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Vitamin D deficiency: भारतीयों की लगभग आधी आबादी में विटामिन D की कमी! जानिए वजह और असर

डायग्नोस्टिक फर्म मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड द्वारा 6 साल तक भारत में स्टडी की गई जिसका उद्देश्य भारतीयों में विटामिन डी की कमी का पता लगाना था. रिसर्च में क्या सामने आया है, इस स्टडी में जानेंगे.

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भारत के करीब 46.5 प्रतिशत लोगों में विटामिन डी की कमी पाई गई है. (Photo: FreePic)
भारत के करीब 46.5 प्रतिशत लोगों में विटामिन डी की कमी पाई गई है. (Photo: FreePic)

विटामिन डी इंसानी शरीर के लिए काफी जरूरी विटामिन है. यह फैट में घुलनशील होता है जो शरीर को कैल्शियम और फॉस्फोरस के अवशोषण में मदद करता है. हड्डियों की हेल्थ में ये विटामिन काफी अहम भूमिका निभाता है. हाल ही में एक स्टडी में सामने आया है कि लगभग आधी भारतीय आबादी में विटामिन डी की कमी है. इस स्टडी ने काफी सवाल खड़े कर दिए हैं. यह स्टडी 6 सालों तक चली और उसके आधार पर इसका निष्कर्ष निकाला गया है. तो आइए जानते हैं क्या कहती है ये स्टडी...

स्टडी के बारे में ये भी जानें

डायग्नोस्टिक फर्म मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड द्वारा 6 साल में लगभग 20.2 लाख टेस्टिंग की गईं और टेस्ट में लगभग आधे भारतीयों में विटामिन डी की कमी पाई गई है. इस रिसर्च को अमीरा शाह ने लीड किया और निष्कर्ष निकाला कि भारत के करीब 46.5 प्रतिशत व्यक्तियों में विटामिन डी की कमी थी जबकि अन्य 26 प्रतिशत में विटामिन डी का स्तर पर्याप्त नहीं था.

2019 और जनवरी 2025 के बीच इकट्ठे किए गए 20.2 लाख से अधिक परिणाम बताते हैं कि विटामिन डी की भारतीयों में काफी कमी है जिसे बेहतर जागरुकता, बेहतर पोषण और नियमित जांच से पता किया जा सकता है.

निष्कर्ष बताते हैं कि भारत में विटामिन डी की कमी के प्रमुख कारण सिर्फ भौगोलिक स्थिति नहीं, बल्कि शहरी जीवन, धूप में बहुत कम समय बिताने और खराब खान-पान की आदतें हैं. आंकड़े लगातार सुधार भी दर्शाते हैं क्योंकि नेशनल लेवल पर विटामिन डी की कमी की दर 2019-20 के लगभग 51 प्रतिशत से घटकर 2023-24 में 43 प्रतिशत हो गई है. 

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विटामिन डी की कमी वयस्कों में अधिक पाई गई क्योंकि वो काम के कारण ऑफिस में होते हैं या फिर घर में होते हैं और इसके कारण वे धूप में कम निकलते हैं. 13–18 साल के बच्चे और टीनएजर्स ने भले ही टेस्टिंग कम कराई लेकिन उनमें विटामिन D की कमी सबसे ज्यादा पाई गई. लगभग 66.9 प्रतिशत यानी हर 10 में से करीब 7 टीनएजर में इसकी कमी देखी गई थी.

समय के साथ लिंग के आधार पर ये अंतर कम हुआ है. महिलाओं में विटामिन डी की कमी का लेवल 46.9 प्रतिशत और पुरुषों में 45.8 प्रतिशत है जो महिलाओं के लिए बेहतर न्यूट्रिशन के प्रति जागरुकता को दिखाता है.

कहां कितनी कमी देखी गई

रीजनल स्टडी से भारत के अलग-अलग हिस्सों में काफी अंतर देखने को मिला. जैसे दक्षिण भारत में विटामिन डी की सबसे अधिक कमी 51.6 प्रतिशत लोगों में दर्ज की गई. केरल, पुडुचेरी और तमिलनाडु में यह कमी 50 प्रतिशत से भी ज्यादा थी. अगर मध्य भारत की बात करें तो वहां 48.1 प्रतिशत और उत्तर भारत में 44.9 प्रतिशत लोगों में विटामिन डी की कमी पाई गई. पश्चिम भारत (महाराष्ट्र शामिल है) में स्थिति थोड़ी बेहतर थी और वहां 42.9 प्रतिशत लोगों में विटामिन डी की कमी पाई गई.

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उत्तर-पूर्व भारत के लोगों में विटामिन डी की सबसे कम कमी 36.9 प्रतिशत पाई गई थी जिसका कारण माना जा रहा है कि वहां के लोग अधिक समय बाहर बिताते हैं और उनकी डाइट में भी वैरायटी होती है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर सुरेंद्रन चेम्मेनकोटिल ने कहा, 'विटामिन D की कमी आज भारत में सबसे अनदेखी की जाने वाली स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है. भले ही इसकी कमी के प्रभाव धीरे-धीरे दिखें, लेकिन ये गंभीर होते हैं. हड्डियों की हेल्थ, इम्यूनिटी और ओवरऑल हेल्थ पर इसकी कमी गहरा असर डाल सकती है.

मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड की मुख्य साइंटिस्ट और इनोवेशन ऑफिसर किरण चड्ढा का कहना है, 'विटामिन D हड्डियों के मिनरलाइजेशन, मसल्स के काम और इम्यून सिस्टम को रेगुलेट करने में अहम भूमिका निभाता है. इसकी कमी तब तक पता नहीं चलती जब तक थकान, कमजोरी या बार-बार बीमार पड़ना जैसे लक्षण नजर ना आएं.'

'इसकी कमी का पता करने के लिए कैल्शियम और पैराथायरॉयड हार्मोन के स्तर की जांच करना जरूरी है ताकि विटामिन D की कमी के सटीक कारण का पता लगाया जा सके.'

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