बॉलीवुड में मलिक परिवार ने भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है. म्यूजिक डायरेक्टर अनु मलिक के कंपोज किए गाने 90s में सुपरहिट थे. मगर उनके छोटे भाई डब्बू मलिक अपना उतना बड़ा नाम नहीं बना पाए. इस बात को अमाल मलिक कई बार अपने इंटरव्यूज में दोहरा भी चुके हैं.
अमाल मलिक ने सुनाई अपने परिवार के स्ट्रगल की कहानी
कुछ वक्त पहले अमाल मलिक 'बिग बॉस 19' रियलिटी शो का भी हिस्सा थे. वहां उन्होंने अपनी फैमिली और स्ट्रगल पर बात की. अमाल ने कई बार कहा कि उनके चाचा अनु मलिक ने उनके परिवार की कोई मदद नहीं की. सिंगर ने ये तक कह दिया था कि उनके पिता एक फेलियर हैं. अब अमाल ने एक बार फिर अपने स्ट्रगल और फैमिली में आईं परेशानियों का जिक्र किया है.
स्क्रीन को दिए इंटरव्यू में अमाल ने कहा है कि उन्होंने रिवर्स नेपोटिज्म झेला है. यानी इनसाइडर होने के बावजूद, उनके और भाई अरमान मलिक के साथ आउटसाइडर जैसा बर्ताव किया गया. अमाल ने कहा, 'जब भी बिग बॉस में मेरा नॉमिनेशन होता था, मुझे लगता था कि घर जाकर मम्मी एक जोरदार थप्पड़ मारेंगी, क्योंकि मैंने परिवार की सारी हिस्ट्री, केमिस्ट्री, बायोडाटा, मतलब सारी सच्चाई सबको बता दी. लोग मुझसे सवाल करते थे. मैं सालों से नेपोटिज्म शब्द सुनता आ रहा था, लेकिन हमारे लिए तो उल्टा नेपोटिज्म था.'
'मैं एक स्टूडियो में काम कर रहा था और जैसे ही उन्हें पता चला कि मैं डब्बू मलिक का बेटा हूं, उन्होंने मुझे वहां से निकाल दिया. मैं तो सिर्फ असिस्टेंट था. बहुत बार मौके हाथ से निकल गए. मैं 500 रुपये कन्वेयंस के लिए फिल्मों का डेटा पेन ड्राइव में लेकर घूमा करता था. हमारे मुंह में कभी चांदी का चम्मच नहीं थी और हमारे पापा अनु मलिक नहीं थे. वो तो सफल थे. मेरे पापा ने अपने कुछ साल अच्छा काम किया, लेकिन उन्हें कभी इनविटेशन नहीं मिला, नॉमिनेशन नहीं मिला, कोई पोजीशन नहीं मिली.'
पिता डब्बू मलिक ने किया करियर कुर्बान, बेटे से की रिक्वेस्ट
अमाल ने आगे कहा, '75 फिल्में करने के बाद जब आप अपने हीरो, यानी अपने पापा को अवॉर्ड फंक्शन्स में बुलाया तक नहीं जाता देखते हो. दुर्भाग्य से या सौभाग्य से, मम्मी ने हमें ऐसी स्कूल में डाला जहां श्रद्धा कपूर, आलिया भट्ट वगैरह पढ़ती थीं और सब लोग इन चीजों में जा रहे थे, तो हमें भी किसी तरह आउटसाइडर ही महसूस कराया जाता था.'
अमाल ने अपने पिता के स्ट्रगल और अपनी कुर्बानी के बारे में बताते हुए कहा, 'मेरा दादाजी का निधन तब हुआ जब मैं सिर्फ 15 साल का था. उसके बाद पापा ने अपनी करियर छोड़ दिया, 20 फिल्में बीच में छोड़ दीं और मुझसे कहा कि अब तुझे कमाना शुरू करना पड़ेगा. मैं उस टाइम डिस्ट्रिक्ट लेवल फुटबॉल खेलता था, एनएम कॉलेज में एडमिशन भी मिल गया था. मुझे लगा कि अब कॉलेज लाइफ एन्जॉय करूंगा, लेकिन मैं सीधा राजू सिंह के साथ असिस्ट करने चला गया. टीवी सीरियल्स जैसे मिले जब हम तुम और संजीवनी वगैरह में काम किया.'
'मैं तो बस एक बच्चा था, जो सीख रहा था और सिर्फ इसलिए काम कर रहा था क्योंकि घर के लिए 5-10 हजार रुपए कमाने जरूरी थे. अगर हमारी हालत इतनी अच्छी होती, तो कौन सा बाप अपने 15 साल के बेटे से मदद मांगता? मैं खुश हूं कि पापा ने ऐसा किया. अगर वो मुझे ऐसा ना कहते, तो आज मैं यहां ना बैठा होता. मैं तो 35 साल की उम्र में डेब्यू करना चाहता था, लेकिन आज मैं पहले से ही कुछ बन चुका हूं. तो पापा ही वो कैटेलिस्ट हैं, जिनकी वजह से सब कुछ जल्दी हुआ.'