एसीसी मेन्स अंडर-19 एशिया कप 2025 में पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबले में भारतीय क्रिकेटर एरॉन जॉर्ज ने बल्ले से शानदार प्रदर्शन किया. 14 दिसंबर (रविवार) को दुबई के आईसीसी एकेडमी ग्राउंड में हुए इस मैच में जॉर्ज ने 12 चौके और एक छक्के की मदद से 88 बॉल पर 85 रन बनाए. 19 वर्षीय जॉर्ज इस मैच में भारत के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज बनकर उभरे. वह भले ही अपने शतक से चूक गए, लेकिन ये इनिंग्स उनकी बढ़ती अहमियत को साफ तौर पर दिखाते हैं.
इस मुकाबले में वैभव सूर्यवंशी सिर्फ 5 रन बनाकर आउट हुए. ऐसे में एरॉन जॉर्ज ने संयम और परिपक्वता दिखाते हुए पाकिस्तान के अनुशासित गेंदबाजी आक्रमण के सामने मोर्चा संभाला. उनकी इनिंग्स बेहतरीन टाइमिंग पर आधारित थी. इसी समझदारी भरी बल्लेबाजी की बदौलत भारत एक नाजुक स्थिति से बाहर निकल सका. जॉर्ज ने पहले आयुष म्हात्रे के साथ दूसरे विकेट के लिए 49 रनों की साझेदारी की. फिर पांचवें विकेट के लिए उन्होंने अभिज्ञान कुंडू के साथ 60 रन जोड़े.
संजू सैमसन से हो रही तुलना!
वैभव सूर्यवंशी या आयुष म्हात्रे के उलट एरॉन जॉर्ज विस्फोटक शॉट्स पर निर्भर नहीं रहे. उनकी बल्लेबाजी में ऊंचा बैट लिफ्ट, शानदार फुटवर्क और मैदान के हर हिस्से में गैप खोजने की क्षमता साफ नजर आई. बिना स्लॉग किए गेंद को टाइम करने की कला के कारण सोशल मीडिया पर उनकी तुलना संजू सैमसन से होने लगी. जॉर्ज की पारी का अंत तब हुआ. जब पाकिस्तान के तेज गेंदबाज अब्दुल सुभान ने उन्हें एक बाउंसर से चौंकाया. पहली बार उन्होंने एक गैर-परंपरागत शॉट खेलने की कोशिश की और कवर रीजन में कैच दे बैठे. इस तरह उनकी वो इनिंग्स खत्म हुई, जिसने भारत की पारी को मिडिल ओवर्स में मजबूती दी.
मौजूदा टूर्नामेंट में एरॉन जॉर्ज का लगातार दूसरा फिफ्टी प्लस स्कोर रहा. इससे पहले उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के खिलाफ पहले मैच में 73 गेंदों पर 69 रन बनाए थे, जहां भारत ने वैभव सूर्यवंशी के रिकॉर्ड 171 रनों की बदौलत 433 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया था. जॉर्ज का यह प्रदर्शन भारत की जूनियर क्रिकेट में लगातार बढ़ते कद का प्रमाण है. जॉर्ज का जन्म केरल में हुआ था, लेकिन वो हैदराबाद के लिए खेलते हैं. जॉर्ज ने उस टीम की कप्तानी की थी, जिसने वीनू मांकड़ ट्रॉफी जीती थी. इस जीत के साथ हैदराबाद ने 38 साल बाद कोई बड़ा खिताब अपने नाम किया.
एरॉन जॉर्ज ने वीनू मांकड़ ट्रॉफी के पिछले दो सीजन में 341 और 373 रन बनाए हैं, जिससे वह अंडर-19 स्तर पर हैदराबाद के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज बने. उनकी नेतृत्व क्षमता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस साल बेंगलुरु स्थित भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (COE) में आयोजित अंडर-19 त्रिकोणीय सीरीज के लिए उन्हें इंडिया-बी का कप्तान बनाया गया.
एरॉन जॉर्ज की इस सफलता के पीछे परिवार का मजबूत सहयोग रहा है, खासकर उनके पिता ईसो वर्गीज का. ईसो खुद क्रिकेटर बनना चाहते थे, लेकिन समर्थन की कमी के कारण प्रोफेशनल क्रिकेट नहीं खेल सके. अंग्रेजी अखबार द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने लीग क्रिकेट खेला, फिर पुलिस में काम किया और बाद में कॉर्पोरेट सेक्टर में चले गए ताकि बेटे के करियर पर पूरा ध्यान दे सकें.
इस क्रिकेटर को मानते हैं आइडल
टेबल टेनिस और बास्केटबॉल खेलने के शौकीन एरॉन जॉर्ज साउथ अफ्रीका के पूर्व कप्तान एबी डिविलियर्स को अपना आदर्श मानते हैं. जॉर्ज के पिटारे में क्रिकेट शॉट्स की भरमार है और वो गेंद को कहीं भी हिट करने की क्षमता रखते हैं, जो उनकी सबसे बड़ी कला है. एक ही गेंद के लिए दो से ज्यादा विकल्प होना आपको ऊंचे स्तर पर ले जाता है. जॉर्ज 2022–23 के विजय मर्चेंट ट्रॉफी सीजन से ही चयनकर्ताओं की नजर में हैं, जब उन्होंने बिहार के खिलाफ नाबाद 303 रन बनाए थे. उस इनिंग्स ने हैदराबाद क्रिकेट संघ के भीतर काफी ध्यान खींचा था.
अंडर-19 एशिया कप में दो अहम पारियों के साथ एरॉन जॉर्ज ने खुद को भारत के सबसे भरोसेमंद युवा बल्लेबाजों में शामिल कर लिया है. भले ही पाकिस्तान के खिलाफ शतक उनसे दूर रह गया, लेकिन दबाव झेलने और लंबी पारी खेलने की उनकी क्षमता उन्हें अगली पीढ़ी के भारतीय बल्लेबाजों में अलग पहचान दिला रही है.