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महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक घोटाला: NCP विधायक रोहित पवार के खिलाफ ED ने दाखिल की सप्लीमेंट्री चार्जशीट

चार्जशीट दाखिल किए जाने से पहले, ईडी ने रोहित पवार की कंपनी बारामती एग्रो की 50 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां अटैच की थीं. ईडी ने जनवरी 2023 में रोहित पवार के ठिकानों, बारामती एग्रो सहित कई स्थानों पर छापेमारी की थी. इसके बाद करजात-जामखेड़ से एनसीपी विधायक रोहित पवार को पूछताछ के लिए ईडी के मुंबई कार्यालय बुलाया गया था.

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रोहित पवार और शरद पवार (फाइल फोटो)
रोहित पवार और शरद पवार (फाइल फोटो)

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक (MSCB) घोटाले में एनसीपी (शरद पवार गुट) के विधायक रोहित पवार और कुछ अन्य के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की है. यह चार्जशीट मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत मुंबई की विशेष अदालत में दायर की गई है. सूत्रों के अनुसार, कोर्ट ने अभी चार्जशीट पर संज्ञान नहीं लिया है.

चार्जशीट दाखिल किए जाने से पहले, ईडी ने रोहित पवार की कंपनी बारामती एग्रो की 50 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां अटैच की थीं. ईडी ने जनवरी 2023 में रोहित पवार के ठिकानों, बारामती एग्रो सहित कई स्थानों पर छापेमारी की थी. इसके बाद करजात-जामखेड़ से एनसीपी विधायक रोहित पवार को पूछताछ के लिए ईडी के मुंबई कार्यालय बुलाया गया था.

मार्च 2023 में ईडी ने बारामती एग्रो की 50.20 करोड़ रुपये की संपत्ति अस्थायी रूप से जब्त की थी. इसमें औरंगाबाद के कन्नड़ में स्थित 161.30 एकड़ ज़मीन, एक शुगर मिल, मशीनरी और भवन शामिल थे.

ईडी का दावा है कि ये संपत्तियां मूलतः कन्नड़ सहकारी शक्कर कारखाना लिमिटेड (Kannad SSK) की थीं, जिन्हें बारामती एग्रो ने एक कथित फर्जी नीलामी प्रक्रिया के ज़रिए खरीदा. ईडी के अनुसार, यह संपत्ति अपराध की आय (Proceeds of Crime) मानी जा रही है और यह मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम का उल्लंघन है.

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ईडी की यह जांच आर्थिक अपराध शाखा (EOW) मुंबई द्वारा अगस्त 2019 में दर्ज की गई एफआईआर पर आधारित है. एफआईआर में आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत कई आरोप लगाए गए थे.

एफआईआर में आरोप लगाया गया कि MSCB के अधिकारियों और निदेशकों ने कई सहकारी चीनी मिलों (SSKs) को अवैध तरीके से अपने रिश्तेदारों और करीबी निजी कंपनियों को बेहद कम कीमतों पर बेच दिया था. यह बिक्री पारदर्शिता और नियमानुसार प्रक्रिया को दरकिनार करके की गई थी.

विशेष रूप से, MSCB ने 2009 में कन्नड़ SSK की 80.56 करोड़ रुपये की बकाया ऋण वसूली के लिए उसकी संपत्ति को अपने कब्जे में लिया था. इसके बाद बैंक ने एक संदिग्ध मूल्यांकन के आधार पर कम रिजर्व प्राइस पर नीलामी की प्रक्रिया शुरू की.

ईडी का आरोप है कि यह नीलामी भी धांधली से भरी थी. सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को कमज़ोर कारणों के आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया गया, जबकि बारामती एग्रो से जुड़े एक करीबी व्यक्ति, जिसकी वित्तीय क्षमता और अनुभव संदिग्ध थे, को नीलामी में बरकरार रखा गया.

ईडी के मुताबिक, अब तक इस मामले में कुल तीन बार प्रोविजनल अटैचमेंट के आदेश जारी किए गए हैं, जिनके तहत कुल 121.47 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त किया गया है. ईडी ने अब इन अटैचमेंट्स की अंतिम पुष्टि भी प्राप्त कर ली है और पूरक चार्जशीट अदालत में दाखिल कर दी है.

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यह मामला अब विशेष पीएमएलए कोर्ट में लंबित है और ईडी का कहना है कि जांच अभी जारी है. आगामी सुनवाई में कोर्ट इस चार्जशीट पर संज्ञान ले सकती है.

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