Purnea University Protest: लंबे संघर्ष के बाद सन 2018 में बिहार के पूर्णिया और आसपास के 4 जिलों को पूर्णिया में विश्वविद्यालय मिला और स्थापना होने के साथ ही यह विवादों के घेरे में चला गया. विश्वविद्यालय अपना तीसरा साल पूरा करने जा रहा है लेकिन समस्या बढ़ती ही जा रही है. यह समस्या है उन छात्रों की, जो 2 सालों से पढ़ाई तो कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अपनी डिग्री की मान्यता का कुछ अता पता नहीं है. छात्र भी अब यूनिवर्सिटी के खिलाफ विरोध में जुड़ने लगे हैं.
पुर्णिया विश्वविद्यालय के MBA में कुल 45 दाखिले हुए थे जिसमें से 40 बच्चे विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं. इन छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय में MBA सेल्फ फाइनेंसिंग कोर्स है जिसके लिए सेमेस्टर में 37, 500 रुपए फीस वसूली गई है मगर सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है. यहां तक कि शुरुआत में एक ही बॉटनी के लैब में क्लास दी जाती थी और क्लास से प्रोफ़ेसर नदारद रहते थे. न ही ब्लैक बोर्ड और न ही उनके कमरे में कोई बैठने की ठीक व्यवस्था. देखने में यह किसी चरवाहा विद्यालय से कम नहीं है.
गेट पर ही धरना
साल भर के बाद इन छात्रों को यह पता चला कि जिस कोर्स में पढ़ाई कर रहे हैं उस कोर्स की मान्यता है ही नहीं. इसके बाद छात्रों को सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा है. अंत में इन छात्रों ने विरोध का रुख अख्तियार करते हुए विश्वविद्यालय के गेट पर ही धरना दे डाला. छात्रों ने बताया कि उन्हें अंधेरे में रखा गया था और जब सवाल करते हैं तो विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर और वाइस चांसलर राजनाथ यादव, जो उस वक्त प्रो वाइस चांसलर थे, वह लोग कहते हैं कि खुद से इस बात को समझना चाहिए था. यह बताना उनका काम नहीं था.
मान्यता के बिना एडमिशन
विश्वविद्यालय बनाओ संघर्ष समिति के संस्थापक आलोक राज ने आजतक से बात करते हुए बताया कि वर्ष 2018 में जब से विश्वविद्यालय बना है तब से वह इसकी कमियों को उजागर करते आ रहे हैं. इस विश्वविद्यालय में न ही MBA की कोई मान्यता है, न ही LLM की और न ही किसी भी तरह के PG कोर्स की. बावजूद इसके बच्चों का एडमिशन धड़ल्ले से ले लिया और अब मान्यता नहीं होने के बाद भी आश्वासन ही दे रहे हैं. वो बच्चे कहां जाएंगे जिन्होंने स्टूडेंट क्रेडिट योजना से लोन लेकर अपने 2 साल तो पूरे कर लिए लेकिन अब तक पहला सेमेस्टर भी नहीं हुआ.
आलोक राज ने परत दर परत विश्वविद्यालय की कई सारी कमियां गिना डाली. उन्होंने बताया कि इस विश्वविद्यालय में सारा काम राजभवन से चलता है जिन्होंने अपने लोगों को ही विश्वविद्यालय का कुलपति बना दिया है. तत्कालीन कुलपति राजेश सिंह पर भी कई सारे आरोप लगते आए हैं और आरोप कई हद तक सही भी साबित हुए हैं. सारी समस्याओं को लेकर आलोक राज लगातार आला अधिकारियों को ज्ञापन सौंप चुके हैं. कई बार मुख्यमंत्री के जनता दरबार में पिटीशन भी डाल चुके हैं.
उन्होंने आगे बताया कि वर्ष 2015 में जब मुख्यमंत्री का पूर्णिया दौरा था, उस रोज उन्होंने पूर्णिया शहर में बूट पॉलिश कर विरोध प्रदर्शन किया था. जिसके बाद मुख्यमंत्री ने रंगभूमि मैदान के मंच से यह ऐलान किया था कि यहां के युवा शिक्षा को लेकर जागरूक हैं, पूर्णिया को उनका अपना विश्वविद्यालय ज़रूर मिलेगा. तब से लेकर आज तक विश्वविद्यालय की तमाम कमियों को गिनाने के लिए सरकार के समक्ष खड़े रहते हैं और विश्वविद्यालय प्रशासन को कटघरे में खड़ा करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते.
(पूर्णिया से संतोष नायक की रिपोर्ट)