पर्सनल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में निरंतर सुधार और इनोवेशन तथा ऑनलाइन कम्युनिटी बढऩे से समाज की नई परिभाषा बन गई है. इसके साथ ही अध्ययन और अध्यापन का अर्थ भी बदलता जा रहा है. सोशल मीडिया वेबसाइट जैसे फेसबुक, ट्विटर, लिंक्डइन, गूगलप्लस और पिंटरेस्ट लोगों को जोडऩे, जानकारियों का आदान-प्रदान और संबंध बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं. लेकिन वे लोगों को दिशाहीन तरह से इंटरनेट खंगालने, बिना वजह से लोगों से संबंध बनाने के मौके भी मुहैया कराती हैं. इस तरह के काम से लोगों का सीखने का उद्देश्य पूरा नहीं होता है.
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि लोगों ने प्रोफेशनल और पर्सनल रिलेशन बनाने के लिए इन नेटवर्कों को जिंदगी का हिस्सा बना लिया है. सभी इंटरनेट उपभोक्ताओं में करीब 72 फीसदी लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं और इनमें 18-29 साल के युवाओं की संख्या 89 प्रतिशत है. यहां तक कि सोशल नेटवर्किंग साइट इस्तेमाल करने वाले 30-49 आयु वर्ग के लोगों की संख्या भी 72 प्रतिशत है. 50-60 साल के लोग भी इन साइट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं और इनकी संख्या करीब 60 फीसदी है. कॉमस्कोर के ग्लोबल रुझान पर यकीन करें तो 2011-12 के बीच युवाओं के सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर बिताए जा रहे समय में 62 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा हुआ है (13 मिनट में 1 से 8 में 1). इस अवधि में ज्यादा पारंपरिक इंटरनेट के इस्तेमाल में 50 करोड़ घंटों की कमी आई है.
यह दिखाता है कि आज के सक्रिय वेब उपभोक्ता या डिजिटल नेटिव ऐसे लोगों की मांग कर रहे हैं जो सोशल नेटवर्किंग साइट्स से लाभ उठाने को प्राथमिकता देते हैं. यहां तक कि शिक्षा शास्त्री भी उच्च शिक्षा में सोशल नेटवर्किंग के फायदों पर नजर रखने लगे हैं. यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के लगभग 100 प्रतिशत छात्र अपना ज्यादातर समय सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर बिता रहे हैं.
यह अध्ययन कोर्स केंद्रित होने के साथ-साथ अनौपचारिक भी हो सकता है, जिसमें पहले से निर्धारित किसी करिकुलम की जरूरत नहीं होती है और अकसर सीखने वाले के भीतर से ही नए विषय निकल आते हैं, जैसे स्टुडेंट्स का कोई समूह, जो आने वाले टेस्ट के लिए या कुछ नई रोचक चीज सीखने के लिए इकट्ठा होता है. वे आपस में सहयोग कर सकते हैं और जानकारी के लिए इंटरनेट का सहारा ले सकते हैं.
सोशल लर्निंग के मंच इंटरनेट को ज्यादा सार्थक और फायदेमंद और 21वीं सदी को ज्यादा क्षमतावान बना सकते हैं. लोग सोशल मीडिया पर अपनी मौजूदगी का सदुपयोग कैसे करें, यह पूरी तरह से उन्हीं पर निर्भर करता है. सोशल नेटवर्किंग का यह दौर इतनी जल्दी फीका पडऩे वाला नहीं है. यह हमारा भविष्य है.