लोकसभा में मंगलवार को समाजवादी पार्टी के सांसद मोहिबुल्लाह नदवी के बयान ने राजनीतिक माहौल में गर्मी ला दी. वक्फ संपत्तियों से जुड़े मुद्दे पर बोलते हुए नदवी ने कहा कि आज ऐसा महसूस होता है कि संविधान के आर्टिकल 25 और 26 को कमजोर कर दिया गया है और मुसलमानों की जिंदगी तंग कर दी गई है.
नदवी ने सदन में आरोप लगाया कि 70 प्रतिशत वक्फ जायदादों का अभी तक रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है. उनका कहना था कि इस स्थिति ने समुदाय में असुरक्षा बढ़ा दी है. उन्होंने कहा कि देश में मुसलमानों के लिए हालात लगातार मुश्किल होते जा रहे हैं.
सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने गर्म किया राजनीतिक माहौल
अपने भाषण के दौरान उन्होंने मौलाना अरशद मदनी के बयान का भी जिक्र किया. नदवी ने कहा कि मौलाना का कहना है कि अन्याय और जुल्म के खिलाफ शायद हमें फिर लड़ना पड़ेगा और जिहाद करना पड़ेगा. नदवी ने इस बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि ऐसे हालात बन रहे हैं जब समुदाय को अपने अधिकारों की रक्षा के लिए नई लड़ाई लड़नी पड़ सकती है.
संसद में बैठे सदस्यों ने इस बयान पर नाराजगी जताई. सत्ताधारी दल के सांसदों ने इसे भड़काऊ और गैरजिम्मेदाराना बयान बताते हुए कड़ी आपत्ति जताई. उनका कहना था कि संसद में इस तरह की भाषा से समाज में गलत संदेश जाता है.
BJP नेताओं ने नदवी के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि यह देश के माहौल को बिगाड़ने की कोशिश है. उनका कहना था कि जिहाद जैसे शब्दों का इस्तेमाल संसद के अंदर नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे तनाव बढ़ता है और देश की एकता पर असर पड़ता है.
वक्फ की संपत्तियों पर कार्रवाई में पारदर्शिता हो
वहीं, विपक्षी दलों ने कहा कि सरकार को वक्फ संपत्तियों पर कार्रवाई को पारदर्शी रखना चाहिए और समुदाय की चिंताओं को गंभीरता से सुनना चाहिए. नदवी का यह बयान अब सोशल मीडिया पर भी तेजी से फैल रहा है.
कई लोग इसे समुदाय में असुरक्षा का संकेत बताते हैं, जबकि कई इसे राजनीतिक बयानबाजी मान रहे हैं. फिलहाल संसद में माहौल गरम है और इस बयान पर आगे भी चर्चा होने की संभावना जताई जा रही है.