मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं और बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया खूब चर्चा में हैं. सिंधिया को इस समय अपने समर्थकों के बीच मान-मनोव्वल करते हुए देखा जा रहा है. इस बीच, टिकट बंटवारे को लेकर जो आंकड़े आ रहे हैं, वो सिंधिया के दबदबा की कहानी बयां कर रहे हैं. चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस. सिंधिया के समर्थकों को जमकर टिकट मिले हैं. 2020 के उलटफेर के वक्त सिंधिया के समर्थन में जिन 25 विधायकों ने कांग्रेस छोड़ी थी, उनमें 18 को बीजेपी ने रिपीट (उपचुनाव के बाद फिर टिकट) कर दिया है. टिकट पाने वालों में 10 सिंधिया समर्थक मंत्री शामिल हैं.
जिन मंत्रियों को टिकट मिला है, उनमें प्रद्युम्न सिंह तोमर (ग्वालियर), तुलसी सिलावट (सांवेर, इंदौर), राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव (बदनावर, धार), प्रभुराम चौधरी (सांची, रायसेन), गोविंद सिंह (सुर्खी, सागर), बिसाहूलाल सिंह (अनूपपुर), हरदीप सिंह डंग (सुवासरा, मंदसौर), महेंद्र सिंह सिसौदिया (बमौरी, गुना), प्रद्युम्न सिंह लोधी (बड़ामलहरा, छतरपुर), सुरेश धाकड़ (पोहरी, शिवपुरी) का नाम शामिल है.
अन्य पांच मौजूदा विधायकों में अशोकनगर से जयपाल सिंह जज्जी, मुरैना के अंबाह से कमलेश जाटव, अशोकनगर के मुंगावली से ब्रजेंद्र सिंह यादव, देवास के हाटपिपलिया से मनोज चौधरी और निमाड के मंधाता से नारायण पटेल को भी टिकट मिला है.
'2020 में जो नेता हारे, उन्हें भी टिकट'
इतना ही नहीं, बीजेपी ने सिंधिया समर्थक उन तीन नेताओं को भी फिर से टिकट दिया है, जो 2020 के उपचुनाव में हार गए थे. इनमें डबरा (ग्वालियर) से इमरती देवी, सुमावली (मुरैना) से ऐंदल सिंह कंषाना और मुरैना से रघुराज सिंह कंषाना का नाम शामिल है.
'सात नेताओं को नहीं मिला टिकट'
इसके अलावा, नवंबर 2020 में उपचुनाव जीतने के बावजूद सिंधिया समर्थक 7 नेताओं को बीजेपी से टिकट नहीं मिला है. इनमें शहरी विकास और आवास मंत्री ओपीएस भदौरिया (मेहगांव), मुन्ना लाल गोयल (ग्वालियर पूर्व), रक्षा सनोरिया (भांडेर), सुमित्रा देवी कास्डेकर (नेपानगर) का नाम शामिल है. कुछ नाम ऐसे हैं, जिन्होंने उपचुनाव हारने के बाद अब चुप्पी साध रखी है. इनमें गिरिराज दंडौतिया (दिमनी), रणवीर जाटव (गोहद), जसवंत जाटव (करैरा) का नाम है.
'कांग्रेस ने भी टिकट दिए हैं'
बीजेपी के अलावा, सिंधिया समर्थक पुराने नेताओं को कांग्रेस में भी खूब टिकट मिले हैं. ये नेता बीजेपी छोड़कर फिर से कांग्रेस में शामिल हुए हैं. इनमें बोधी सिंह भगत (कटंगी, बालाघाट), समंदर पटेल (जावद, नीमच), बैजनाथ यादव (कोलारस, शिवपुरी) का नाम है. यहां से बीजेपी के सिटिंग विधायक वीरेंद्र सिंह रघुवंशी थे. उन्होंने पार्टी छोड़ दी है.
'बीजेपी ने दिग्गज नेताओं को भी उतारा मैदान में'
यह भी दिलचस्प है कि बीजेपी ने इस चुनाव में पार्टी के बड़े नेता और केंद्रीय मंत्रियों को भी टिकट दिए हैं और चुनाव में उतारा है. लेकिन, उनमें सिंधिया का नाम नहीं है. यानी वो केंद्र की राजनीति में ही सक्रिय रहने वाले हैं. जिन बड़े नेताओं को उम्मीदवार बनाया है, उनमें प्रहलाद सिंह पटेल (नरसिंहपुर), नरेंद्र सिंह तोमर (दिमनी, मुरैना), फग्गन सिंह कुलस्ते (निवास, मंडला), कैलाश विजयवर्गीय (इंदौर), राकेश सिंह (जबलपुर), गणेश सिंह (सतना), रीति पाठक (सीधी) का नाम शामिल है.
'सिंधिया के लिए समर्थकों को जीत दिलाना बड़ा टास्क'
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस चुनाव में जिस तरह से सिंधिया को लेकर तमाम तरह की कयासबाजी चल रही थी, वो फिलहाल दूर गपशप बनकर ही रह गई. टिकट बंटवारे से लेकर अन्य निर्णयों में सिंधिया की छाप साफतौर पर देखने को मिली है. इस चुनाव में भी वो अपने करीबियों को टिकट दिलाने में कामयाब रहे हैं. हालांकि, जानकार यह भी कहते हैं कि यह सिंधिया की असली परीक्षा है. उनके समर्थक विधायक-मंत्रियों को टिकट मिल गए हैं. लेकिन, असली चुनौती उन उम्मीदवारों को जीत दिलाना होगी. यह सिंधिया के लिए भी एक बड़ा टास्क रहेगा.