पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में सुरक्षा बलों और साद हुसैन रिज़वी के नेतृत्व वाली तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के प्रदर्शनकारियों के बीच हुई हिंसक झड़पों के वीडियोज सामने आ रहे हैं.
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पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को कंट्रोल में करने के लिए लाठीचार्ज का सहारा लिया और आंसू गैस के गोले दागे, जिससे कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए. इसके अलावा आगजनी हुई और संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा है.
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प्रदर्शनकारियों ने अर्धसैनिक बल पर अत्याधुनिक हथियारों से गोलीबारी करने का आरोप लगाया है. साथ ही पुलिस और सुरक्षाबलों के जवानों ने इस्लामाबाद के रेड जोन को किले में तब्दील कर दिया है और कई होटलों को खाली करा दिया गया है.
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इस लड़ाई में पाकिस्तान सरकार की नाकामी साफ़ दिखाई देती है. टीएलपी ने सरकार-विरोधी, गाजा-समर्थक और इज़राइल-विरोधी अभियान के तहत लाहौर से इस्लामाबाद तक एक लंबा मार्च निकाला, जिसके परिणामस्वरूप मुरीदके में पुलिस की बड़ी कार्रवाई हुई.
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कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) ने का कहना है कि पुलिस ने उसके 11 समर्थकों पर गोली बरसाई हैं और रेंजर्स ने बख्तरबंद वाहन से 70 लोगों को कुचल दिया. पुलिस के इन हमलों में कई लोग घायल हुए हैं.
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अधिकारी ने बताया, 'मुख्य झड़पें लाहौर के शाहदरा और मुरीदके इलाकों के बीच हुईं, जिसमें दर्जनों पुलिसकर्मी और टीएलपी कार्यकर्ता घायल हो गए.' उन्होंने बताया कि खारियां शहर में जीटी रोड पर वाहनों की आवाजाही रोकने के लिए एक गड्ढा खोद दिया गया है.
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डॉन न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, लाहौर में शुक्रवार को हुई झड़पों में टीएलपी ने अपने 10 से ज्यादा कार्यकर्ताओं की मौत का दावा किया, हालांकि, उनके इस दावे की अभी तक पुष्टि नहीं हुई है.
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लाहौर में भी फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों के दौरान भारी हिंसा भड़की, जिससे शहर के कई प्रमुख चौराहों पर अराजकता फैल गई. उप महानिरीक्षक (DIG) लाहौर पुलिस के अनुसार, इन हिंसक झड़पों में 112 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और कई पुलिसकर्मी लापता बताए जा रहे हैं.
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प्रदर्शनकारियों ने यातिम खाना चौक, चौबुर्जी, आजादी चौक और शाहदरा जैसे महत्वपूर्ण मार्गों पर लगे बैरिकेड्स को तोड़ दिया. प्रदर्शनकारी इस्लामाबाद स्थित अमेरिकी दूतावास तक पहुंचकर गाजा के समर्थन में प्रदर्शन करना चाहते थे, लेकिन सुरक्षा बलों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, जिससे भीषण झड़पें हुईं. यह घटनाक्रम शहर की कानून व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है.
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ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने मरीदके के आतंकी ठिकानों पर हमला किया था. मुरीदके को लंबे समय से लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) सशस्त्र समूह का गढ़ माना जाता है, जिस पर भारत और अन्य देश भारतीय धरती पर घातक हमले करने का आरोप लगाते रहे हैं, जिनमें नवंबर 2008 में मुंबई में हुए हमले भी शामिल हैं.
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पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच 2,640 किलोमीटर लंबी डूरंड रेखा (Durand Line) लगातार तनाव में है, क्योंकि अफगानिस्तान इसे मान्यता नहीं देता. तालिबान के सत्ता में आने के बाद से सीमा पार आतंकी घुसपैठ बढ़ी है. इस घुसपैठ से निपटने के लिए, पाकिस्तान अक्सर अफगानिस्तान के अंदर ड्रोन हमले करता है, जिससे दोनों देशों के संबंध बिगड़ रहे हैं. हालिया संघर्ष उसी का नतीजा है, जिसमें अफगान पक्ष के अधिक नुकसान की खबर है और दोनों तरफ के लोग डर के साए में जी रहे हैं.
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