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तिरंगा यात्रा में जाने से पहले जान लें ये 20 नियम, ताकि जोश में न हो जाए राष्ट्रीय ध्वज का अपमान

भारत में तिरंगे झंडे (राष्ट्रीय ध्वज) का अपमान एक गंभीर अपराध माना जाता है, क्योंकि यह राष्ट्रीय सम्मान और एकता का प्रतीक है. प्रदर्शन, जुलूस, या किसी अन्य स्थिति में तिरंगे के अपमान से संबंधित कानूनी कार्रवाई भारतीय दंड संहिता (IPC), राष्ट्रीय सम्मान का अपमान निवारण अधिनियम, 1971, और भारतीय ध्वज संहिता, 2002 के तहत हो सकती है.

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तिरंगा यात्रा (फोटो- PTI)
तिरंगा यात्रा (फोटो- PTI)

जम्मू और कश्मीर में पहलगाम आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) देशभर में तिरंगा यात्रा निकाल रही है. अगर आप भी तिरंगा यात्रा में शामिल हो रहे हैं तो तिरंगे से संबंधित नियमों की जानकारी होना बहुत जरूरी है. ताकि जोश में राष्ट्रीय ध्वज का अपमान न हो जाए.

1. झंडे को किसी भी रूप में लपेटने, जिसमें व्यक्तिगत शवयात्रा शामिल है, के काम में नहीं लाया जा सकता.

2. जब झंडा किसी जुलूस या परेड में ले जाया जा रहा हो तो वह मार्च करने वालों के दाईं ओर यानी झंडे के भी दाहिनी ओर रहेगा या यदि दूसरे झंडों की भी कोई लाइन हो तो राष्ट्रीय झंडा उस लाइन के बीच में आगे होगा.

3. तिरंगा यात्रा के दौरान कपड़ों या वर्दी में झंडे का प्रयोग नहीं किया जा सकता. झंडे पर किसी प्रकार के अक्षर नहीं लिखे नहीं होने चाहिए.

4. झंडे में लपेटकर किसी वस्तु को लेने, देने, पकड़ने या ले जाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता. हालांकि विशेष अवसरों और राष्ट्रीय दिवसों पर जैसे गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस समारोह में झंडे को फहराए जाने से पहले उसमें फूलों की पंखुड़ियां रखने में कोई आपत्ति नहीं है.

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5. किसी प्रतिमा के अनावरण के अवसर पर झंडे को सम्मान के साथ और पृथक रूप से प्रदर्शित किया जाएगा और इसका प्रयोग प्रतिमा या स्मारक को ढकने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

6. झंडे का प्रयोग न तो वक्ता की मेज को ढकने और न ही वक्ता के मंच को सजाने के लिए किया जाता.

7. झंडे को जानबूझकर जमीन, फर्श को छूने या पानी में घसीटने नहीं दिया जाना चाहिए.

8. झंडे को गाड़ी, रेलगाड़ी, नाव या हवाई जहाज की छत पर, साइड में या पीछे से ढकने के काम में नहीं लाया जाना चाहिए.

9. नियमों के अनुसार, जब झंडा किसी गाड़ी पर लगाया जाता है तो उसे बोनट के आगे बीचोंबीच या कार के आगे दाईं ओर कसकर लगाए हुए एक डंडे पर फहराया जाए.

10. झंडे का प्रयोग किसी भवन में परदा लगाने के लिए नहीं किया जाएगा और झंडे को जानबूझकर "केसरिया" रंग को नीचे करके नहीं फहराया जाता.

11. झंडे को आधा झुका कर नहीं फहराया जाएगा सिवाय उन अवसरों के जब सरकारी भवनों पर झंडे को आधा झुका कर फहराने के आदेश जारी किए गए हों.

12. जब कभी राष्ट्रीय झंडा फहराया जाए तो उसकी स्थिति सम्मानजनक और पृथक होनी चाहिए.

13. फटा हुआ या मैला कुचला झंडा नहीं फराना चाहिए.

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14. झंडे को किसी अन्य झंडे या झंडों के साथ एक ही ध्वज दंड से नहीं फहराया जाए.

15. अगर झंडे का प्रदर्शन सभा मंच पर किया जाता है, तो उसे इस प्रकार फहराया जाना चाहिए कि जब वक्ता का मुंह श्रोताओं की ओर हो तो झंडा उनके दाहिनी ओर रहे या झंडे को वक्ता के पीछे दीवार के साथ और उससे ऊपर लेटी हुई स्थिति में प्रदर्शित किया जाए.

16. जब झंडे का प्रदर्शन किसी दीवार के सहारे, लेटी हुई और समतल स्थिति में किया जाता है तो केसरिया भाग सबसे ऊपर रहना चाहिए और जब वह लंबाई में फहराया जाए तो केसरी भाग झंडे के हिसाब से दाईं ओर होगा (झंडे को सामने से देखने वाले व्यक्ति के बाईं ओर) होना चाहिए.

17. जहां तक सम्भव हो झंडे का आकार इस संहिता के भाग-1 में निर्धारित किए गए मानकों के अनुरूप होना चाहिए.

18. किसी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या उससे ऊपर या उसके बराबर में नहीं लगाया जाए और न ही पुष्प, माला, प्रतीक या अन्य कोई वस्तु उसके ध्वज के डंडे के ऊपर रखी जाए.

19. फूलों का गुच्छा या पताका या बन्दनवार बनाने या किसी अन्य प्रकार की सजावट के लिए झंडे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.

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20. जनता द्वारा कागज के बने झंडों को महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेलकूद के अवसरों पर हाथ में लेकर हिलाया जा सकता है, लेकिन ऐसे कागज के झंडों को समारोह पूरा होने के बाद न तो तोड़ा-मरोड़ा जाएगा और न ही जमीन पर फेंका जाएगा. जहां तक सम्भव हो, ऐसे झंडों का निपटान उनकी मर्यादा के अनुरूप में किया जाए.

झंडे का अपमान हुआ तो जुर्माना और सजा 
भारत में तिरंगे झंडे (राष्ट्रीय ध्वज) का अपमान एक गंभीर अपराध माना जाता है, क्योंकि यह राष्ट्रीय सम्मान और एकता का प्रतीक है. प्रदर्शन, जुलूस, या किसी अन्य स्थिति में तिरंगे के अपमान से संबंधित कानूनी कार्रवाई भारतीय दंड संहिता (IPC), राष्ट्रीय सम्मान का अपमान निवारण अधिनियम, 1971, और भारतीय ध्वज संहिता, 2002 के तहत हो सकती है.

झंडे का व्यावसायिक उपयोग करने (i) राष्ट्रीय सम्मान का अपमान निवारण अधिनियम, 1971 धारा 2: राष्ट्रीय ध्वज, संविधान, या राष्ट्रीय चिह्नों का जानबूझकर अपमान करना अपराध है. इसमें 3 साल तक की जेल, या जुर्माना, या दोनों हो सकती है. यह अपराध संज्ञेय (cognizable) है, यानी पुलिस बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है. यह गैर-जमानती (non-bailable) हो सकता है, यानी जमानत के लिए कोर्ट में अपील करनी पड़ती है. अगर अपमान प्रदर्शन/जुलूस में हिंसा या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान के साथ जुड़ा है, तो अतिरिक्त धाराएं (जैसे IPC 427, 336) लागू हो सकती हैं.

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