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'अब लॉ एंड ऑर्डर का कोई खतरा नहीं...', लेह प्रशासन ने 'बॉर्डर मार्च' से पहले लगी धारा 144 हटाई

एलएबी नेताओं और क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने 7 अप्रैल को चीन सीमा तक मार्च निकालने की घोषणा की थी. एलएबी, कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के साथ, लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग के लिए चल रहे आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है.

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लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनव वांगचुक के नेतृत्व में स्थानीय लोग प्रदर्शन कर रहे हैं. (PTI Photo)
लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनव वांगचुक के नेतृत्व में स्थानीय लोग प्रदर्शन कर रहे हैं. (PTI Photo)

प्रशासन ने मंगलवार को लेह एपेक्स बॉडी (LAB) द्वारा घोषित चीन सीमा तक मार्च के मद्देनजर लगाए गए धारा 144 को हटा लिया. एक आधिकारिक आदेश में कहा गया, 'प्रतिबंध हटाए जा रहे हैं क्योंकि अब शांति और सार्वजनिक व्यवस्था के उल्लंघन की कोई आसन्न आशंका नहीं है.' लेह के जिला मजिस्ट्रेट संतोष सुखदेव द्वारा जारी आदेश में निषेधाज्ञा के तहत प्रतिबंधों को तत्काल प्रभाव से वापस लेने का निर्देश दिया गया.

प्रशासन द्वारा सीआरपीसी की धारा 144 के तहत लद्दाख के इस जिले में निषेधाज्ञा लागू करने के बाद पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक और एलबीए के अध्यक्ष छेरिंग दोर्जे ने 'पुलिस के साथ किसी भी प्रकार के टकराव से बचने के लिए' चीन सीमा के पास चांग्तेहांग तक 7 अप्रैल को प्रस्तावित सीमा मार्च रद्द कर दिया था. धारा 144 के तहत बिना पूर्वानुमति के कोई भी जुलूस, रैली या मार्च निकालना प्रतिबंधित होता है. 

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डीएम की ओर से जारी आदेश में कहा गया है, 'जबकि, शांति भंग करने और सार्वजनिक शांति में गड़बड़ी को रोकने के लिए सीआरपीसी की धारा 144 के तहत (5 अप्रैल को) कुछ प्रतिबंध लगाए गए थे... लेह के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बताया है कि अब शांति भंग होने की कोई आशंका नहीं है और सिफारिश की है कि सीआरपीसी की धारा 144 के तहत लगाए गए प्रतिबंधों को वापस लिया जा सकता है.'

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लेह में 6 अप्रैल को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, लेह एपेक्स बॉडी के अध्यक्ष छेरिंग दोर्जे और क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक सहित अन्य एलएबी नेताओं ने सीमा मार्च को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि इसने किसानों की दुर्दशा को लेकर देश के लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने के अपने उद्देश्य को पहले ही हासिल कर लिया है,  जो कथित तौर पर दक्षिण में विशाल औद्योगिक संयंत्रों और उत्तर में 'चीनी अतिक्रमण' के कारण अपनी मुख्य चारागाह भूमि खो रहे हैं.

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एलएबी, कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के साथ, लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग के लिए चल रहे आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है. एलएबी नेताओं ने कहा कि वे क्रमबद्ध भूख हड़ताल और विरोध प्रदर्शन के माध्यम से शांतिपूर्ण तरीके से अपना संघर्ष जारी रखेंगे. बता दें कि उपरोक्त मुद्दों को लेकर सोनम वांगचुक ने हाल ही में 21 दिनों की भूख हड़ताल की थी. केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया था.

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