आजकल भारतीय यात्रियों के लिए घूमने का मतलब सिर्फ़ एक जगह से दूसरी जगह जाना नहीं रहा. खासकर युवा पीढ़ी, जिसमें मिलेनियल्स और जेन Z शामिल हैं, ने ट्रैवल को पूरी तरह से नया रूप दे दिया है. अब वे सिर्फ़ मशहूर जगहों की लिस्ट नहीं देखते, बल्कि ऐसी यात्राएं चाहते हैं जो उन्हें यादगार एक्सपीरियंस दे सकें. इन यात्रियों के लिए अब यात्रा का मतलब है खुद से जुड़ाव बनाना, नई चीज़ें सीखना और दोस्तों-परिवार के साथ यादगार पल बिताना. ये यात्री न सिर्फ ज़्यादा खर्च कर रहे हैं, बल्कि इस बारे में सोच-समझकर फ़ैसला ले रहे हैं कि वे कहां और किसके साथ यात्रा करेंगे.
Booking.com की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय यात्री अब साथ में घूमने के तरीके को नया रूप दे रहे हैं. इसमें 62 फीसदी भारतीय मिलेनियल्स अपने परिवार के साथ यात्रा करना पसंद करते हैं. वहीं, जेन Z अब अपने दोस्तों के साथ भी यात्राएं प्लान कर रहे हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि ये लोग यात्रा का खर्च भी उठाने को तैयार हैं. सर्वे के अनुसार, 89 फीसदी मिलेनियल्स और 88 फीसदी जेन Z अपने माता-पिता या बच्चों की यात्रा का खर्च उठाना पसंद करते हैं. दोस्तों के साथ यात्रा के मामले में भी यही ट्रेंड दिखता है, जहां 83 फीसदी जेन Z दोस्तों की छुट्टियों का खर्च उठाने को तैयार हैं.
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भारतीय यात्री अब अपनी छुट्टियों पर ज़्यादा खर्च कर रहे हैं, लेकिन वे सोच-समझकर पैसा लगाते हैं. इस साल 42 फीसदी मिलेनियल्स और 89 फीसदी जेन Z ने यात्रा पर ज़्यादा खर्च करने की योजना बनाई है. यह एशिया-प्रशांत क्षेत्र के औसत से बहुत ज़्यादा है. इन यात्रियों का मानना है कि एक यादगार एक्सपीरियंस के लिए वे बजट की परवाह नहीं करते. वहीं, 65 फीसदी मिलेनियल्स और 57 फीसदी जेन Z ने माना कि यादगार छुट्टी के लिए वे अपना बजट पार कर सकते हैं. हालांकि, वे सबसे बेहतर डील और विकल्प खोजने में भी सतर्क रहते हैं, ताकि उन्हें अपने पैसे का पूरा मूल्य मिल सके.
जहां एक तरफ लोग अपने प्रियजनों के साथ घूमना पसंद कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ अकेले यात्रा का ट्रेंड भी बढ़ रहा है. 68 फीसदी जेन Z और 65 फीसदी मिलेनियल्स अकेले यात्रा की योजना बनाते हैं ताकि वे आराम कर सकें और खुद को तरोताज़ा कर सकें. वे यात्रा को एक निवेश के रूप में देखते हैं, जो उन्हें खुद को बेहतर ढंग से समझने और नई चीज़ों को खोजने में मदद करता है.
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भारतीय यात्री रोमांच और सुरक्षा दोनों को बराबर महत्व देते हैं. जब वे कोई जगह चुनते हैं, तो उनकी पहली प्राथमिकता सुरक्षा होती है, उसके बाद पैसे का मूल्य और अच्छा मौसम आता है. जेन Z के लिए रोमांच 46 प्रतिशत और खाने-पीने 45 प्रतिशत का शौक सबसे बड़ा प्रेरणा स्रोत है. वहीं, मिलेनियल्स के लिए खाना 50 प्रतिशत, संस्कृति 48 प्रतिशत और रोमांच 48 प्रतिशत का अनुभव सबसे ज़्यादा मायने रखता है.
कुल मिलाकर, यह साफ है कि भारतीय यात्रियों के लिए यात्रा का मतलब अब सिर्फ़ दर्शनीय स्थल देखना नहीं है. वे ऐसी यात्राएं चाहते हैं, जो उन्हें गहराई से जोड़ सकें. वे चाहे अकेले घूम रहे हों या दोस्तों और परिवार के साथ, उनका मकसद स्थायी यादें बनाना, नई संस्कृतियों को जानना और हर एक्सपीरियंस से कुछ नया सीखना है. मिलेनियल्स और जेन Z के ये बदलते रुझान आने वाले समय में भारतीय पर्यटन के भविष्य को पूरी तरह से बदल देंगे.