
इंडिया टुडे 'स्टेट ऑफ द स्टेट: उत्तराखंड फर्स्ट' समिट में भविष्य की शिक्षा पर चर्चा हुई. चर्चा का पूरा केंद्र नेशनल एजुकेशन पॉलिसी और बीते सप्ताह शिक्षा मंत्रालय द्वारा लांच किए गए नेशनल करीकुलम फ्रेमवर्क पर चर्चा हुई. लेखक व समाजशास्त्री दीपांकर गुप्ता ने कहा कि अगर भविष्य की बात करें तो सबसे जरूरी है रिसर्च, जिस पर हम फोकस नहीं कर रहे. आज भी देशभर के बहुत से स्कूल-कॉलेजों में लैबोरेट्री और लाइब्रेरी नहीं मिलेगी.
उन्होंने कहा कि रिसर्च आपके दिमाग को खोलती है. लेकिन दुर्भाग्य से दुनिया के बड़े हिस्से में रिसर्च डाउन हो रही है, सब वोकेशनल ट्रेनिंग पर ध्यान दे रहे हैं, लेकिन ये कल का भविष्य नहीं है. अगर आपको अच्छा फ्यूचर चाहिए तो आपको रिसर्च पर ध्यान देना होगा. उन्होंने एजुकेशन पॉलिसी 2020 पर कहा कि अगर हमें मातृभाषा में पढ़ाया जाए तो ये अच्छी बात है. अंग्रेजी के महत्व पर उन्होंने कहा कि दुनिया के तमाम देशों में अंग्रेजी मदर टंग नहीं है. इग्लिश एक अच्छी टेक्निकल लैंग्वेज है. लेकिन मदर टंग में हमें पढ़ाया जाए तो ये अच्छी बात है.
उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए बताया कि बचपन में मैं इंग्लिश मीडियम स्कूल में जाता था. वहीं मेरे पिता बंगाली मीडियम में पढ़े थे. फिर भी मुझसे कहीं अच्छी हिंदी, बंगाली और इंग्लिश जानते थे. महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू का उदाहरण भी उनमें से एक है. ऐसा नहीं है कि आपने इंग्लिश मीडियम से नहीं पढ़ा तो आपको अंग्रेजी में दक्षता नहीं मिल सकती. फर्क इसका पड़ता है कि कैसे आपको ट्रेंड किया गया, कैसी किताबों से आपने सीखा.
इंडियन पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल मणि सीवी ने कहा कि न्यू एजुकेशन पॉलिसी की बात करें तो हम जानते हैं कि हमारे यहां एजुकेशन सिस्टम ब्रिटिशर्स के टाइम शुरू किया गया था. इसके बाद कुछ करीकुलम बदला लेकिन यह भी अप टू मार्क नहीं था, ऐसा नहीं था जो पर्सेंटाइल की नीड को पूरा करे. अब तमाम एक्सपेरीमेंट, रिसर्च और पॉलिसी मेकिंग के जरिये नई शिक्षा नीति के आधार पर नेशनल करीकुलम फ्रेमवर्क ड्राफ्ट तैयार किया गया. अब उसका फाइनल ड्राफ्ट तैयार है. इसमें स्टडी के साथ-साथ कई डाइमेंशन है जो आज पर्सेंटाइल की जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं. मणि सीवी ने कहा कि किताबी ज्ञान ही पर्याप्त नहीं है, करीकुलम फ्रेमवर्क में लगभग 38 वोकेशनल ओरिएंटेड सब्जेक्ट हैं जो बच्चों को फ्यूचर के लिए कई विकल्प देते हैं. अब पढ़ाई में भी वो लचीलापन है जो पहले नहीं था. मसलन अब कई सब्जेक्ट हैं, बच्चे अपने लिए सब्जेक्ट चुन सकते हैं.

चर्चा में वेल्हम गर्ल्स स्कूल की प्रिंसिपल विभा कपूर ने नेशनल करीकुलम फ्रेमवर्क के बारे में कहा कि एनसीएफ बहुत बेहतर तरीके से तैयार किया गया डॉक्यूमेंट हैं जो अब आया है, बल्कि उसे कुछ साल पहले आ जाना चाहिए था. इसमें सिर्फ एकेडमिक सब्जेक्ट की ही बात नहीं कही गई है, इसमें को करीकुलर और एक्स्ट्रा करीकुलर की बात भी है.

विभा कपूर ने आगे कहा कि पहली बार ऐसा फ्रेमवर्क तैयार किया गया है जिसमें बच्चों को सोशल लर्निंग के साथ इमोशनल वेलबीइंग, इमोशन, कंपैशन सिखाया जाएगा. अभी इसको मूर्त रूप में लाना एक चुनौती है, लेकिन धीरे धीरे इसको स्कूल अपने स्तर पर लागू कर रहे हैं. उन्होंने फ्यूचर एजुकेशन के बारे में कहा कि मुझे लगता है कि भविष्य को ध्यान में रखकर आज एजुकेशन में हम स्किल, क्रिटिकल थिंकिंग, एबिलटिी टू एनालाइज प्रॉब्लम, थिंक आउट ऑफ द बॉक्स के मोड में पढ़ाएं. हमें जरूरत है कि बच्चों को हम इस तरह तैयार करें कि वो साइंटिफिक टेंपरामेंट के बनें. वो किताबी ज्ञान के साथ साथ सवाल पूछना सीखें.
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में आज इंडिया टुडे/आज तक की ओर से 'INDIA TODAY STATE OF THE STATE: UTTARAKHAND FIRST' समिट का आयोजन हुआ. देहरादून के सेफर्ट सरोवर प्रीमियर में आयोजित हुए इस एक दिवसीय कार्यक्रम में पर्यटन, ऊर्जा, कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और उद्योग में राज्य के विकास को कैसे बढ़ावा दिया जाए, इन विषयों पर चर्चा की गई.
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी राज्य की कई दिग्गज हस्तियों ने शिरकत की. कार्यक्रम की शुरूआत सुबह 11 बजे इंडिया टुडे ग्रुप के ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर (पब्लिशिंग) राज चेंगप्पा के संबोधन से हुई. इस कार्यक्रम के पहले सत्र में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शिरकत की.