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धुरंधर मूवी पर बहस के बावजूद कराची के अंडरवर्ल्‍ड ल्‍यारी टाउन का सच अपनी जगह है

पाकिस्‍तान के कराची शहर के बीच स्थित ल्‍यारी में कभी गैंग्‍सटरों की समानांतर सरकार चलती थी. हथियार, ड्रग्‍स, हत्‍या, फिरौती हर तरह के काले कारोबार होते थे. पीपीपी जैसी पार्टियां इन गैंग्‍सटरों की करतूत की हिस्‍सेदार थीं. आदित्‍य धर की मूवी धुरंधर ने कराची के इस अंडरवर्ल्‍ड की सड़ांध से पर्दा उठाया है.

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कराची के बीच स्थित ल्‍यारी कभी कुख्‍यात अंडरवर्ल्‍ड हुआ करता था.
कराची के बीच स्थित ल्‍यारी कभी कुख्‍यात अंडरवर्ल्‍ड हुआ करता था.

कराची का ल्‍यारी टाउन एक बार फिर चर्चा में है. वजह है फिल्म ‘धुरंधर’, जिसकी कहानी में दिखाए गए किरदारों और घटनाओं को लेकर पाकिस्तान में खासा बवाल मचा हुआ है. ल्‍यारी के कुछ समुदायों का कहना है कि फिल्म ने इलाके को सिर्फ अपराध की नजर से दिखाया, जबकि यहां की असल पहचान खेल, बॉक्सिंग, सांस्कृतिक विरासत और मेहनतकश लोगों को नजरअंदाज कर दिया गया है. लेकिन दूसरी ओर कई लोग कहते हैं कि ल्‍यारी की गैंग-वॉर की हकीकत को छुपाया भी नहीं जा सकता.

कहां है ल्‍यारी?

पाकिस्‍तान के कराची शहर के बीचोबीज बसे एक संकरे इलाके ल्‍यारी को 'मदर ऑफ कराची' कहा जाता है. कभी सिंधी मछुआरों और बलोच खानाबदोशों  की यह बस्‍ती धीरे धीरे कई और समुदायों का भी घर बनती गई. दो सौ साल पहले यहां ईरान के बलूचिस्‍तान इलाके से पलायन करके आए लोगों ने भी इसी बस्‍ती में पनाह ली. सिंधी कारोबारियों ने यहां और आसपास अपना कामकाज फैलाया. 1795 को ही कराची की स्‍थापना का वर्ष माना जाता है. यहीं पर कच्‍छ-गुजरात से आए मुसलमान भी बसे. ल्‍यारी नदी के किनारे की यह बसाहट है तो महज छह किमी वर्ग किमी की, लेकिन इसी बस्‍ती में अब करीब दस लाख से ज्‍यादा लोग रहते हैं. और इस तरह यह कराची की सबसे घनी आबादी बन जाती है.

Lyari Karachi

ल्‍यारी पर इतना हंगामा क्यों मचा?

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ल्‍यारी के लोग शुरू से शिकायत करते रहे हैं कि मीडिया और सिनेमा उन्हें सिर्फ 'गैंगस्टर टाउन' की तरह दिखाते हैं. ‘धुरंधर’ के बाद यह शिकायत फिर से उठ खड़ी हुई. फिल्म में कई मौके ऐसे आए हैं जिनमें ल्‍यारी की गलियों, पुराने मोहल्लों और बहुचर्चित गैंगों का जिक्र आया है. इससे दो तरह की प्रतिक्रिया सामने आई.

बीबीसी से बात करते हुए इस इलाके के कुछ लोगों का कहना था कि फिल्म ने इलाके को फिर से 'क्राइम हब' जैसा पेश कर दिया, जिससे रोजमर्रा के कामकाज, बच्चों की पढ़ाई और कारोबार पर बुरा असर पड़ता है.

जबकि कुछ लोगों ने मुखर होकर कहा कि हां, ये ल्‍यारी का अतीत रहा है. और इसे दिखाने में क्‍या गलती है. अगर ल्‍यारी की गैंग-वॉर 40–50 साल तक चली है, तो उसे पर्दे पर दिखाना गलत कैसे हो सकता है? उनकी दलील है कि जब दुनिया भर में माफिया, कार्टेल और गैंग-लॉर्ड पर फिल्में बनती हैं, तो ल्‍यारी को लेकर ऐसा विरोध क्यों?

इस बहस ने ल्‍यारी को फिर से राष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया है. ठीक वैसे ही जैसे गैंग्स ऑफ वासेपुर की रिलीज के बाद झारखंड और बिहार के कुछ क्षेत्रों में चर्चा छिड़ी थी. 

ल्‍यारी टाउन की गैंग-वॉर: शुरुआत कहां से और क्‍यों हुई?

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गरीबी, बेरोजगारी और राजनीतिक उपेक्षा ने ल्‍यारी में अपराध की जमीन तैयार की. 1980 के दशक से लेकर 2013–14 तक यह इलाका नूरा गैंग, रैयसानी नेटवर्क, रहमान डकैत, उजैर बलोच, और अर्जी बाजी जैसे नामों के कारण पाकिस्तान की सबसे चर्चित गैंग-वॉर का मैदान बना रहा.

ल्‍यारी मुख्‍यत: हथियारों और ड्रग्स के नेटवर्क के कारण कुख्‍यात हुआ. बंदरगाह के रास्ते होने वाली तस्करी खूब होती थी. कराची की राजनीति (खासतौर पर भट्टो की पार्टी PPP की लोकल लीडरशिप से गठजोड़ ने यहां के गैंग्‍सटरों को और ताकत दी. कब्जे और वसूली (extortion) की लड़ाई हुई. जो आज भी जारी है. भले ही मीडिया में यह दिखाने की कोशिश हो कि भारत ने पाकिस्‍तान के खिलाफ प्रोपेगेंडा के नाते ल्‍यारी का कथानक चुना है. जबकि हकीकत ये है कि डॉन अखबार की वेबसाइट पर दो महीने पहले पब्लिश हुई खबर बताती है कि कैसे ल्‍यारी की तीन गैंग वसीउल्‍ला लाखो, समद काठियावाड़ी और जमीन छंगा ने कराची में उगाही का काम कर रहे हैं. इस साल उगाही के 118 मामले सामने आए हैं. जिनमें इन गैंग की बड़ी भूमिका रही है. इसके विरुद्ध हुई पुलिस की कार्रवाई में 5 गैंग्‍सटर एनकाउंटर में मारे गए हैं. जबकि 30 से अधिक बदमाश फरार हैं. ल्‍यारी में गोलीबारी और हत्‍या की वारदात होना अब भी बड़ी खबर नहीं है.

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ल्‍यारी के बड़े किरदार, जिनकी मौजदगी कल्‍पनिक नहीं

1. रहमान डकैत (Rehman Dakait) - धुरंधर मूवी में अक्षय खन्‍ना ने यह किरदार निभाया है. ल्‍यारी का सबसे चर्चित चेहरा. बलोच समुदाय से आने वाले रहमान की 1990–2000 के दशक में काफी दहशत थी. वसूली, ड्रग्स, हत्याएं और नेताओं से गठजोड़ से जुड़ी उसकी तमाम कहानियां आज भी सुनी जाती हैं. वह 2010 में पुलिस एनकाउंटर में मारा गया.

2. उजैर बलोच (Uzair Baloch) - धुरंधर मूवी में दानिश पंडोर ने यह किरदार निभाया है. रेहमान डकैत का चचेरा भाई था और ल्‍यारी के काले कारोबार में उसका उत्तराधिकारी माना जाता था. ल्‍यारी गैंगस्टर, राजनीतिक नेटवर्क और ईरान के कुछ तस्करी समूहों से संपर्क के आरोप लगे. 2016 में गिरफ्तार. कोर्ट में कई मामलों का सामना कर रहा है. ल्‍यारी के 'रूलर' जैसा प्रभाव था. वह नकली हथियारों का कारखाना चलाता था और ह‍थियारों पर मेड इन रूस और मेड इन यूएसए की सील लगाकर बेचता था. उस पर कई पुलिस वालों की हत्‍या का आरोप था.

3. एसपी चौधरी असलम - धुरंधर मूवी में यह किरदार निभाया है संजय दत्‍त ने. कराची के इस मशहूर पुलिस वाले को ल्‍यारी की गैंग्‍स के खात्‍मे का जिम्‍मा सौंपा गया था. 80 के दशक में बतौर ASI कराची पुलिस ज्‍वाइन करने वाला चौधरी असलम कई विवादों में रहा. ल्‍यारी ऑपरेशन के बाद 2014 में TTP ने उसकी हत्‍या कर दी.

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ल्‍यारी ऑपरेशन (2013–14), जो गैंग्‍स के सफाए के लिए चलाया गया

पाकिस्तान रेंजर्स और पुलिस ने बड़े पैमाने पर ऑपरेशन चलाया, जिससे गैंग-वॉर काफी हद तक थम गई. लेकिन पूरी तरह खत्म होने का दावा आज भी कोई नहीं करता. उजैर बलोच नेटवर्क, रेहमान डकैत गैंग और बाबा लाडला ग्रुप का सफाया करने के लिए कराची पुलिस और पाकिस्‍तान रेंजर्स ने बड़ा ऑपरेशन चलाया. उद्देश्‍य था गैंगस्टरों की समानांतर सरकारों को ध्‍वस्‍त करना. सितंबर 2013 में फेडरल सरकार ने रेंजर्स को टार्गेटेड ऑपरेशन की अनुमति दी. कई महीनों तक घर-घर तलाशी, मुठभेड़ों, गिरफ्तारियों और भारी हथियारों की बरामदगी का सिलसिला चला. ये कुछ कुछ वैसा ही था जैसे 1993 में मुंबई ब्‍लास्‍ट के बाद दाउद इब्राहिम गिरोह के खात्‍मे के लिए चलाया गया ऑपरेशन. ल्‍यारी में उजैर बलोच के करीबी, बाबा लाडला के साथी और कई छोटे सब-कमांडर पकड़े गए या मारे गए. कराची की रोजमर्रा की हिंसा-ग्रेनेड हमले, हिट-एंड-रन शूटआउट और वसूली काफी हद तक रुक गई. 

ल्‍यारी एक, तस्वीरें दो

एक तरफ पुलिस ऑपरेशन के बाद उभरता नया ल्‍यारी है. खेल, युवा कलाकार, नये कारोबार, कैफे, और कम्‍युनिटी  बिल्डिंग. दूसरी तरफ वह पुराना ल्‍यारी है- गैंग-वॉर, हत्याएं, तस्करी, और राजनीतिक सांठगांठ की कहानियां. ‘धुरंधर’ की रिलीज ने इन दोनों तस्वीरों को फिर आमने-सामने ला खड़ा किया है.

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बहस शायद अभी चलेगी. सिनेमा क्या दिखाए, समाज क्या चाहे और सच्चाई किसके साथ खड़ी है? लेकिन इतना साफ है कि ल्‍यारी अब सिर्फ अपराध की कहानी नहीं है. न ही वह पूरी तरह उससे मुक्त हो पाया है. वह एक बदलता हुआ इलाका है जो बीते जख्मों और नयी उम्मीदों के बीच खड़ा हुआ.

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