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Mumbai: राजभवन में तैनात पुलिस इंस्पेक्टर बना साइबर ठगी का शिकार, ठग ने उड़ाए 3 लाख रुपये

मुंबई में राजभवन में तैनात पुलिस इंस्पेक्टर साइबर ठगी का शिकार हो गया. व्हाट्सऐप ग्रुप पर आरटीओ चालान से जुड़ा लिंक क्लिक कर अपनी डिटेल साझा की. इसके तीन दिन बाद उसके बैंक खाते से 3 लाख रुपये उड़ा लिए गए. इंस्पेक्टर ने तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर सूचना दी और ताड़देव पुलिस स्टेशन में केस दर्ज कराया. मामला जांच में है.

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Cyber Fraud. (Photo: Representational)
Cyber Fraud. (Photo: Representational)

महाराष्ट्र के राज्यपाल के मुंबई स्थित सरकारी आवास राजभवन में तैनात एक पुलिस इंस्पेक्टर साइबर ठगों का शिकार हो गया. ठगों ने फिशिंग के जरिए उसके बैंक खाते से पूरे 3 लाख रुपये निकाल लिए. मामला सामने आने के बाद पुलिस और साइबर सेल जांच में जुट गई है.

शिकायत के अनुसार, 49 वर्षीय इंस्पेक्टर का आवास तारदेव पुलिस कॉलोनी में है. उसने पुलिस को बताया कि सोमवार से शनिवार के बीच यह घटना हुई. दरअसल, उन्हें एक व्हाट्सएप ग्रुप में आरटीओ चालान से जुड़ा एक लिंक भेजा गया था. लिंक पर क्लिक करने के बाद उन्होंने अपना नाम और मोबाइल नंबर दर्ज कर दिया.

यह भी पढ़ें: सात करोड़ की साइबर ठगी... ओडिशा पुलिस ने पंजाब और आंध्र प्रदेश से गिरफ्तार किए दो ठग

कुछ समय बाद उन्होंने उस लिंक को हटा दिया, लेकिन तब तक उनकी जानकारी साइबर ठगों के हाथ लग चुकी थी. तीन दिन बाद उनके बैंक खाते से 3 लाख रुपये निकाल लिए गए. जब इंस्पेक्टर के मोबाइल पर पैसे निकाले जाने का मैसेज आया, तो उन्होंने तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल किया और शिकायत दर्ज कराई.

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इसके बाद वे सीधे तारदेव थाने पहुंचे, जहां इस मामले में साइबर धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया. अधिकारियों ने बताया कि यह घटना फिशिंग अटैक का क्लासिक उदाहरण है, जिसमें ठग नकली लिंक और संदेश भेजकर लोगों से उनकी व्यक्तिगत और बैंकिंग जानकारी हासिल कर लेते हैं. पुलिस ने बताया कि फिलहाल जांच शुरू कर दी गई है और ठगों का पता लगाने के लिए तकनीकी टीम भी लगाई गई है. 

कैसे होता है फिशिंग के जरिए ठगी?

विशेषज्ञों ने लोगों को आगाह किया है कि किसी भी संदिग्ध लिंक या संदेश पर क्लिक करने से बचें और बैंकिंग डिटेल किसी भी हालत में साझा न करें. बता दें कि फिशिंग एक प्रकार का साइबर हमला है जिसमें ईमेल, टेक्स्ट मैसेज, फोन कॉल और दुर्भावनापूर्ण लिंक के जरिए लोगों से उनकी निजी और वित्तीय जानकारी साझा करने के लिए धोखा दिया जाता है.

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