मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले की एसटीएफ जांच की निगरानी के लिए बनाई गई एसआईटी के प्रमुख राज्य सरकार के साथ कानूनी पचड़े में फंस गए हैं.
अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' के मुताबिक, चंद्रेश भूषण रिटायर्ड उप-लोकायुक्त के तौर पर अपनी फैमिली पेंशन और छुट्टियों के पैसों के लिए पिछले 15 महीनों से चिट्ठियां लिख रहे हैं. लेकिन जब सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) दोनों से इनकार किया तो भूषण ने लोकायुक्त के पास शिकायत दर्ज कराई.
अब कानून विभाग की राय का इंतजार चूंकि लोकायुक्त आम तौर पर भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की ही जांच करते हैं, उन्होंने यह शिकायत संबंधित प्रशासन को भेज दी. कानून विभाग को अब भी अपनी राय देनी है. जीएडी का कहना है कि भूषण की मांगें नाजायज हैं. जीएडी के डिप्टी सेक्रेटरी राजेश कौल ने बताया, 'हम पहले ही बता चुके हैं कि उन्हें पूरे कार्यकाल में अधिकतम 300 छुट्टियां लेने का अधिकार था, जो वह बतौर हाई कोर्ट जज ले चुके थे. लेकिन चूंकि उन्होंने लोकायुक्त के पास शिकायत की है, हमने इस पर कानून विभाग की राय मांगी है.'
अब सीबीआई के हवाले है व्यापम केस की जांच एसआईटी चीफ भूषण हाईकोर्ट जज के तौर पर रिटायर होने के बाद से ही फैमिली पेंशन ले रहे थे. कौल ने बताया कि उप-लोकायुक्त के पद से रिटायर होने के बाद उनकी पेंशन में जरूरी संशोधन किया जा चुका है और अब एक और फैमिली पेंशन का प्रावधान नहीं है.
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जस्टिस (रिटायर्ड) चंद्रेश भूषण जो पहले 'उप-लोकायुक्त' और हाईकोर्ट जज रह चुके हैं, 2014 में एसआईटी के चेयरमैन बनाए गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने व्यापम से जुड़े सभी मामलों की जांच सीबीआई को सौंप दी है. सीबीआई ने बताया है कि इसके लिए 40 लोगों की टीम बनाई गई है जो सोमवार को भोपाल पहुंचेगी.