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कोर्ट पहुंचा 'नोटबदली' का मामला, 2000 के नोट की वापसी वाले फैसले के खिलाफ याचिका

आरबीआई ने पिछले हफ्ते 19 मई 2023 को 'क्लीन नोट पॉलिसी' के तहत 2000 रुपये के नोटों को वापस लेने का फैसला किया था. आरबीआई ने बैंकों को 30 सितंबर 2023 तक 2000 रुपये के नोट जमा करने और बदलने की सुविधा दी है.

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2 हजार के नोट वापसी पर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका
2 हजार के नोट वापसी पर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका

2 हजार के नोट को बदलने की शुरुआत 23 मई से हो चुकी है. लोग बैंकों में जाकर अपने पास रखे 2000 के नोट बदलवा रहे हैं. इस बीच आरबीआई की 2 हजार के नोट बदली की अधिसूचना के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. इसमें 19 मई को आरबीआई द्वारा जारी अधिसूचना को रद्द करने की मांग की गई है. साथ ही नोट बदलने आने वाले लोगों को बैंकों द्वारा 500 रुपये मुआवजे के तौर पर अधिक दिए जाने की मांग भी की गई है. ये याचिका अधिवक्ता रजनीश भास्कर गुप्ता ने दायर की है.

याचिकाकर्ता रजनीश गुप्ता ने याचिका में कई तरह के तर्क दिए हैं. उन्होंने कहा है कि आरबीआई के पास भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत किसी भी मूल्य के बैंक नोट को बंद करने के लिए कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं है और आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 24 (2) के तहत ये शक्ति केवल केंद्र सरकार के पास है. बड़े पैमाने पर जनता की अपेक्षित समस्याओं का विश्लेषण किए बिना ₹2000  के नोट को वापस लेने का इतना बड़ा मनमाना निर्णय लेने के पीछे आरबीआई ने क्लीन नोट पॉलिसी के अलावा कोई तर्क नहीं दिया है. क्लीन नोट पॉलिसी में सिर्फ क्षतिग्रस्त, नकली या गंदे नोटों को वापस लिए जाते हैं, न की अच्छे नोट.

याचिका में कहा गया है कि आरबीआई की अधिसूचना के बाद बाजार में व्यावहारिक रूप से सभी ने एक-दूसरे से 2000 रुपये का नोट लेना बंद कर दिया है. इससे देश के नागरिकों के लिए विशेष रूप से बैंक से दूर और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं/पुरुषों के लिए बहुत कठिनाई पैदा हो गई है. अब वे सभी इतनी गर्मी में बिना किसी गलती के अपने 2000 के नोट बदलने के लिए बैंक जाने को मजबूर हैं. आरबीआई और वित्त मंत्रालय न केवल प्रत्येक बैंक नोट पर छपाई के वर्ष का उल्लेख करती है, बल्कि भारतीय रिजर्व बैंक की क्लीन नोट पॉलिसी के मद्देनजर ये भी अनुमान लगाती हैं कि संबंधित नोट कितने साल तक चल सकते हैं. आरबीआई और वित्त मंत्रालय किसी भी नोट को क्लीन नोट पॉलिसी या अन्य कारणों से वापस लेने से कम से कम एक वर्ष पहले लोगों को बड़े पैमाने पर सूचित करते हैं. 

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जनहित याचिका में कोर्ट से आरबीआई और वित्त मंत्रालय को निर्देश देने की मांग की गई है. इसमें कहा गया कि अपने सब कामकाज छोड़कर बैंकों में घंटों लाइन में लगकर नोट बदलने आने वाले प्रत्येक नागरिक को मुआवजे के रूप में हर बार 500 रुपये अधिक दिए जाए.

19 मई को आरबीआई ने किया था बड़ा ऐलान 

गौरतलब है कि आरबीआई ने पिछले हफ्ते 19 मई 2023 को 'क्लीन नोट पॉलिसी' के तहत 2000 रुपये के नोटों को वापस लेने का फैसला किया था. आरबीआई ने बैंकों को 30 सितंबर 2023 तक 2000 रुपये के नोट जमा करने और बदलने की सुविधा दी है. नोटों का एक्सचेंज भी शुरू हो चुका है. सभी बैंकों और रिजर्व बैंक की शाखाओं में इन्हें मंगलवार से बदला जा रहा है. हालांकि, पहले दिन राजधानी दिल्ली में कई इलाकों में 2000 रुपये के नोटों को बदलवाने में अफरा-तफरी का महौल देखने को मिला. हालांकि, आरबीआई के आदेश के अनुरूप ये नोट अभी भी लीगल टेंडर हैं. 

एक बार में 10 नोट बदले जा सकेंगे 

RBI के मुताबिक, एक बार में कोई भी व्यक्ति 20,000 रुपये तक की सीमा के नोट एक्सचेंज करा सकता है. नोट बदलने की प्रक्रिया को लेकर आरबीआई के निर्देशानुसार सभी बैंकों ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है. गौरतलब, 2000 के नोटों को मार्केट से वापस लेने का ऐलान करते समय आरबीआई की ओर से कहा गया था, कि ये नोट फिलहाल लीगल टेंडर बने रहेंगे, साथ ही केंद्रीय बैंक ने सभी बैंकों से नए 2000 रुपये का नोट इश्यू नहीं करने के लिए भी कहा था.

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