
मिडिल ईस्ट इस समय अब तक के सबसे बड़े उथल-पुथल भरे दौर से गुजर रहा है. कई मोर्चों पर जंग के बीच सीरिया पर विद्रोहियों का कब्जा हो चुका है. राष्ट्रपति बशर अल असद ने अपने परिवार सहित रूस में राजनीतिक शरण ले ली है. इस बीच सीरिया से ऐसी कई तस्वीरें सामने आ रही हैं, जो हमें श्रीलंका, अफगानिस्तान और बांग्लादेश की याद दिला रही हैं.
सीरिया इस फेहरिस्त में चौथा ऐसा देश है, जहां विद्रोहियों के कब्जे के बाद राष्ट्रपति देश छोड़कर फरार हो चुका है. इस बीच सीरिया से ऐसी कई तस्वीरें और वीडियो सामने आए, जिसमें लोगों को राष्ट्रपति भवन के भीतर लूटपाट करते और हुड़दंग मचाते देखा गया. इसी तरह की लूटपाट श्रीलंका के राष्ट्रपति भवन, बांग्लादेश के बंगभवन और काबुल से भी देखने को मिली थी.

इन तस्वीरों में देखा जा सकता है कि लोगों की भीड़ राष्ट्रपति भवन पर टूट पड़ी है. लोगों के बीच में सामान लूटने की होड़ मची है. राष्ट्रपति भवन में हर तरफ सामान बिखरा पड़ा है. लोग बिखरे हुए सामानों के बीच अंधेरे के बीच टॉर्च जलाकर कुछ तलाश कर रहे हैं.

एक तस्वीर में एक महिला को डिजाइनर कपड़ों के साथ राष्ट्रपति भवन से बाहर निकलते देखा जा सकता है. इस महिला ने अपने कंधों पर कपड़ों का ढेर रखा हुआ है और वह खुशी से झूमते हुए बाहर निकल रही हैं.

राष्ट्रपति भवन में घुसी भीड़ सिर्फ लूटपाट ही नहीं कर रही बल्कि वहां महंगे सोफों पर बैठकर फोटो और सेल्फी भी ले रही है.

2011 में अरब स्प्रिंग की लहर ने पूरे क्षेत्र को हिला दिया. सीरिया में भी लोग सड़कों पर उतरे और लोकतंत्र, नागरिक स्वतंत्रता और राजनीतिक बंदियों की रिहाई की मांग करने लगे. बशर अल-असद ने इन विरोधों को विदेशी साजिश बताया और प्रदर्शनकारियों को आतंकवादी करार दिया. उनकी सेना ने प्रदर्शनकारियों पर हिंसक कार्रवाई की, जिससे विरोध तेज हो गया. जल्द ही, यह शांतिपूर्ण आंदोलन एक बड़े सशस्त्र संघर्ष में बदल गया.
राष्ट्रपति भवन में उमड़ी भीड़ ने पूरे प्रेसिडेंशियल हाउस में उत्पात मचा दिया. इन तस्वीरों ने हमें श्रीलंका, अफगानिस्तान और बांग्लादेश की याद दिला दी, जहां भीड़ ने इसी तरह लूटपाट की थी.

बता दें कि 27 नवंबर को विपक्षी लड़ाकों ने सीरियाई सेना पर बड़ा हमला किया. पहला हमला विपक्ष के कब्जे वाले इदलिब और पड़ोसी अलेप्पो के बीच अग्रिम मोर्चों पर किया गया. तीन दिन बाद विपक्षी लड़ाकों ने सीरिया के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर कब्जा कर लिया.

सीरिया में विपक्षी हयात तहरीर अल शाम संगठन की अगुवाई में ऑपरेशन डिटरेंस ऑफ एग्रेशन शुरू किया गया था. अबू मोहम्मद अल-जोलानी के नेतृत्व में HTS सबसे बड़ा और सबसे संगठित है, जिसने इस हमले से पहले कई सालों तक इदलिब पर शासन किया था.

सीरिया से पहले कहां-कहां हुए तख्तापलट?
बांग्लादेश में पांच अगस्त 2024 को हिंसा के बाद लोग प्रधानमंत्री हाउस में घुस गए थे. इस दौरान लोगों ने पीएम हाउस में जमकर लूटपाट की थी.

श्रीलंका में आठ जुलाई 2022 को तख्तापलट हो गया था. दरअसल श्रीलंका को दिवालिया घोषित कर दिया गया था. इससे नाराज लोग राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के सरकारी आवास में घुस गए थे और जमकर लूटपाट की थी. इस बीच राष्ट्रपति गोटबाया देश छोड़कर फरा हो गए थे.

अफगानिस्तान में अगस्त 2021 में तालिबान का कब्जा हो गया था. अमेरिकी फौजों की अफगानिस्तान से वापसी के ऐलान के बाद तालिबान ने धावा बोल दिया था और अफगानी सेना ने हार मान ली थी. इस बीच राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए थे.

बता दें कि असद के देश छोड़ने के बाद सीरियाई प्रधानमंत्री ने विद्रोहियों को सत्ता सौंपने का प्रस्ताव दिया है. PM मोहम्मद गाजी अल जलाली ने एक वीडियो में कहा कि वो देश में ही रहेंगे और जिसे भी सीरिया के लोग चुनेंगे, उसके साथ मिलकर काम करेंगे.
एक हफ्ते में विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क के अलावा सीरिया के चार बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया है, अब सवाल ये है कि सीरिया में अब आगे क्या होगा? विद्रोहियों की जीत के साथ ही सीरिया में बशर अल-असद के 24 साल के शासन और देश में 13 साल से चल रहे गृह युद्ध का अंत हो गया है. अब सीरिया की राजधानी दमिश्क पर हयात अल-शाम का कब्जा है.