रियल-लाइफ और ऑन-स्क्रीन कपल मनोज पाहवा और सीमा पाहवा को हाल ही में वेब सीरीज 'परफेक्ट फैमिली' में साथ देखा गया था. अब उन्होंने समाज में जेंडर रोल्स पर खुलकर बात की है और बताया कि कैसे इन भूमिकाओं ने पीढ़ियों से परिवारों में उम्मीदें गढ़ी हैं. उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि पारंपरिक रूप से पुरुष ही कमाने वाले रहे हैं, इसलिए महिलाओं को घर की जिम्मेदारी लेने से हिचकिचाना नहीं चाहिए.
सीमा पाहवा ने महिलाओं पर क्या कहा?
सीमा पाहवा ने पारंपरिक भूमिकाओं के बनने और महिलाओं के घरेलू जिम्मेदारियां उठाने के पीछे के कारण पर अपनी राय रखी. उन्होंने डिजिटल कमेंट्री संग बातचीत में कहा, 'जब पुरुष और महिला के बीच काम का बंटवारा हुआ कि पुरुष बाहर काम करेंगे और महिला घर संभालेगी, तो इसके पीछे शायद महिला का स्वभाव रहा होगा. महिला स्वभाव से बहुत कोमल होती है और वह जन्म से मां होती है. घर की जिम्मेदारी उसके लिए अपने आप आ जाती है.'
शादी के बाद अपनी जिंदगी पर विचार करते हुए सीमा ने कहा कि उन्होंने खाना बनाना, बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करना और सास-ससुर की देखभाल जैसे घरेलू काम संभाले. एक्ट्रेस ने कहा, 'मैंने इसके खिलाफ बगावत नहीं की. मैंने सोचा कि मुझे यह काम करना है क्योंकि ये मेरी ड्यूटीज हैं. और यह कोई बंधन नहीं है. मुझे इससे संतुष्टि मिलती है. मैं मनोज के शूट पर जाने के लिए खाना बनाती हूं और उनसे कहती हूं कि मैं यह आपके लिए नहीं कर रही, मैं यह अपने लिए कर रही हूं, क्योंकि मुझे इससे अच्छा लगता है.'
युवा पीढ़ी के जेंडर रोल्स पर सवाल उठाने पर उन्होंने कहा, 'मैं युवाओं से बुजुर्ग महिला की तरह बात करती हूं जब वे जेंडर रोल्स के खिलाफ बगावत करते हैं... घर का काम करने में क्या समस्या है. मैं खुद भी करियर ओरिएंटेड महिला हूं और काम और घर दोनों को बैलेंस कर रही हूं. अगर हम घर के काम को छोटा समझेंगे, तो हम महिलाएं अपने स्वभाव के खिलाफ जा रही हैं.'
मनोज पाहवा ने भी इसी तरह की भावनाएं व्यक्त कीं और घरेलू भूमिकाओं को लंबे समय से चले आ रहे मानव व्यवहार से जोड़ा. उन्होंने कहा, 'यह जेनेटिक व्यवहार है. जब पुरुष शिकार करने जाते थे, तब महिलाएं घर पर बच्चों की देखभाल करती थीं. पुरुष ही शिकार करके खाना जुटाता था. आधुनिक समाज में लड़कियां फंस गईं, क्योंकि यह स्वभाव उनमें जेनेटिक रूप से मौजूद है लेकिन वे स्वतंत्र भी बनना चाहती हैं. डबल चक्कर में खुद ही फंस गईं. अब उन्हें घर और बाहर दोनों काम करने पड़ रहे हैं.'
उन्होंने आगे कहा कि समाज में बदलाव आने में समय लगता है. मनोज बोले, 'जेनेटिक व्यवहार बदलने में हजारों साल लगते हैं. अब हम कुछ उदाहरण देख रहे हैं, जहां महिलाओं का अच्छा करियर होने पर पुरुष घर पर रहते हैं.'