संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरस ने मंगलवार को कोरोना वायरस की महामारी को दूसरे विश्व युद्ध के बाद अब तक का सबसे बड़ा वैश्विक संकट करार दिया है. यूएन चीफ ने चिंता जाहिर की कि इससे दुनिया भर में संघर्ष पैदा हो सकता है.
गुटेरस ने कहा, संकट इसलिए भी बड़ा है क्योंकि ये बीमारी दुनिया में हर किसी के लिए खतरा है और.. इसका अर्थव्यवस्था पर ऐसा असर होगा कि पिछले कुछ सालों की सबसे बड़ी मंदी सामने आएगी. दुनिया में अस्थिरता, अशांति और टकराव बढ़ेंगे. इन सबको देखकर हमें यकीन हो जाता है कि यह दूसरे विश्व युद्ध के बाद का सबसे चुनौतीपूर्ण संकट है.
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना दूसरे विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद 1945 में हुई थी. इसके 193 सदस्य देश हैं. गुटेरस ने कहा, इस संकट का मजबूत और असरदार हल तभी संभव है जब हर कोई साथ आए. इसके लिए हमें राजनीतिक खेल बंद करने होंगे और समझना होगा कि मानव प्रजाति दांव पर लगी हुई है.
कोरोना महामारी से दुनिया भर में 40,000 लोगों की मौत हो चुकी हैं और इससे भयंकर आर्थिक तबाही भी हो रही है. बेरोजगारी, छोटे उद्योग-धंधों के खत्म होने और असंगठित क्षेत्र की दयनीय स्थिति को लेकर भी गुटेरस ने आगाह किया. उन्होंने कहा कि कई विकासशील देशों की बीमारी से लड़ाई में मदद के लिए हम अभी तक एक वैश्विक पैकेज का ऐलान नहीं कर सके हैं.
यूएन प्रमुख ने कहा, हम धीरे-धीरे सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं लेकिन हमें अपनी रफ्तार तेज करनी होगी और अगर हम वायरस को हराना चाहते हैं तो हमें और भी बहुत कुछ करना होगा.
यूएन ने मंगलवार को विकासशील देशों की मदद के लिए एक नए फंड की घोषणा की. पिछले सप्ताह उन्होंने वैश्विक समुदाय से गरीबों और संघर्ष से प्रभावित देशों के लिए दान करने की अपील की थी. गुटेरस ने कहा, अमीर देशों से पारंपरिक मदद के अलावा हमें अतिरिक्त आर्थिक मदद की भी जरूरत है ताकि विकासशील देश इस संकट का सामना कर सकें. गुटेरस ने कहा कि कोरोना वायरस की महामारी गरीब देशों खासकर अफ्रीका से अमीर देशों में वापस लौट सकती है और लाखों लोगों की जानें जा सकती हैं.
वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कोरोना वायरस को लेकर चेतावनी जारी की है. वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि कोरोना वायरस की महामारी के कारण एशिया में गरीबी का दायरा बढ़ सकता है. इससे एशिया में बड़ी संख्या में लोगों की आजीविका प्रभावित होगी. गरीब और गरीब होंगे और यहां तक कि अमीर देश भी कई तरह के संकट से जूझेंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस की महामारी के कारण चीन की अर्थव्यवस्था थम जाएगी.
विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, अगर महामारी बहुत ही भयावह स्थिति में पहुंच गई तो इस साल चीन की आर्थिक वृद्धि दर 0.1% पर पहुंच सकती है. चीन की तरह आसपास के देशों की अर्थव्यवस्था की हालत खराब होगी. इससे पूरे इलाके में गरीबी बढ़ेगी और लोगों के पास कमाई के साधन न के बराबर बचेंगे. वर्ल्ड बैंक ने ये भी कहा है कि कोरोना वायरस की महामारी से अर्थव्यवस्था को जो नुकसान होगा, उसकी भरपाई में लंबा वक्त लग जाएगा.