कोरोना को देश में फैलने से रोकने के लिए केंद्र सरकार ने 25 मार्च से देश भर में लॉकडाउन लगा दिया था. लॉकडाउन की वजह से सबसे ज्यादा दिक्कतें गरीब और प्रवासी मजदूरों को झेलने पड़ीं. कुछ दिन में उनकी सारी बचत और राशन खत्म हो गए. जिसके बाद उन्हें पैदल ही अपने घर वापस निकलने के लिए मजबूर होना पड़ा. हालांकि बाद में सरकारों ने तमाम बसें और श्रमिक स्पेशल ट्रेनें भी चलाईं लेकिन प्रवासियों का पैदल पलायन लगातार जारी है. बिहार में प्रवासी मजदूरों के पलायन के प्रतीक बन चुके बेगूसराय निवासी रामपुकार से सोमवार को आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की.
बता दें कि बेगूसराय के रहने वाले रामपुकार उस वक्त सुर्खियों में आए जब अपने 1 साल के बेटे की मौत की खबर सुनने के बाद वह दिल्ली से अपने घर बेगूसराय के लिए पैदल ही रवाना हो गए थे. लेकिन यूपी बॉर्डर पर उन्हें पुलिस द्वारा रोक दिया गया था. रामपुकार दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर अधिकारियों से तीन दिन तक गुहार लगाते रहे कि उन्हें बॉर्डर पार करके बिहार जाने दिया जाए.
कोरोना पर फुल कवरेज के लिए यहां क्लिक करें
जानकारी के मुताबिक जब रामपुकार की परेशानी की खबर स्थानीय जिलाधिकारी को मिली तो उन्होंने उसे एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन में बिठा कर बेगूसराय भेज दिया. इस दौरान रामपुकार की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गई जिसमें उनके चेहरे पर दर्द को साफ देखा जा सकता था.
लॉकडाउन के बीच पुत्र वियोग और तमाम परेशानियों को झेलकर और जीतकर बेगुसराय पहुँचे सरकारी विफलता, उपेक्षा और संवेदनहीनता के शिकार श्री रामपुकार पंडित जी को तत्काल एक लाख की आर्थिक मदद और बिहार में ही नौकरी का भरोसा दिया है। pic.twitter.com/Uoz8E8hJ3B
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) May 25, 2020
देश-दुनिया के किस हिस्से में कितना है कोरोना का कहर? यहां क्लिक कर देखें
तेजस्वी यादव ने रामपुकार से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर बात करने के दौरान उनके दर्द को समझने की कोशिश की, उन्हें दिलासा दिलाया और फिर उनको एक लाख रुपयों की आर्थिक मदद भी दी. इसके साथ ही तेजस्वी यादव ने रामपुकार को नौकरी दिलवाने का भी वादा किया है. रामपुकार के साथ हुई उनकी बातचीत को लेकर तेजस्वी यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा कि वो सरकारी विफलता, उपेक्षा और संवेदनहीनता के शिकार हैं.