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1 महीने में बढ़ाया 20 किलो वजन, फिर 1 महीने में घटाया भी, 'गांधी गोडसे' एक्टर ने बताया क्यों करना पड़ा?

सपनों के शहर मुंबई में रोजाना एक्टर बनने का ख्वाब लेकर पूरे देश से लोग आते हैं. एक ओर जहां कुछ खुशनसीब लोगों के सपने ऊंचाईं की बुलंदियों तक पहुंचते हैं, तो कईयों के टूटकर बिखर भी जाते हैं. यहां हर कलाकार की अपनी एक स्ट्रगल स्टोरी है. गांधी गोडसे एक युद्ध के ही असिस्टेंट डायरेक्टर संदीप भोजक भी हमसे अपनी कहानी शेयर करते हैं.

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संदीप भोजक
संदीप भोजक

'गांधी गोडसे एक युद्ध' फिल्म इस हफ्ते रिलीज होने वाली है. बता दें एक लंबे समय के बाद राज कुमार संतोषी डायरेक्शन में वापसी करने जा रहे हैं. इस फिल्म के ज्यादातर स्टारकास्ट नए चेहरे हैं. इस फिल्म में संदीप भोजक जेलर के किरदार में नजर आने वाले हैं. संदीप हमसे न केवल अपने किरदार बल्कि अपनी दिलचस्प जर्नी का किस्सा भी शेयर करते हैं. 

फिल्म में अपने किरदार की तैयारी पर बात करते हुए संदीप बताते हैं, फिल्म में मेरा अहम किरदार है. मैं इसमें जेलर बना हूं. इसके अलावा मैं इस फिल्म में राजकुमार संतोषी सर को असिस्ट भी कर रहा था. इस किरदार के लिए मैंने एक महीने में बीस किलो वजन बढ़ाया था. एक आउटसाइडर एक्टर को अगर राज कुमार संतोषी जी के साथ काम करने का मौका मिल रहा है, तो इससे बड़ा अचीवमेंट और क्या हो सकता है. ऐसे में वजन बढ़ना तो कोई बड़ी बात नहीं थी.

रोल के लिए डेढ़ महीने में कम किया 20 किलो वजन 

मजेदार बात यह है कि राज सर की ही एक अगली फिल्म में भी मैं काम कर रहा हूं. इस फिल्म में मुझे कॉलेज स्टूडेंट जैसा दिखना है, तो जिसकी भी शूटिंग जल्द शुरू होनी थी, फिर क्या था, मैंने खाना-पीना त्याग दिया और दिन में तीन से चार घंटे जिम करने लगा. लगभग डेढ़ महीने में मैंने अपनी बॉडी से 20 किलो दोबारा कम कर दिया था. 

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अपने करियर के बारे में संदीप बताते हैं, मेरी जर्नी बहुत ही अलग रही है. मैं बिकानेर से हूं और परिवार में मां-पिताजी, पत्नी और एक बेटी है. मैं एक्टिंग को लेकर पैशनेट रहा हूं. हमारी फाइनैंसियल कंडीशन बहुत ठीक नहीं थी, पहले मैं जूते के शो-रूम में काम करता था. फिर मैंने पैसे जोड़कर खुद के जूते का स्टोर खोला. इस दौरान पैसे तो ठीक-ठाक आने लगे थे लेकिन काम में मन नहीं लगता था. एक दिन अचानक से मैंने अपने स्टोर में 200 रुपये प्रति जूते की सेल लगा दी ताकि पूरा माल खाली हो जाए और मैं इन पैसों से मुंबई चला आऊं. कई रिश्तेदार ताने भी देते थे कि मैं कैसा पति और बाप हूं, जो अपने स्वार्थ के सामने किसी को नहीं देख पा रहा है. हालांकि मेरी पत्नी ने कभी कुछ नहीं कहा बल्कि वो मुझे सपोर्ट करती रही. 

मुंबई में हुआ ठगों का श‍िकार 

मुंबई आने के बाद रिएलिटी का सामना हुआ. मुझे कुछ पता नहीं होता था, तो कई बार ठगी का शिकार भी हुआ. मैं लोगों को पैसे देकर काम मांगा करता था. कॉन्ट्रैक्टर मुझसे पैसे ले लेते और प्रोजेक्ट देने की बात को टालते जाते थे. तब किसी ने बताया कि मैं तो उल्लू बनाया जा रहा हूं. यहां पैसे से नहीं बल्कि मेहनत से काम मिलती है. खैर, इस बीच पैसे भी खत्म होने को थे, तो मैं विरार में एक हजार रुपये के कमरे में दो तीन दोस्तों के साथ रहा करता था. मैं रोजाना ऑडिशन के लिए तीन घंटे ट्रैवल कर पहुंचा करता था. पहला प्रोजेक्ट मुझे दीया और बाती में मिला, जिसमें एक दिन के लिए मुझे तीन हजार मिले थे. इसके बाद मैं पैसे कमाने की लालच में टीवी में ऐपिसोडिक शोज करता गया. अच्छा खासा बैंक बैलेंस बनाकर अब जाकर मैं यहां पहुंचा हूं. जरूर कहना चाहूंगा कि पत्नी का पूरा सपोर्ट रहा, जब मुंबई में खर्च के पैसे नहीं होते थे, तो वो बेचारी मुझे अपना स्त्रीधन भेजा करती थी. रिश्तेदारों से मिले पैसे सहेजकर वो रखा करती और मुझे जरूरत पड़ने पर भेज देती थी. 

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बता दें, संदीप भोजक इन दिनों राजकुमार संतोषी की अगली प्रोजेक्ट बैड बॉय में रणदीप हुड्डा संग स्क्रीन शेयर करते नजर आने वाले हैं. इसके अलावा संदीप ने बैटल ऑफ सारागढ़ी, होटल मुंबई, राम-राज्य जैसी प्रोजेक्ट का हिस्सा रहे हैं.

 

 

 

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