क्या गूगल आपकी बातें सुनता है? वैसे तो गूगल वॉयस असिस्टेंट फीचर ऑफर करता है, जिसे आप Ok Google बोलकर एक्टिवेट कर सकते हैं. आप अपने स्मार्टफोन पर माइक्रोफोन के आइकन पर क्लिक करके भी गूगल वॉयस सर्च का इस्तेमाल कर सकते हैं. मगर कई यूजर्स का कहना है कि गूगल ये सब किए बिना भी उनकी बातें सुनता है.
मसलन किसी यूजर्स ने अपने दोस्त से नई कार खरीदने पर चर्चा की हो. अगले दिन उन्हें ब्राउजर और फेसबुक पर गाड़ियों के ऐड्स नजर आने लगते हैं. इस तरह के आरोप टेक कंपनियों पर कई बार लग चुके हैं. साल 2016 में BBC रिपोर्टर Zoe Kleinman ने इस तरह की एक घटना का जिक्र किया था.
उन्होंने बताया था कि कैसे उन्हें एक दोस्त के कार एक्सिडेंट में मारे जाने की जानकारी मिली और अगले ही पल ये डिटेल्स उन्हें गूगल पर भी नजर आईं. ऐसा कोई पहला मौका नहीं है, जब इस तरह की चीजें हुई हैं.
हर दिनों कोई ना कोई यूजर ऐसा मिलता है, जो इसकी शियाकत करता है कि गूगल उनकी बातें सुन रहा है. क्या ये मजह एक संयोग है या फिर गूगल हमारी बातें सुनता रहता है? लोगों की मानें तो ऐसे कई मौके हैं, जब हम किसी सब्जेक्ट पर चर्चा करते हैं और हमें उसका ऐड नजर आने लगता है.
हो सकता है इस तरह के ऐड्स का दिखना महज एक संयोग हो. गूगल प्राइवेसी पॉलिसी के मुताबिक, हमारी इजाजत के बिना कंपनी हमारी बातें रिकॉर्ड नहीं करती है. लेकिन हम सभी जानते हैं कि Google, Facebook और दूसरी टेक कंपनियां ऐड्स के लिए यूजर्स की जरूरत को जानना चाहती हैं.
ऐसे में आप अपनी लाइफ को डिगूगल कर सकते हैं. आप DuckDuckGo और दूसरे ऐसे ब्राउजर्स का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो आपको ट्रैक नहीं करते हैं. इस तरह का एक ब्राउजर Brave भी है.
इन पर आपको ऐड्स नजर नहीं आएंगे. गूगल और फेसबुक दोनों ही कंपनियां इस बात से इनकार कर चुकी हैं कि वह यूजर्स के लिए स्मार्टफोन माइक्रोफोन का इस्तेमाल करते हैं और चुपके से यूजर्स की जानकारी इकट्ठा करते हैं.
फेसबुक की मानें तो वह ब्रांड्स को माइक्रोफोन डेटा के आधार पर ऐड्स दिखाने से ब्लॉक करता है. ऐसे ही दावे गूगल भी करता है. फिर सवाल आता है कि आपको ऐसे ऐड्स क्यों नजर आते हैं.
संभवतः इसका कारण डिवाइस सिंक हो सकता है. चूंकि यूजर कई डिवाइस के लिए एक ही अकाउंट यूज करते हैं. ऐसे में हो सकता है कि हमने किसी प्लेटफॉर्म पर ऐसे डिटेल सर्च की हो, जिसका ऐड हमें नजर आ रहा है.