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NEP 2022: UG सेमेस्‍टर परीक्षाओं में कोई नहीं होगा फेल, शून्‍य नंबर लाने पर भी होंगे प्रमोट

New Education Policy: लखनऊ यूनिवर्सिटी में इस सत्र से कई बदलाव किए जा रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ा बदलाव उन छात्रों के लिए है जिनको सेमेस्टर परीक्षा में कम नंबर की वजह से बैक पेपर देना पड़ता था. किसी भी स्‍टूडेंट को अब सेमेस्‍टर परीक्षाओं में फेल नहीं किया जाएगा. 0 नंबर लाने पर भी कैंडिडेट अगले सेमेस्‍टर में प्रमोट हो जाएंगे.

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NEP 2022:
NEP 2022:
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जीरो मार्क्स मिलने पर भी नहीं होंगे फेल
  • अंतिम समेस्टर में देनी होगी वही परीक्षा 

New Education Policy: हाल ही में NAAC मूल्यांकन में A++ ग्रेडिंग हासिल करने वाली लखनऊ यूनिवर्सिटी में इस सत्र से एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. अंडर ग्रेजुएट कोर्स (BA, Bsc, B.com) में समेस्टर परीक्षा में शून्य यानी जीरो नंबर मिलने पर भी स्‍टूडेंट्स दूसरे सेमेस्टर में प्रमोट किए जाएंगे. ये बदलाव इसी सेशन से लागू होगा. इसमें यूनिवर्सिटी के अलावा सभी सम्बद्ध कॉलेज भी शामिल होंगे इसलिए इसका लाभ 1 लाख, 22 हज़ार से ज़्यादा छात्रों को मिलने वाला है.

लखनऊ यूनिवर्सिटी में इस सत्र से कई बदलाव किए जा रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ा बदलाव उन छात्रों के लिए है जिनको सेमेस्टर परीक्षा में कम नंबर की वजह से बैक पेपर देना पड़ता था. नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) के अनुसार ये बदलाव किया गया है. छात्रों को पास प्रतिशत यानि 33% से कम मार्क्स मिलने पर भी उनको एक सेमेस्टर से अगले समेस्टर में प्रमोट कर दिया जाएगा. यही नहीं, उनको तत्‍काल बैक पेपर भी नहीं देना पड़ेगा. सबसे बड़ी बात तो ये है कि जीरो मार्क्स मिलने पर भी उनको प्रोमोट किया जाएगा. यानि समेस्टर परीक्षा में जीरो नंबर पाकर भी छात्र अपने कोर्स में आगे क्‍े सेमेस्टर की पढ़ाई जारी रखेंगे.

इस बड़े बदलाव का लाभ बीए, बीएससी, बीकॉम के साथ ही उन सभी पाठ्यक्रमों के छात्रों को मिलेगा जो NEP के अंतर्गत शामिल किए गए हैं. इस सुविधा का लाभ सिर्फ उन स्‍टूडेंट्स को नहीं मिल पाएगा, जो पूरी परीक्षा में शामिल नहीं होंगे. दरअसल दावा ये है कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत सख़्त मूल्यांकन को आधार बनाया गया है. ऐसे में छात्रों को उन अंकों पर ग्रेड देने की व्यवस्था की गयी है. इस बदलाव को भी उसी के तहत शामिल किया गया है.

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अंतिम समेस्टर में देनी होगी अनुत्तीर्ण विषय की परीक्षा 
दरअसल 33% को हमेशा से पास प्रतिशत रखा गया है, पर अगर स्‍टूडेंट किसी विषय में किसी सेमेस्टर (फाइनल सेमेस्टर को छोड़कर) में फेल होता है या उसको जीरो मार्क्स मिलते हैं, तो भी उसे फेल नहीं किया जाएगा. हालांकि उस विषय की परीक्षा छात्र को फाइनल समेस्टर में देनी होगी. ये करने से सबसे बड़ा लाभ ये है कि छात्रों को ये निर्धारित विषय को तैयार करने का मौका और समय मिल जाएगा.

इस व्यवस्था को इसलिए भी लागू किया जा रहा है क्‍योंकि इससे विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में इतनी ज़्यादा संख्या में बैक पेपर का दबाव कम होगा. अभी न सिर्फ परीक्षा में बड़े संसाधन और शिक्षकों को लगाया जाता है बल्कि बैक पेपर के लिए भी संस्थान को तैयारी करनी पड़ती है.

हाल ही में बीएससी प्रथम वर्ष का परीक्षा परिणाम घोषित किया गया है. इसमें बड़ी संख्या में छात्रों को जीरो नंबर मिलने की शिकायत थी. इसके बाद ये स्थिति साफ़ हुई थी कि ये जीरो अंक नहीं बल्कि ग्रेड प्‍वाइंट हैं. अभी नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत मूल्यांकन ज़्यादातर छात्रों को पता नहीं है. ऐसे में बहुत ज़्यादा भ्रम की स्थिति थी. हाल ही में लखनऊ विश्वविद्यालय को NAAC में A++ ग्रेडिंग मिली है. लखनऊ यूनिवर्सिटी से इस समय 5 ज़िलों के क़रीब 545 कॉलेज सम्बद्ध हैं.

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