मंदिर-मस्जिद पर कल देवबंद के मंच से मुस्लिम नेताओं ने डटे रहने का प्रस्ताव पास किया और आज ज्ञानवापी मस्जिद पर डबल सुनवाई चल रही है. मुस्लिम पक्ष आज उसी दलील को आगे बढ़ाएंगे, जिसमें केस को चलाने लायक नहीं बताया गया है. फिलहाल फास्ट ट्रैक कोर्ट में ‘पूजा का अधिकार तय करने' की याचिका पर सुनवाई हुई. अब फास्ट ट्रैक कोर्ट में शाम 4 बजे फिर सुनवाई होगी.
ज्ञानवापी केस में कितना दम है? शिवलिंग बनाम फव्वारे में किसके दावे सही? सर्वे के वीडियो-तस्वीरों जारी हो या नहीं? आज इन तीन सवालों पर फैसला करने के लिए फिर से कोर्ट बैठ रही है. जिला कोर्ट से लेकर फास्ट ट्रैक कोर्ट तक डबल सुनवाई है. जिला कोर्ट में फिर मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर बहस होगी, जिसमें केस को चलाने लायक ही नहीं माना गया है.
10 दिन से जारी है सुनवाई
सर्वे के फुटेज पक्षकारों को सौंपे जाने पर भी फैसला होना है. वहीं फास्ट ट्रैक कोर्ट में हिंदू पक्षों की इस अर्जी पर बहस होगी, जिसमें ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपने और मुसलमानों की एंट्री पर रोकने की मांग की गई. 20 मई को सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी से जुड़े सारे केस वाराणसी जिला कोर्ट ट्रांसफर किया था.
तब से 10 दिन हो गए, लेकिन अब तक मुस्लिम पक्ष के केस बनता ही नहीं वाली अर्जी पर ही बहसबाजी हो रही है. 26 मई को मुस्लिम पक्ष के वकील अभयनाथ यादव ने 2 घंटे तक अपना पक्ष रखा. आज फिर वो अपनी दलील को आगे बढ़ाएंगे. मुस्लिम पक्ष ने 1991 धर्म स्थल कानून का हवाला देते हुए कहा कि केस ही नहीं बनता.
वीडियो-तस्वीर जारी करने पर भी सुनवाई
जिला कोर्ट को पहले ऑर्डर 7 रूल नंबर 11 पर ही फैसला लेना है. इसके अलावा 3 दिन, 10 घंटे तक चले सर्वे में जो वीडियो बना, जो तस्वीरें निकाली गईं, अब उसी को सार्वजनिक करने पर आर-पार की लड़ाई है. हिंदू पक्ष सर्वे फुटेज रिलीज करने की मांग कर रही है तो मुस्लिम पक्ष कोर्ट के फैसले तक तस्वीरें जारी करने के खिलाफ है.
मुस्लिम पक्ष की दलील है कि ज्ञानवापी के वीडियो से तनाव बढ़ेगा. ज्ञानवापी के वीडियो को लेकर सभी हिंदू पक्ष एकजुट हैं ऐसा नहीं है नहीं हैं. विश्व वैदिक सनातन संघ को लगता है कि ज्ञानवापी का वीडियो बाहर आने से तनाव बढ़ेगा. इस संस्था ने जिला कोर्ट में इसके लिए बाकायदा अर्जी लगाई.
पक्षकारों को नहीं मिली है सर्वे रिपोर्ट की कॉपी
अब कोर्ट को तय करना है कि सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए या नहीं. सर्वे रिपोर्ट की कॉपी अभी पक्षकारों को भी नहीं मिली है, जिनके आधार पर उन्हें अपना जवाब दाखिल करना है और अगर पक्षकारों को रिपोर्ट मिलती है तो इसे पब्लिक डोमेन पर आने से कैसे रोका जाएगा ये भी बड़ा सवाल है.
ज्ञानवापी की सुनवाई के बीच जमीन घोटाले के खबर हड़कंप है. आरोपी सीधे अंजुमन इंतजामिया कमेटी पर है. एक बुनकर ने आरोप लगाया है कि 139 साल पहले खसरे के मुताबिक जमीन 31 बिस्वा थी, अब वो सिर्फ 10.72 रह गई है, ऐसा में बाकी जमीन का क्या हुआ? मस्जिद कमेटी 1883 खसरे में बदलाव की बात कर रही है.