महाराष्ट्र के आगामी नगर निगम, जिला परिषद और अन्य स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर सत्तारूढ़ महायुति में सीटों के बंटवारे पर बातचीत शुरू हो गई है. यह तय हो चुका है कि राज्य के 29 नगर निगमों सहित सभी प्रमुख स्थानीय निकायों में महायुति के चारों सहयोगी दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे.
हालांकि, कुछ बड़े नगर निगमों को लेकर गठबंधन का फॉर्मूला अलग रखा गया है. मुंबई और ठाणे में केवल बीजेपी और शिवसेना चुनाव मैदान में उतरेंगी, जबकि पिंपरी-चिंचवड़ और पुणे में एनसीपी के साथ तालमेल रहेगा. नाशिक को लेकर अब भी तस्वीर साफ नहीं है और वहां फिलहाल ‘फ्रेंडली फाइट’ की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है.
बीजेपी और शिवसेना के बीच मंथन तेज
सबसे अहम बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच मंथन तेज हो गया है. 227 सदस्यीय बीएमसी में शिवसेना ने 125 सीटों की मांग रखी है. बीजेपी सूत्रों का कहना है कि यह शुरुआती प्रस्ताव है और बातचीत के लिहाज से रखा गया आंकड़ा है. अंतिम फैसला अभी बाकी है और इस मुद्दे पर बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व भी हस्तक्षेप कर सकता है.
किसे कितनी सीटें?
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी बीएमसी में 140 से 150 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है, जबकि शिवसेना को 80 से 90 सीटें दिए जाने का फॉर्मूला सामने आ रहा है. हालांकि शिवसेना अधिक सीटें हासिल करने के लिए पूरा दबाव बना रही है. पार्टी का तर्क है कि मुंबई में उसका संगठन मजबूत है और कोर मराठी वोट बैंक उसके साथ है. सीटों के बंटवारे पर अंतिम निर्णय एक समन्वय समिति लेगी.
बीएमसी चुनाव में सिर्फ बीजेपी और शिवसेना मैदान में
बीएमसी चुनाव में महायुति के केवल दो घटक दल- बीजेपी और शिवसेना- ही मैदान में होंगे. गठबंधन की रणनीति बीएमसी पर कब्जा जमाने की है, जो दशकों से शिवसेना का गढ़ रही है. नागपुर, ठाणे, नाशिक और अन्य नगर निगमों में सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला स्थानीय नेतृत्व और सहयोगी दलों की आपसी बातचीत पर छोड़ा गया है.
नगर निगम चुनावों में आपसी टकराव से बचने की रणनीति
वहीं, महायुति ने राज्यव्यापी स्तर पर 51 प्रतिशत वोट शेयर हासिल करने का लक्ष्य तय किया है. पहले चरण के कुछ स्थानीय निकाय चुनावों में सहयोगी दलों के आमने-सामने आने के बाद अब गठबंधन ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि नगर निगम चुनावों में आपसी टकराव से बचा जाएगा.
महायुति के रणनीतिकारों का मानना है कि महाविकास अघाड़ी को कड़ी चुनौती देने के लिए व्यावहारिक सीट-बंटवारा और कार्यकर्ताओं के स्तर पर मजबूत तालमेल ही जीत की असली कुंजी होगा.