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संसद में गूंजेगी वंदे मातरम की क्रांति या सियासी भ्रांति? देखें हल्ला बोल

संसद में गूंजेगी वंदे मातरम की क्रांति या सियासी भ्रांति? देखें हल्ला बोल

वंदे मातरम्... ये वो क्रांति उद्घोष है जिसके असर से अंग्रेज कांपे थे. बंकिम चंद्र चटर्जी रचित वंदे मातरम् गीत भारत का राष्ट्रगीत है. इस महामंत्र के 150 वर्ष पूरे हुए हैं. और सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीत सत्र में सरकार इस पर चर्चा कराने की तैयारी कर रही है. लेकिन जब वंदे मातरम् की बात हो रही है, बात राजनीति की भी आ जाती है. क्योंकि कुछ मुस्लिम संगठनों का मजहब के नाम पर वंदे मातरम् पर विरोध जगजाहिर है. तो हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये बयान दिया था 1937 में वंदे मातरम् के टुकड़े कर विभाजन का बीज बोया गया. 1937 में कांग्रेस अधिवेशन में वंदे मातरम् गीत के सिर्फ दो Stanza गाए गए थे, और इतना ही 1950 में राष्ट्रगीत के तौर पर स्वीकार किया गया.

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