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Bathing Rules in Hindusim: सुबह बिना नहाए करते हैं भोजन तो बदल दें ये आदत, संत राजेंद्र दास महाराज ने बताया नुकसान

Bathing Rules in Hindusim : हिंदू धर्म में स्वच्छता को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है. शास्त्रों और संतों के अनुसार केवल बाहरी स्वच्छता ही नहीं, बल्कि शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धता भी जरूरी है.

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बिना नहाए भोजन करना नुकसानदायक(Photo:Pixabay/sadhna_pravachan)
बिना नहाए भोजन करना नुकसानदायक(Photo:Pixabay/sadhna_pravachan)

Bathing Rules in Hindusim: हिंदू धर्म में रोजमर्रा के जीवन से जुड़े कई ऐसे नियम बताए गए हैं, जिनका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक शुद्धि ही नहीं बल्कि शरीर की स्वच्छता और स्वास्थ्य भी है. इन्हीं नियमों में एक अत्यंत महत्वपूर्ण नियम माना जाता है सुबह मल-मूत्र त्याग के बाद स्नान करके ही भोजन करना. बहुत से लोग इस नियम का नियमित रूप से पालन करते हैं, जबकि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कई लोग बिना स्नान किए ही भोजन कर लेते हैं. लेकिन संत-महात्माओं और आयुर्वेद में इसे गलत माना गया है. हाल ही में वृंदावन स्थित मलूक पीठ के पीठाधीश्वर संत राजेंद्र दास महाराज ने इस बारे में बात की है. उन्होंने बिना नहाए खाना खा लेने की आदत को गलत बताया है. 

संत राजेंद्र दास महाराज ने क्या कहा 


उन्होंने कहा कि सुबह मल-मूत्र त्याग करने के बाद बिना स्नान किए भोजन करना सबसे बड़ी गलती है. यह केवल धार्मिक मान्यता नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी गलत माना गया है. उन्होंने कहा कि जब मनुष्य मूत्र या मल त्याग करता है, तब शरीर से कई तरह के सूक्ष्म जीवाणु (बैक्टीरिया) बाहर आते हैं. स्नान करने तक ये जीवाणु पूरी तरह समाप्त नहीं होते, वे शरीर की सतह या कपड़ों से चिपके रह सकते हैं.

इसलिए भोजन से पहले स्नान करने से शरीर बाहरी रोगाणुओं से काफी हद तक मुक्त हो जाता है. उन्होंने यह भी कहा कि केवल स्नान करने से ही नहीं, बल्कि उसके बाद तौलिए से रगड़कर पोंछना भी आवश्यक है, ताकि जो सूक्ष्म जीवाणु शरीर पर रह गए हों, वे भी हट जाएं. 

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मनुस्मृति में भी ऐसा करना गलत 

मनुस्मृति में लिखा है कि सुबह स्नान किए बिना भोजन करने से शरीर और मन दोनों अपवित्र हो जाते हैं.  धार्मिक मान्यता के अनुसार, अशुद्ध अवस्था में ग्रहण किया गया भोजन अपना सकारात्मक प्रभाव खो देता है और व्यक्ति के मन पर भी नकारात्मक असर डालता है. 

गरुड़ पुराण के मुताबिक अशुद्धि तीनों ऊर्जा शरीर, प्राण और भोजन को बाधित करती है. गरुड़ पुराण में कहा गया है कि अशुचि अवस्था में भोजन करना शरीर की ऊर्जा, प्राण शक्ति और भोजन की गुणवत्ता  तीनों को बाधित करता है.  इसका असर व्यक्ति की जीवन शक्ति, तेज और मानसिक स्थिरता पर पड़ता है. 

आयुर्वेद भी देता है चेतावनी

आयुर्वेद के अनुसार स्नान अग्नि यानी पाचन शक्ति को संतुलित करता है. विशेषज्ञों का मानना है कि बिना स्नान किए भोजन करने से डाइजेस्टिव फायर कमजोर हो जाती है, जिससे अपच, गैस, भारीपन और कब्ज जैसी समस्याएं हो सकती हैं. 

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