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बिना OTP, बिना लिंक, बिना मैसेज... महिला के खाते से 3 लाख उड़ाए, CSP बोले- ऐप खुद डाउनलोड हुआ

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में साइबर ठगी की ऐसी कहानी सामने आई है, जिसने साइबर अपराधों की पड़ताल करने वालों को भी उलझन में डाल दिया है. आबकारी विभाग से रिटायर्ड 66 साल की बुजुर्ग महिला के बैंक खाते से पैसे निकल गए, जबकि उन्होंने कोई भी ओटीपी किसी से साझा नहीं किया, न किसी लिंक पर क्लिक किया और न ही उनके पास कोई मैसेज आया.

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महिला के खाते निकल गए तीन लाख रुपये. (Photo: Screengrab)
महिला के खाते निकल गए तीन लाख रुपये. (Photo: Screengrab)

ग्वालियर में साइबर ठगी का एक ऐसा चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने जांच करने वालों को भी हैरान कर दिया. इस ठगी में न कोई लिंक आया, न कोई मैसेज, न ही किसी ओटीपी की जानकारी साझा की गई, फिर भी एक बुजुर्ग महिला के बैंक खाते से करीब तीन लाख रुपये गायब हो गए.

यह मामला साइबर अपराधों के नए, ‘अदृश्य’ तरीके की ओर इशारा कर रहा है. ग्वालियर के जीवाजीगंज की रहने वाली 66 साल की हर्षा आहूजा आबकारी विभाग से रिटायर्ड अधिकारी हैं, उनके यूनियन बैंक खाते से 2 लाख 99 हजार 701 रुपये 20 पैसे ठग लिए गए.

पीड़िता के अनुसार, यह पूरी ठगी 25 सितंबर से 10 अक्टूबर के बीच यानी मात्र 16 दिनों में की गई. हर्षा आहूजा को खाते से रकम निकलने की भनक तक नहीं लगी. उन्हें इसकी जानकारी तब मिली, जब बैंक की ओर से न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने के लिए कॉल आया. जब उन्होंने बैंक से स्टेटमेंट निकलवाया तो पाया कि खाते से पहले 1.20 रुपये का एक छोटा सा ऑनलाइन ट्रांजेक्शन हुआ था, जो संभवतः ठगों द्वारा सिस्टम टेस्ट करने के लिए किया गया था.

यह भी पढ़ें: 'डिजिटल अरेस्ट' और 'इन्वेस्टमेंट फ्रॉड'... पैन इंडिया साइबर फ्रॉड सिंडिकेट का भंडाफोड़, 5 करोड़ के क्रिप्टो ट्रांजैक्शन का खुलासा

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इसके बाद क्रमवार 50 हजार, 49 हजार और 50 हजार रुपये के कई ट्रांजेक्शन यूपीआई के जरिए किए गए. हर्षा आहूजा का कहना है कि उन्होंने कभी कोई यूपीआई आईडी नहीं बनाई और न ही अपने मोबाइल में कोई ऐसा ऐप डाउनलोड किया. शिकायत मिलने पर क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने जांच शुरू कर दी है.

जांच में सामने आया कि पीड़िता के मोबाइल में कोई अज्ञात ऐप अपने आप डाउनलोड हुआ था. CSP नागेंद्र सिंह सिकरवार ने बताया कि महिला के मोबाइल में ऑटो ऐप डाउनलोड की सेटिंग ऑन थी, जिसका फायदा साइबर ठगों ने उठाया. संदिग्ध ऐप के माध्यम से ठगों ने खाते तक पहुंच बनाई और धीरे-धीरे पूरी राशि निकाल ली. पुलिस ने जिन खातों में यह राशि ट्रांसफर हुई है, उनका ब्योरा जुटाना शुरू कर दिया है.

फिलहाल यह जांच का विषय है कि ठगों ने बिना ओटीपी और बिना यूजर एक्सेस के यह पूरी ठगी कैसे अंजाम दी. CSP सिकरवार ने कहा कि यह एक नया और तकनीकी रूप से बेहद पेचीदा फ्रॉड है. ठगों ने ऐप ऑटो डाउनलोड फीचर का फायदा उठाकर महिला के मोबाइल में एक्सेस हासिल किया. फिलहाल ट्रांजेक्शन हिस्ट्री और टेक्निकल ट्रेल की जांच चल रही है.

इस घटना ने साइबर सुरक्षा को लेकर आम लोगों के बीच चिंता बढ़ा दी है. विशेषज्ञों का कहना है कि मोबाइल में अनजान ऐप्स डाउनलोड करने से बचें, ऑटो ऐप डाउनलोड और थर्ड पार्टी इंस्टॉलेशन विकल्प हमेशा बंद रखें, और समय-समय पर बैंक खातों की निगरानी करते रहें.

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