आयुर्वेद छात्रों को सर्जरी करने की अनुमति दिए जाने के फैसले के खिलाफ आज देशभर में डॉक्टर हड़ताल पर हैं. यह हड़ताल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की अगुवाई में हो रही है और आज शुक्रवार को 12 घंटे हड़ताल पर रहेंगे. हालांकि हड़ताल के दौरान सभी गैर-आपातकालीन और गैर-कोविड मेडिकल सेवाएं ठप रहेंगी.
यह जानने की कोशिश करते हैं कि डॉक्टर्स केंद्र के फैसले के खिलाफ क्यों विरोध में हैं और इस संबंध में उनकी क्या आपत्तियां हैं.
आयुष मंत्रालय के तहत आने वाले सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) की ओर से 20 नवंबर को जारी अधिसूचना में कहा गया था कि आयुर्वेद के डॉक्टर भी अब जनरल और ऑर्थोपेडिक सर्जरी के साथ आंख, नाक, कान और गले की भी सर्जरी कर सकेंगे.
सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (CCIM) द्वारा जारी नोटिफिकेशन के जरिए भारतीय चिकित्सा पद्धति को विनियमित करने के लिए 39 जनरल सर्जरी प्रक्रियाओं को सूचीबद्ध किया गया और भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (स्नातकोत्तर आयुर्वेद शिक्षा) विनियम, 2016 में संशोधन करते हुए आंख, कान, नाक और गले से जुड़ी 19 सर्जरी की अनुमति दी गई.
58 तरह की सर्जरी की मंजूरी
सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (CCIM) अब आयुर्वेदिक डॉक्टरों को 58 तरह की सर्जरी करने की मंजूरी देता है जिसमें 39 जनरल सर्जरी है, जिन्हें आयुर्वेद की भाषा में 'शल्य' कहा जाता है और 19 तरह की सर्जरी आंख, नाक, कान और गला से जुड़ी है, जिसे 'शालक्य' कहा जाता है. विवाद इसी फैसले को लेकर है. सरकार इससे पहले 2016 में भी ऐसा ही नोटिफिकेशन जारी कर चुकी थी और यह अधिसूचना 2016 के पहले के मौजूदा नियमों में प्रासंगिक प्रावधानों का स्पष्टीकरण है.
आयुष मंत्रालय की ओर से इस विवाद को लेकर सफाई भी दी गई थी. मंत्रालय की ओर से कहा गया कि यह अधिसूचना आयुर्वेद में स्नातकोत्तर शिक्षा की शल्य और शलाक्य धाराओं के संबंध में हैं. अधिसूचना में यह कहा गया है (इस विषय में पहले जारी अधिसूचना से अधिक स्पष्ट रूप) कि स्नातकोत्तर डिग्री की शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को कुल 58 सर्जिकल प्रक्रियाओं में व्यवहारिक रूप से प्रशिक्षित किए जाने जरुरत होती है ताकि शिक्षा पूरी करने के बाद वे इसे स्वतंत्र रूप से करने के योग्य हो जाएं.
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मंत्रालय ने यह भी कहा कि अधिसूचना विशेष रूप से इन सर्जिकल प्रक्रियाओं के बारे में है और किसी अन्य प्रकार की सर्जरी करने की इन शल्य (Shalya)और शलाक्य (Shalakya) स्नातकोत्तर पास छात्रों को अनुमति नहीं देती.
क्या कहना है आईएमए का
आईएमए इसी फैसले के खिलाफ है और आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजन शर्मा का कहना है कि स्नातकोत्तर आयुर्वेद शल्य चिकित्सा पद्धति पर सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन का आदेश मिक्सोपैथी (आयुर्वेद) को वैध बनाने के लिए दिया गया है. आयुर्वेद अब भी शुद्धता और पहचान की चुनौतियों से जूझ रहा है.
#IMA is not against any recognised system of #medicine prescribing medicines under their own respective system.
— Indian Medical Association (@IMAIndiaOrg) December 10, 2020
Say no to #MIXOPATHY pic.twitter.com/AlNGuadno7
तो वहीं गाजियाबाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की जनरल सेक्रेटरी डॉ. वानी पुरी ने कहा कि मिक्सोपैथी यानि खिचड़ी चिकित्सा पद्धति से किसी का भी भला नहीं होने वाला बल्कि विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों का क्षय ही होगा. उन्होंने कहा कि सरकार को यह चाहिए कि वह हर एक पद्धति को स्वतंत्र रूप से विकसित करें ना की विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों को आपस में मिलाएं.
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