scorecardresearch
 

परीक्षाओं में स्थानीय भाषा में उत्तर लिखने की इजाजत दें संस्थान: UGC

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने विश्वविद्यालयों से अनुरोध किया है कि आपके विवि में छात्रों को परीक्षा में स्थानीय भाषाओं में उत्तर लिखने की अनुमति दी जाए, भले ही कार्यक्रम अंग्रेजी माध्यम में हो. आयोग ने राष्ट्रीय श‍िक्षा नीति का हवाला देते हुए स्थानीय भाषाओं को अपनाने को कहा है.

Advertisement
X
प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

राष्ट्रीय श‍िक्षा नीति में स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने की बात कही गई है. इसी को देखते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने विश्वविद्यालयों से अनुरोध किया है कि आपके विवि में छात्रों को परीक्षा में स्थानीय भाषाओं में उत्तर लिखने की अनुमति दी जाए, भले ही कार्यक्रम अंग्रेजी माध्यम में हो. साथ ही मौलिक लेखन का स्थानीय भाषाओं में अनुवाद और श‍िक्षण अध‍िगम प्रक्र‍िया में स्थानीय भाषा के उपयोग को विश्वविद्यालय में बढ़ावा दिया जाए. आयोग के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने यह जानकारी दी. 

आयोग ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थान पाठ्य पुस्तकें तैयार करने और मातृभाषा/स्थानीय भाषाओं में शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. आयोग ने जोर देकर कहा कि इन प्रयासों को मजबूत करना और ‘मातृभाषा/स्थानीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों को लिखने और अन्य भाषाओं से मानक पुस्तकों के अनुवाद सहित शिक्षण में उनके उपयोग को प्रोत्साहित करने जैसी पहल को बढ़ावा देना’ आवश्यक है.

पढ़ें: यूजीसी ने क्या कहा 

यूजीसी ने कहा कि यह उत्साहजनक है कि हमारे देश के हर राज्य में उच्च श‍िक्षा संस्थानों, विश्वविद्यालयों, कॉलेजों की ओर से स्थानीय भाषाओं में श‍िक्षण को बढ़ावा दिया जा रहा है. इससे छात्रों विशेष रूप से सामाजिक और आर्थ‍िक रूप से वंच‍ित समूहों को लाभ हुआ है. हालांकि अकादमिक पारिस्थ‍ित‍िकी अभी सामान्य रूप से अंग्रेजी माध्यम में केंद्र‍ित बनी हुई है. यदि स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई को मजबूत किया जो तो श‍िक्षण अध‍िगम में छात्रों की सहभागिता बढ़ेगी, जिससे उनकी सफलता दर में वृद्ध‍ि होगी. यह साल 20235 तक उच्चतर श‍िक्षा में सकल नामांकन अनुपात यानी कि GER  को 27 से 50 पर्सेंट तक बढ़ाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मजबूती प्रदान करेगा.

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement