मध्य प्रदेश के बैतूल में एक गांव ऐसा है, जहां दूध-दही नहीं बेचा जाता. गांव के लोग फ्री में दूध, दही और छांछ देते हैं. मेहमानों को मुस्कुराते हुए ताजा दूध पिलाया जाता है. चूड़िया गांव में हर घर में 5 से 10 मवेशी हैं. यहां हर रोज 1000 लीटर दूध निकलता है. गांव वाले बताते हैं कि सालों पहले यहां चिनध्या साधु बाबा नाम के एक संत आए थे.
उन्होंने ग्रामीणों से दूध और दही का व्यापार करने से मना किया था. तभी से गांव वाले बाबा की आज्ञा मानते चले आ रहे हैं. चिनध्या साधु बाबा की पांचवी पीढ़ी के वंशज किशन महाराज ने बताया, "गांव में कुछ लोगों ने दूध बेचने की कोशिश की थी. मगर, उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा था. इसके बाद से गांव के लोगों ने दूध-दही बेचना बंद कर दिया."
किशन ने कहा, "गांव का एक परिवार हरियाणा से महंगी भैंस खरीदकर लाया था. उसने गांव में डेरी का काम शुरू किया. कई लोगों ने उसे यह काम करने से रोका, लेकिन वह नहीं माना. एक साल के अंदर उसकी 9 स्वस्थ भैंसों की मौत हो गई. साथ ही उन्हें आर्थिक रूप से काफी नुकसान भी उठाना पड़ा."
गरीबों में बांट दिया जाता है दूध
गांव में कई छोटे परिवार हैं. उनके पास काफी संख्या में मवेशी हैं. उनके घर से 5 से 6 लीटर दूध निकलता है. मगर, वे दूध बेचते नहीं हैं. सुबह के समय गरीबों को बांट देते हैं. चूड़ियां गांव के लोग बचे हुए दूध से घी बनाकर एक साल तक अपने घर में इकट्ठा करते हैं.
साल के आखिर में चिनध्या साधु बाबा के मंदिर में मेला लगता है. उसी घी से भंडारे में पूरा भोजन देसी घी से पकाया जाता है. गांव के लोग उस भोजन को बाबा का प्रसाद समझकर खाते हैं. यह बाबा का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक अवसर होता है.
आम और जामुन भी नहीं बेचते हैं लोग
दूध, दही ही नहीं साधु बाबा ने इस गांव के लोगों को आम और जामुन बेचने के लिए मना किया था. इस गांव में रहने वाले अभिमन्यु यादव बताते हैं कि उन्हें फल खरीदने का लाखों रुपये का ऑफर आता है. मगर, बाबा के आदेश को मानते हुए वो इसे नहीं बेचते हैं.