वर्ष 2013 में सामने आए 6000 करोड़ रुपए के सिंथेटिक ड्रग मामले की परतें एक बार खुलने की उम्मीद जगी है. मंगलवार को जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह और अशोक कुमार वर्मा की बेंच ने इस मामले की सुनवाई शुरू की जो पिछले ढाई साल से रुकी हुई थी. याचिकाकर्ता गैर सरकारी संस्था लॉयर्स फॉर ह्यूमन राइट्स इंटरनेशनल के वकील नवकिरण सिंह ने कहा की नई बेंच को इस मामले की पूरी जानकारी नहीं है इसलिए अगली सुनवाई तक मामले की जानकारी मांगी गई है.
क्या है 2013 का बहुचर्चित सिंथेटिक ड्रग मामला
पंजाब का बहुचर्चित सिंथेटिक ड्रग केस साल 2013 में सामने आया था. हाईकोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. मामला बेहद हाईप्रोफाइल था और इसमें तत्कालीन पंजाब पुलिस के डीएसपी जगदीश सिंह भोला की गिरफ्तारी भी हुई थी. भोला ने इस मामले में अकाली दल नेता का नाम लेकर सनसनी फैला दी थी. इस मामले को भोला ड्रग केस के नाम से भी जाना जाता है. भोला इस मामले में 2019 में दोषी करार दिया जा चुका है और उसे नशा तस्करी के तीन अलग-अलग मामलों में 24 साल की जेल की सजा दी गई है. आरोप है कि तत्कालीन अकाली दल भाजपा सरकार ने इस मामले को दबाने की कोशिश की.
इस मामले में कोर्ट के समक्ष कुल तीन सील बंद रिपोर्ट्स सौंपी गई थी. इनमें से एक रिपोर्ट मामले की जांच के लिए बनाई गई स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा, दूसरी प्रवर्तन निदेशालय द्वारा और तीसरी तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) द्वारा बनाई गई समिति ने तैयार की थी. तीनों रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में पड़ी है जिन्हें आज तक नहीं खोला गया. माना जाता है कि एक रिपोर्ट में एक बड़े राजनेता का नाम शामिल है. इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए लॉयर्स फॉर ह्यूमन राइट्स इंटरनेशनल नामक संस्था ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी.
याचिकाकर्ता नवकिरण सिंह ने कहा कि उन्होंने जो याचिका लॉयरज फॉर हुमन राइट्स इंटरनेशनल की तरफ से लगाई थी उसमें आरोप लगाया था कि प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष कुछ आरोपियों ने एक राजनीतिज्ञ का नाम लिया था जिसके खिलाफ पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की क्योंकि उस समय उस पंजाब में राजनीतिज्ञ के रिश्तेदारों की सरकार थी.
याचिकाकर्ता ने बताया कि 23 मई 2018 को कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि हम इसे दोबारा सील बंद कर रहे हैं और अगली पेशी पर इस पर कार्यवाही करेंगे. उसके बाद जस्टिस सूर्यकांत की नियुक्ति हिमाचल हाईकोर्ट में हो गई और उसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट चले गए. उसके बाद पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के किसी भी न्यायाधीश ने इस मामले में रुचि नहीं ली उसके बाद कोरोनावायरस का संक्रमण आ गया और मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया.
उन्होंने कहा, "हमने अप्रैल 2021 में एक बार फिर याचिका लगाई और सीलबंद रिपोर्ट खोलने का आग्रह किया क्योंकि यह पंजाब के युवाओं का सवाल है . राज्य में ड्रग माफिया सक्रिय है इसमें कुछ राजनेता और पुलिसवाले भी शामिल हैं. इस नारको टेररिज्म के धंधे का पर्दाफाश करने के लिए जरूरी है कि सीलबंद रिपोर्ट में शामिल नाम को सार्वजनिक किया जाए.
अकाली दल को सिद्धू के ट्वीट्स पर आपत्ति
शिरोमणि अकाली दल ने कोर्ट में विचाराधीन बहुत चर्चित 6000 करोड़ रुपए के सिंथेटिक ड्रग्स मामले को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू के ट्वीट पर आपत्ति दर्ज की है. उपाध्यक्ष अकाली दल, डॉ दलजीत चीमा ने कहा कि बड़े अफसोस की बात है कि नवजोत सिद्धू को न तो राजनीतिक मर्यादा का पता है ना सरकार की मर्यादा का और अब वह न्यायालय को भी ट्वीट के जरिए निर्देश देने की कोशिश कर रहे हैं. फैसला भी बता रहे हैं .आज तक के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी पार्टी का अध्यक्ष किसी मामले की सुनवाई से पहले ही उसके बारे में सोशल मीडिया पर बयान देता हो. सिद्धू न केवल न्यायालय को निर्देश देते दिखाई दे रहे हैं बल्कि फैसला भी खुद ही बता रहे हैं. कहीं ना कहीं नवजोत सिंह सिद्धू के ट्वीट न्यायालय के कामकाज में दखलअंदाजी देने जैसे हैं. वह जुडिशरी को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं .जुडिशरी अपने आप में सक्षम है "
उधर कांग्रेस नेताओं ने मामले की सुनवाई फिर से शुरू होने पर खुशी जताई है और उम्मीद की है कि आरोपियों के चेहरे जल्द ही बेनकाब होंगे. कैबिनेट मंत्री राज कुमार वेरका ने कहा कि देखिये अब यह मामला फास्ट ट्रैक में गया है और अब इसकी नए सिरे से सुनवाई शुरू हो गई है. मुझे लगता है कि जो इस मामले के आरोपी हैं बहुत ज्यादा समय तक बाहर की हवा नहीं खा पाएंगे और वह जल्द ही सलाखों के पीछे होंगे. पंजाब में 2022 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले सिंथेटिक ड्रग्स मामले की सुनवाई शुरू होने से राज्य की राजनीति एक बार फिर से गरमा गई है. मामले की अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी लेकिन गोपनीय रिपोर्ट कब सार्वजनिक होगी यह साफ नहीं है.