देश में लॉकडाउन का एक महीना पूरा हो गया है, बावजूद इसके कोरोना के संक्रमण की रफ्तार कम नहीं हो रही है, ऐसे में 'ई-एजेंडा आजतक' में ऐसे डॉक्टर ने अपने अनुभव शेयर किए, जो कोरोना के मरीजों के इलाज करने के दौरान स्वंय कोरोना से संक्रमित हो गए थे. बाद में वह ठीक होकर फिर से काम में जुट गए.
इन्हीं में एक नाम है KGMU के डॉ तौसीफ खान का. उन्होंने ने बताया, जब मेरी रिपोर्ट में आया कि मैं कोरोना से संक्रमित हूं, तो उस दौरान बिल्कुल नहीं घबराया था. क्योंकि मैं जिस क्षेत्र में काम करता हूं, कहीं न कहीं जानता था कि कोरोना से संक्रमित हो सकता हूं.
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उन्होंने कहा, हम डॉक्टर्स डरकर काम नहीं करते हैं, अगर डरकर काम करेंगे तो काम नहीं होगा. जब मेरी कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव आई, तब मैं 21 दिनों के लिए आइसोलेशन में गया. जिसके बाद कोरोना की मेरी रिपोर्ट नेगेटिव आई, जब रिपोर्ट नेगेटिव आई उसके बाद मैं अपने घर गया.
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उन्होंने बताया, आज मैं बिल्कुल ठीक हूं. लेकिन वो समय भी था जब मेरा टेस्ट पॉजिटिव आया तो मुझे हैरानी नहीं हुई थी. क्योंकि हम सभी डॉक्टर्स जानते हैं, यदि हम ऐसे डिपार्टमेंट में काम करते हैं जहां कोरोना के मरीज हैं तो हमें कोरोना होने की संभावनाएं रहती हैं.
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बता दें, डॉ तौसीफ ने लखनऊ के पहले कोरोना वायरस मरीज का इलाज किया था, जिनके संपर्क में आकर ही वह कोरोना वायरस के शिकार हुए थे. डॉ तौसीफ ने बताया मुझे मेरे घरवालों से दूर रखा गया था.
उन्होंने कहा कि वो समय परिवार वालों के लिए मुश्किल वक्त था. परिवार वालों के साथ दोस्त, रिश्तेदार और स्टाफ के सदस्य भी काफी परेशान थे. लेकिन हम लोग आपस में बात करते रहते थे. ऐसे में मैं खुद अपने परिवार वालों की काउंसलिंग किया करता था.