों के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाई थी. सरकार को लेकर शुरू से ही कहा जा रहा था कि ये ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगी और हुआ भी वही.
अब नेफ्ताली बेनेट की जगह लैपिड को कुछ महीनों के लिए अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया है. बेनेट के साथ गठबंधन सरकार के गिरने की घोषणा करते हुए लैपिड ने कहा कि हम अगले कुछ महीनों में चुनाव लड़ने जा रहे हैं लेकिन हमारे देश की राह में आने वाली चुनौतियां इसका इंतजार नहीं कर सकतीं.
पत्रकार रह चुके हैं लैपिड
लैपिड का जन्म साल 1963 में इजरायल के शहर तेल अवीव में हुआ था. उनकी मां एक लेखिका थीं और पिता पत्रकार. लैपिड ने इजरायल की अपनी अनिवार्य सेना सेवा के दौरान सेना की एक मैगजीन के लिए बतौर रिपोर्टर काम किया. उन्होंने कभी यूनिवर्सिटी की पढ़ाई नहीं की लेकिन वह काफी इंटेलिजेंट थे.
राजनीति में आने से पहले वह अखबारों में कॉलम लिखते थे. उन्होंने किताबें और स्क्रिप्ट लिखी, कई गानों के लिरिक्स भी लिखे. अपने गुड लुक्स के कारण उन्हें फिल्मों और टीवी में अभिनय का मौका भी मिला.
उन्होंने एक टीवी एंकर के रूप में भी काम किया. इस दौरान वो नेताओं से तीखे सवाल पूछने के लिए जाने जाते थे. उसी समय का एक वीडियो इंटरव्यू उनके राजनीति में आने के बाद काफी वायरल हुआ था और उनकी काफी आलोचना भी की गई. बाद में वित्त मंत्री बने लैपिड ने बेंजामिन नेतन्याहू के साथ उस वीडियो इंटरव्यू में कहा था कि वो अर्थशास्त्र के बारे में कुछ नहीं जानते.
साल 2011 में लैपिड ने Yesh Atid Party बनाई और राजनीति में कदम रखा. इसके बाद बेंजामिन नेतन्याहू की लिकुड पार्टी के साथ मिलकर साल 2013 में वो सत्ता में आए. नेतन्याहू ने उन्हें वित्त मंत्री बनाया लेकिन मतभेदों के चलते साल 2014 में ही उन्होंने नेतन्याहू का साथ छोड़ दिया. इसके बाद वो बेनेट के साथ सरकार बनाकर दोबारा सत्ता में आए और बतौर विदेश मंत्री काम कर रहे थे.
भारत को लेकर लैपिड की राय
लैपिड ने विदेश मंत्री रहते हुए पीएम मोदी के अलावा विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी द्विपक्षीय मुलाकात की है. वह भारत और इजरायल के बेहतर संबंधों के पक्षधर रहे हैं. जून 2021 में जब वो बेनेट के साथ सत्ता में आए थे तब उन्होंने कहा था कि इजरायल की नई सरकार भारत के साथ रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने पर काम करेगी.
इसके बाद अक्टूबर 2021 में जब एस जयशंकर इजरायल यात्रा पर थे तब लैपिड ने उन्हें दोस्त कहकर संबोधित किया था. लैपिड ने दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध को 30 साल पूरे होने पर भारत को बधाई दी थी और जयशंकर को इजरायल आने के लिए उनका धन्यवाद दिया था.
भारतीय प्रधानमंत्री जब इजरायल के दौरे पर थे तब लैपिड ने भारत-इजरायल द्विपक्षीय संबंधों पर जोर दिया था. अब जब वह खुद, कम समय के लिए ही सही लेकिन इजरायल के प्रधानमंत्री हैं तो ये देखना होगा कि भारत के साथ इजरायल के संबंधों को वह कैसे आगे बढ़ाते हैं.
लैपिड के लिए बतौर प्रधानमंत्री क्या हैं चुनौतियां?
लैपिड को बतौर प्रधानमंत्री काफी कम समय मिला है. फिलीस्तीन- इजरायल का मुद्दा उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है. माना जा रहा है कि वह पहले के प्रधानमंत्रियों की तुलना में फिलीस्तीन पर नरम रुख अपनाएंगे.
लैपिड पहले भी इजरायल फिलीस्तीन विवाद के निपटारे के लिए दो राष्ट्रों के सिद्धांत की बात कर चुके हैं. लेकिन फिलीस्तीनियों के अलग राष्ट्र की बात करने के बावजूद भी वह कई मुद्दों पर किसी तरह का समझौता करने के लिए तैयार नहीं हैं. ईरान और आतंकवाद का मुद्दा भी लैपिड के लिए एक बड़ी चुनौती है. विपक्ष लैपिड को तेल अवीव का अमीर और प्रिविलेज एलिट बताकर उन पर निशाना साधता है. लैपिड को अपनी इस छवि से भी लड़ना होगा.
लैपिड को बतौर प्रधानमंत्री अगले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का स्वागत का भी मौका मिलेगा जब वो इजरायल दौरे पर होंगे. सितंबर में लैपिड संयुक्त राष्ट्र महासभा को भी संबोधित करेंगे.