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Exclusive : 10 साल का नन्हा श्रेयस बीरवाडकर... जिसने बास्केटबॉल में मचाया है धमाल

श्रेयस बीरवाडकर ने 10 साल की कच्ची उम्र में बास्केटबॉल के खेल में महारत हासिल कर ली. श्रेयस की सफलता में उसकी मां का काफी अहम रोल रहा है.

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श्रेयस बीरवाडकर
श्रेयस बीरवाडकर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बचपन से दिव्यांग है श्रेयस बीरवाडकर
  • ...लेकिन जुनून में नहीं आई कोई कमी

श्रेयस बीरवाडकर ने 10 साल की छोटी उम्र में अपनी अलग पहचान बना ली है. श्रेयस देश का सबसे कम उम्र का व्हीलचेयर बास्केटबॉल प्लेयर (Youngest Wheelchair Basketball Player) है. वह पिछले 6 महीने से मुंबई के लिए खेल रहा है. श्रेयस बचपन से ही दिव्यांग है, लेकिन किसी चीज को करने का जुनून बचपन से ही उसके अंदर है.

एक मां अपने बच्चे के सपनों को पूरा करने के लिए अपनी जिंदगी तक को दांव पर लगा देती है. श्रेयस की मां भी अपनी जॉब छोड़कर पूरी तरह से उसकी देखभाल में रहती हैं. दोनों मां-बेटे का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. इसमें श्रेयस की मां वैभवी बीरवाडकर उसे डांट रही हैं, क्योंकि वह खेल पर ध्यान नहीं दे रहा है.

श्रेयस की बड़ी बहन रक्षंदा ने गुड न्यूज टुडे को बताया, 'मेरा भाई बचपन से ही लोगों की मदद के लिए हमेशा आगे रहा है. हालांकि, पहले वह ज्यादा बाहर नहीं निकलता था और ज्यादा लोगों को नहीं जानता था. लेकिन बास्केटबॉल खेल शुरू करने के बाद से वह काफी खुश रहता है. श्रेयस व्हीलचेयर का इस्तेमाल नहीं करता था इसलिए शुरुआत में जब खेलना शुरू किया तो काफी परेशानियां भी हुईं. साथ ही वह सबसे छोटा प्लेयर है, जिसके चलते अलग से  व्हीलचेयर बनवाई गई. भारत में ज्यादातर छोटे बच्चे, जोकि दिव्यांग हैं वह कम ही खेलते हैं.'

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रक्षंदा ने आगे कहा, 'शुरुआती दिनों में उसे व्हीलचेयर चलाने में दिक्कत आती थी. लेकिन, अब धीरे-धीरे वह खुद अपनी व्हीलचेयर को हैंडल कर पाता है. अब वह नई-नई चीजें भी सीख रहा है.' इंस्टाग्राम पर श्रेयस ने हाल ही में एक वीडियो अपलोड किया है, जिसमें वह ढलान से नीचे उतर रहा. जब से उसने बाहर निकलना शुरू किया है, उसे बहुत कुछ सीखने को मिला है.

श्रेयस को चाइनीज फूड काफी पसंद

श्रेयस को चाइनीज फूड बहुत ज्यादा पसंद है. रक्षंदा बताती हैं, 'वह खूब लुत्फ उठाकर खाता है. हालांकि खेलने के चलते उसके डाइट प्लान का भी ध्यान रखना होता है. व्हीलचेयर बास्केटबॉल खेलने के लिए बाजुओं में जान होनी चाहिए. इसलिए श्रेयस की डाइट का काफी ख्याल भी रखा जाता है.'

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पढ़ाई में भी श्रेयस काफी अच्छा है. जब कोरोना की वजह से सब कुछ ऑनलाइन था तो श्रेयस काफी समय खेल को दे पाता था. लेकिन अब वह केवल शनिवार और रविवार को प्रेक्टिस कर पाता, ताकि पढ़ाई और खेल दोनों को बैलेंस किया जा सके. फिलहाल श्रेयस छठी क्लास में पढ़ता है. बास्केटबॉल खेलने के बाद से स्कूल में भी वह काफी एक्टिव रहता है.

 

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