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क्या सरकारी कर्मचारी RSS की शाखा में नहीं जा सकते? क्या है इसका नियम

क्या सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा और अन्य कार्यक्रम में हिस्सा ले सकते हैं? ऐसे में जानते हैं कि आखिर सरकार के नियम क्या कहते हैं.

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आरएसएस की शाखा में जा सकेंगे उत्तराखंड के कर्मचारी (फाइल फोटो)
आरएसएस की शाखा में जा सकेंगे उत्तराखंड के कर्मचारी (फाइल फोटो)

उत्तराखंड में अब राज्य सरकार के कर्मचारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा और अन्य कार्यक्रमों में हिस्सा ले सकते हैं. दरअसल, उत्तराखंड सरकार ने फैसला लिया है कि अगर राज्य कर्मचारी अगर RSS के कार्यक्रम में भाग लेते हैं तो इसे ‘राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली 2002’ का उल्लंघन नहीं माना जाएगा. इसका मतलब है कि प्रदेश के सरकारी कर्मचारी शाखा में जा सकते हैं, जो पहले बैन था. ऐसे में सवाल है कि क्या सरकारी कर्मचारी शाखा में नहीं जा सकते और आखिर क्यों आरएसएस पर ये बैन लगाया गया है. तो जानते हैं आरएसएस में सरकारी कर्मचारियों की एंट्री की कहानी...

1966 से शुरू होती है बैन की कहानी...

कर्मचारियों के आरएसएस से जुड़ने पर बैन लगने की कहानी साल 1966 से शुरू होती है. दरअसल, उस वक्त केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस और जमात-ए-इस्लामी द्वारा आयोजित गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया था. उस वक्त माना था कि अगर कोई कर्मचारी इन सभी संगठनों के साथ काम कर रहा है तो इसका मतलब है कि वो राजनीतिक आंदोलन या गतिविधियों में हिस्सा ले रहा है. ये केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 के नियम 5 के उप-नियम (1) के प्रावधानों का उल्लंघन माना गया था.  

जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का इमरजेंसी का दौर आया, उस वक्त भी आरएसएस समेत 26 संगठनों पर बैन लगा दिया गया. हालांकि, जब देश में जनता पार्टी की सरकार आई तो आरएसएस से इस बैन को हटा लिया गया. लेकिन, 1980 में एक बार फिर इस फैसले को रिव्यू किया गया और फिर बैन लगाया गया. इस वक्त आरएसएस खुल कर काम कर रही थीं और फिर से बैन हटा. साल 1970 में भी आरएसएस पर बैन लगाया गया था.

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लेकिन, जब 1992 में बाबरी मस्जिद का मामला उठा तो इसे एक बार फिर इस पर बैन लगा दिया गया. ये फैसला 1993 में जस्टिस बहरी कमीशन ने इसे अनुचित माना था. इसके बाद इसी साल जुलाई में केंद्र सरकार ने आरएसएस को ओ एम लिस्ट से बाहर कर दिया था. इसका मतलब है अब कर्मचारी संघ में शामिल हो सकते हैं. 

क्या कोई कर्मचारी RSS में नहीं जा सकता?

बता दें कि अब केंद्र सरकार की ओर से बैन हटाने के बाद केंद्रीय कर्मचारी आरएसएस के कार्यक्रमों में हिस्सा ले सकते हैं. वहीं, अगर राज्य सरकारों की बात करें तो कई राज्य सरकारों ने बैन हटा दिए हैं. जैसे साल 2000 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश में बैन हटा दिया था. इसके अलावा साल 2008 में हिमाचल प्रदेश, 2015 में छत्तीसगढ़, 2021 में हरियाणा में भी बैन हटा दिया गया. अब उत्तराखंड भी इस लिस्ट में शामिल हो गया है. यहां सरकारों ने माना है कि नियम 5 का उप नियम 1 आरएसएस पर लागू नहीं होता. 

क्या है ये नियम?

जिन नियमों के जरिए आरएसएस को कर्मचारियों के लिए बैन किया गया था, उसमें राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली का नियम 5(1) कहता है कि "कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी भी राजनीतिक दल या राजनीति में भाग लेने वाले किसी भी संगठन का सदस्य नहीं होगा, या अन्यथा उससे जुड़ा नहीं होगा, न ही वह किसी की सहायता में भाग लेगा, ना सदस्यता लेगा, ना ही सहायता करेगा. साथ ही वो कोई भी राजनीतिक आंदोलन या गतिविधि में हिस्सा नहीं लेगा. ऐसे में अब उन संगठनों की लिस्ट से आरएसएस को हटाया जा रहा है. अगर कोई इन उल्लंघन करता है तो उस पर कार्रवाई की जा सकती है.

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