यूबीटी सेना के एक वरिष्ठ नेता ने पिछले सप्ताह एनसीपी नेता और मंत्री छगन भुजबल से मुलाकात की. लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद पार्टी नेतृत्व से भुजबल के नाराज होने की खबरों के बीच यह मुलाकात महत्वपूर्ण मानी जा रही है. अपने समर्थकों की ओर से दबाव बनाए जाने के बाद छगन भुजबल अलग-अलग विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. उन्होंने सोमवार को मुंबई में ओबीसी मोर्चा 'समता परिषद' के नेताओं की एक बैठक बुलाई और शक्ति प्रदर्शन किया. हालांकि, भुजबल ने पार्टी में अपने नाखुश होने के दावों का खंडन किया.
सूत्रों के अनुसार, यूबीटी सेना के नेताओं और छगन भुजबल के बीच पार्टी में उनकी स्वीकृति और उनकी वरिष्ठता के अनुसार उन्हें एडजस्ट करने पर प्रारंभिक बातचीत चल रही है. साथ ही भुजबल ने शिंदे सेना के मौजूदा विधायक सुहास कांडे के खिलाफ क्रमशः अपने और अपने भतीजे समीर भुजबल के लिए येओला और नांदगांव विधानसभा क्षेत्रों पर दावा किया है.
शिवसेना छोड़ने वाला कोई भी व्यक्ति खुश नहीं: संजय राउत
हालांकि, यूबीटी सेना के नेता संजय राउत ने कहा कि ऐसी बातों पर खुलकर चर्चा नहीं की जाती है और यह चारदीवारी के अंदर ही रहती है. दिलचस्प बात यह है कि राउत ने कहा कि शिवसेना छोड़ने वाला कोई भी व्यक्ति खुश या चैन से नहीं रहा. अगर भुजबल शिवसेना में होते तो अब तक सीएम बनने का तिलक लगा चुके होते. अब नारायण राणे और एकनाथ शिंदे समेत सभी बेचैन आत्माओं की तरह घूम रहे हैं.
इससे पहले यूबीटी सेना ने स्थानीय पार्टी नेता कुणाल दराडे को येओला निर्वाचन क्षेत्र से छगन भुजबल के खिलाफ संभावित उम्मीदवार के तौर पर सामने किया था. यह यूबीटी सेना के स्थानीय कैडर में विवाद का विषय बन सकता है.
महत्वपूर्ण बात यह है कि भुजबल की राजनीतिक 'घर वापसी' की खबरें शिवसेना पार्टी के स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर सामने आई हैं. इसलिए अब सभी की निगाहें उनके अगले राजनीतिक कदम पर टिकी हैं.