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अपने ही घर में टीम इंडिया को क्या हुआ..? ये आंकड़े बताने लगे हैं कि संकट कितना गहरा है

2020 के बाद भले ही भारत ने घर में 8 में से 7 टेस्ट सीरीज जीती हों, लेकिन हालिया हारों ने उसकी घरेलू बादशाहत पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. इस अवधि में टीम को 7 मैचों में हार मिली, जिनमें से 4 सिर्फ तीन दिनों में... जो बताता है कि भारतीय बल्लेबाजी स्पिन-पिचों पर पहले जैसी मजबूत नहीं रही.

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अपने ही बनाए हालात में फंसती टीम इंडिया... (Photo, PTI)
अपने ही बनाए हालात में फंसती टीम इंडिया... (Photo, PTI)

2020 के बाद से भारत ने घर में खेले गए 8 में से 7 टेस्ट सीरीज में बाजी मारी है. सतही नजर में यह प्रभुत्व बेदाग दिखता है, लेकिन स्कोरकार्ड की तह में छिपा सच कहीं अधिक बेचैन करने वाला है. इस अवधि में भारत को घरेलू मैदानों पर कुल 7 हार मिली हैं और चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से 4 हार सिर्फ 3 दिनों के भीतर हो गई.

यह आंकड़ा सिर्फ परिणाम नहीं, बल्कि उस बदलती हकीकत का संकेत है कि भारतीय बल्लेबाज अब उन ही स्पिन-अनुकूल पिचों पर संघर्ष कर रहे हैं, जिन पर कभी वे विपक्षी टीमों को ध्वस्त कर देते थे.

तीन दिनों में मिली ये चार हार एक जैसी कहानी कहती है- भारतीय बल्लेबाजी का ध्वंस, विपक्षी स्पिनरों का अनुशासित हमला और ऐसी पिचों पर उलटवार, जिन्हें भारत ने अपने स्पिनरों के ‘होम एडवांटेज’ के लिए तैयार किया था... लेकिन यही रणनीति अब पलटवार का जरिया बनती दिख रही है.

01-03 मार्च, 2023 इंदौर

जब लायन–कुह्नेमन की जोड़ी ने भारत को झकझोरा

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट में भारत की पहली पारी 109 रनों पर सिमट गई. विकेट ऐसा था जिसके बारे में माना जाता था कि अश्विन-जडेजा विपक्ष को उखाड़ फेंकेंगे, लेकिन कहानी उलट गई. मैथ्यू कुह्नेमन और नाथन लायन ने मिलकर भारतीय बल्लेबाजों को असहाय कर दिया.

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दूसरी पारी में लायन का 8 विकेट का चक्रवात तोड़ पाना असंभव साबित हुआ. मुकाबला तीन दिनों के भीतर ही खत्म हुआ और ऑस्ट्रेलिया ने 9 विकेट से जीत दर्ज कर ली.

 24- 26 अक्टूबर, 2024 पुणे

न्यूजीलैंड से मिला जख्म आज भी हरा...

अगले साल पुणे में भारत को एक और झटका लगा.  पिच बार-बार घूम रही थी, लेकिन भारत के लिए नहीं. मिचेल सैंटनर ने मैच में 13 विकेट निकाले- भारत 113 रन से मैच हार गया.

01-03 नवंबर, 2024 मुंबई

सिर्फ एक हफ्ते बाद मुंबई में एजाज पटेल ने भारत को एक बार फिर उसी दर्द से गुजरने पर मजबूर किया. उन्होंने 11 विकेट लिए और भारतीय बल्लेबाजों को कभी संभलने ही नहीं दिया. नतीजा- भारत 0-3 से सीरीज गंवा बैठा... क्योंकि सीरीज का शुरुआती मैच बेंगलुरु में खेला गया था, जिसे भी भारत ने गंवाया था... लेकिन  मैच के 5वें दिन 8 विकेट से.

यह वह दौर था जब स्पिन के नाम पर भारत के सामने कोई ट्रेनिंग मैनुअल मौजूद नहीं दिखा. विपक्षी टीमों की योजना स्पष्ट थी- धीमी, टर्न लेती पिचों पर लगातार एक ही स्पॉट पर गेंदबाजी... और भारत उसका जवाब ढूंढ़ने में नाकाम रहा.

14-16 नवंबर, 2025 कोलकाता

बढ़त हाथ आई, लेकिन धूल भी

कोलकाता में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत ने पहली पारी में 159 रनों पर मेहमानों को रोक कर मजबूत शुरुआत की. यह वही स्कोर था जो भारत को मैच पर नियंत्रण के एहसास तक ले गया, लेकिन भारतीय बल्लेबाज 30 रनों की मामूली बढ़त से आगे नहीं बढ़ सके.

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चौथी पारी में 124 रनों का लक्ष्य आसान लग रहा था, लेकिन  हार्मर ने अपनी फिरकी से भारत को 93 पर समेट दिया.
यह हार 15 साल बाद भारत में दक्षिण अफ्रीका की पहली जीत बनी और भारत की स्पिन-परीक्षित बल्लेबाजी पर सबसे बड़ा सवालिया निशान भी.

क्या बदलना होगा?

इन चारों मैचों में एक पैटर्न साफ दिखता है - 

पिचें टर्नर थीं, लेकिन भारत उन पर असहज दिखा. विपक्षी स्पिनर लाइन-लेंथ और रफ्तार नियंत्रित रखने में भारत से कहीं बेहतर निकले. भारतीय बल्लेबाजों की तकनीक और मानसिकता दोनों दबाव में टूटती रहीं.

भारत दशकों से घर में स्पिन के दम पर जीत की आदत डाल चुका है, लेकिन अब वही हथियार उलटा पड़ रहा है. बल्लेबाजों के पास वक्त कम है, गलतियों की गुंजाइश और कम. आधुनिक स्पिनर अब सिर्फ ‘फ्लाइट और टर्न’ के भरोसे नहीं, बल्कि वैज्ञानिक अनुशासन और डाटा-आधारित योजनाओं के साथ आते हैं.

तीन दिन में खत्म होने वाले ये चार मैच सिर्फ हार नहीं हैं- ये संकेत हैं कि भारत को अपनी घरेलू पिच फिलॉसफी और बल्लेबाजी तैयारी दोनों पर नई सोच लानी होगी. घर की ताकत अब भारत की कमजोरी बनती जा रही है. स्पिन की कला कभी भारत की पहचान थी- अब उसे बचाने की चुनौती सामने खड़ी है.
 

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